कॉटन बॉल डायट जितना सुनने में अटपटा लगता है उतना ही सेहत के नजरिये से खतरनाक होता है। इस डायट को फॉलो करना मेंटल डिसऑडर जैसा मान सकते हैं। हाल ही में ही यह ट्रेंड चला है जो बहुत ही अनसेफ है। इस डायट में रूई के गोले को जूस में भिगोकर उसको निगल लिया जाता है। इससे कुछ देर के लिए तो पेट भरा हुआ महसूस होता है लेकिन यह कितना असुरक्षित है यह कहने की शायद जरूरत नहीं। जैसा कि आप जानते ही हैं कि कॉटन बॉल्स पॉलिएस्टर फाइबर से बने होते हैं जिसमें केमिकल्स होते हैं। जाहिर है इनको खाने से कुपोषण और बिजोर (bezoar) की समस्या हो सकती है। बिजोर असल में एक ठोस गोला जैसा होता है जो आंत के रास्ते में जाकर बाधा उत्पन्न कर सकता है। इस ब्लॉक को खोलने के लिए कई बार सर्जरी तक करने की नौबत आ जाती है। यह बात अच्छी तरह से समझ लें कि कॉटन बॉल्स खाना नहीं है यह नॉन फूड होता है । यह किसी भी आहार का विकल्प नहीं बन सकता है। ऐसे डायट से आपको पेट में ऑब्सट्रक्शन, एनोरेक्सिया नर्वोसा (वजन बढ़ने का हद से ज्यादा डर), कुपोषण या मलन्यूट्रिशन के लक्षणों से कष्ट पाया जा सकता है। सच तो यह है कि वजन कम करने के लिए संतुलित आहार खाने की जरूरत है न कि ऐसे डायट को फॉलो करने की जिससे कि जिंदगी खतरे में आ जाये।
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8-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : डैश डायट (Dash Diet)
डैश डायट के नाम से बहुत कम लोग अनजाने होंगे। यह वेट लॉस डायट नहीं है। डैश डायट को डायटरी एप्रोचेस टू स्टॉप हाइपरटेंशन कहते हैं। यह डायट विशेष रूप से हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) वाले मरीजों के लिए बना है। 2018 साल में आठवें वर्षों के सर्वे से यू.एस. न्यूज और वर्ल्ड रिपोर्ट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य-विकास संस्थान द्वारा बनाए गए डैश डायट को श्रेष्ठ डायट माना गया। नए अनुसंधानों से यह पता चला है कि डैश डायट जो कि लो सोडियम डायट होता है वह एंटी-हाइपरटेंशन मेडिकेशन्स से भी ज्यादा असरदार है। डैश आहार में सोडियम की मात्रा कम करने के साथ-साथ पौष्टिकता से भरपूर आहार लेने के लिए कहा जाता है। यह ब्लड प्रेशर यानि रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ पोटाशियम, कैल्शियम और मैग्निशियम को भी कम करने में सहायता करता है। हाइपरटेंशन के साथ-साथ इस डायट को ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर, दिल की बीमारी, स्ट्रोक और डायबिटीज में भी लेने की सलाह दी जाती है। डैश डायट में टमाटर, गाजर, ब्रोक्ली, हरी सब्जियाँ, लो फैट वाले अनाज, दलहन, चावल में ब्राउन राइस, होल व्हीट, कम वसा वाले मछली, अंडा, लो फैट वाले दूध, दही, पनीर आदि इसके अंतगर्त आते हैं। लेकिन कैफीन संबंधित पेय पदार्थ और अल्कोहल का कम से कम सेवन करना चाहिए, क्योंकि इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना होती है।
9-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : ड्यूकन डायट (Dukan Diet)
ड्यूकन डायट भी वजन घटाने वाले डायट में से एक है। असल में ड्यूकन डायट लो-कार्बोहाइड्रेट, हाई प्रोटीन वाला वेट लॉस डायट होता है। इसका आविष्कार फ्रांसीसी डॉ. पियरे डुकन ने की है। उनको वेट मैनेजमेंट में माहिर माना जाता है। इस डायट को डॉक्टर ने 1970 में बनाया था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम भी रखा गया। इस डायट की विशेष बात यह है कि यह हाई प्रोटीन और लो कार्ब्स वाला होता है। इस डायट में कम फैट वाला मीट, मछली, पॉल्टरी, शेलफिश, सॉय फूड, लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स, फल, साग-सब्जियाँ आदि लेने की सलाह दी जाती है।
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10-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : फ्रूटेरियन डायट (Fruitarian diet)
फ्रूटेरियन डायट कुछ हद तक वेगन डायट जैसा होता है। इस डायट में ज्यादा फल ही खाना पड़ता है। वैसे तो यह डायट उन लोगों को अच्छा लगेगा जिनको फल खाना अच्छा लगता है। इस डायट को बिना डायटिशियन के सलाह के फॉलो करना सेहत के साथ खिलवाड़ करना होता है। इस डायट को फॉलो करने का मतलब यह नहीं कि आप सिर्फ फल पर ही निर्भर रहें। वैसे तो डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि फ्रूटेरियन डायट पर कितना भी हो आपको 50- 70 प्रतिशत फल पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे न्यूट्रिशन की कमी हो सकती है। इस डायट को आप धीरे-धीरे अपने आहार तालिका में शामिल करें। हर मील में नट्स, सीड्स, सब्जियों के साथ फल लें ताकि फैट और प्रोटीन की जरूरत पूरी हो। इससे ब्लड शुगर को कम करने में मदद मिलती है जो फल से मिलती है। इस डायट को लेते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि कम से कम तीन फल जरूर शामिल हो। ऑयली फ्रूट में एवाकाडो, केला और नारियल ले सकते हैं जो फैट को सोर्स होते हैं।
11-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : फास्ट डायट (Fast diet)
फास्ट डायट, इंटरमिटेंट डायट का ही एक फॉर्म होता है। इसको 5:2 डायट भी कहते हैं। वैसे तो जो इस डायट के समर्थक होते हैं उनका मानना है कि यह वजन को कम करने में ज्यादा दिनों तक काम नहीं करता है लेकिन वजन से दूर रखने में लंबे समय तक मदद करता है। इस डायट की विशेष बात यह है कि जो लोग इस डायट को फॉलो करते हैं उनको कम कैलोरी बर्न करनी पड़ती है (महिलाओं के लिए 500 कैलोरीज और पुरूषों के लिए 600 कैलोरीज) हफ्ते में सिर्फ दो दिन। और मजे की बात यह है कि बाकी के पाँच दिन जो चाहे खा सकते हैं। सच तो यह है कि इस डायट पर बने रहना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि हर दिन कैलोरी का इतना उतार चढ़ाव ब्लड शुगर के लेवल को बहुत प्रभावित करता है। इससे भूख बहुत लगती है और सिर दर्द होने की परेशानी भी हो सकती है। इस डायट को करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि जो दो दिन फास्टिंग की होती है उसमें प्रोटीन स्रोत वाले खाद्द पदार्थ के साथ लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स लेनी चाहिए। इसके अलावा ताजे फल, उबली हुई सब्जियाँ, लो फैट वाले दही, पनीर, चिकन, सालमन, तूना, मछली, उबले हुए अंडे खाना चाहिए। लेकिन फ्राइड फूड्स, रेड मीट, कुकिज, कैंडी, आइसक्रीम, शुगरी ड्रिंक आदि कम मात्रा में लेनी चाहिए।
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12- डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट (Glycemic Index Diet)
ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट का मूल उद्देश्य वेट लॉस करने के साथ-साथ क्रॉनिक बीमारियों में मोटापा से संबंधित रोग जैसे कि डायबिटीज और हृदय से संबंधित बीमारियों से बचाना। वैसे तो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट टर्म का मतलब होता है कि वह विशेष प्रकार का आहार योजना जिसमें वेट लॉस या वेट मैनेजमेंट के लिए कैलोरी, कार्बोहाइड्रेड या फैट को कम करने की बात नहीं कही जाती है। इस डायट में कार्बोहाइड्रेड स्रोत वाले फूड्स खा तो सकते हें लेकिन कम मात्रा में जिससे कि ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहे। डायट में हरी सब्जियाँ, फल, गाजर, किडनी बीन्स, लेन्टिल, सिरियल्स, केला, कच्चा अन्नानास, ओट्स, मल्टीग्रेन, व्हाइट राईस, आलू आदि लेने की सलाह दी जाती है।
13-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : ग्लूटेन फ्री डायट (Gluten free diet)
ग्लूटेन फ्री डायट नाम से जैसा कि आपको पता चल रहा है कि जिन अनाज में ग्लूटेन होता है उससे संवेदनशीलता होती है। ग्लूटेन फ्री डायट लेने का मुख्य लक्ष्य होता है सीलिएक रोग के लक्षणों को मैनेज करना। साथ ही ग्लूटेन लेने से जो समस्याएं होती है उससे बचना। वैसे तो यह माना जाता है कि इस डायट को लेने से वेट लॉस होने के साथ-साथ एनर्जी भी मिलती है लेकिन इस बारे में कुछ खास प्रमाण अभी तक नहीं मिला है। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन होता है जिससे कुछ लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। हां दूसरे अनाज जैसे कि कॉर्न, चावल और क्वीनो में भी ग्लूटेन होता है लेकिन गेंहूं, बार्ली से जो समस्या होती है वैसा नहीं होता है। असल में इस डायट को फॉलो करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि गेहूँ, राई, जौ से बने खाद्द पदार्थों को आहार तालिका से बिल्कुल हटा देने पर शरीर में न्यूट्रिएन्ट्स की कमी हो सकती है। इस डायट में ताजे फल, सब्जियाँ, लेग्यूम्स, अंडा, कम वसा वाले मीट और मछली, लो फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स आदि ले सकते हैं।
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14-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : हेल्दी डायट (Healthy Diet)
हेल्दी डायट शब्द से यह बिल्कुल ही स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है कि यह अच्छे स्वास्थ्य और पौष्टिकता को ध्यान में ही रखकर बनाया गया है। इस डायट को लेने से दिल की बीमारी, डायबिटीज और ओबेसिटी और कैंसर से बचने में सहायता मिलती है। तरह-तरह के खाद्द पदार्थ को लेने के साथ-साथ आहार में नमक, मीठा और सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट की मात्रा कम होनी चाहिए। हेल्दी डायट में अनाज (गेहूं, बार्ली, राई, मक्का, चावल) स्टार्ची ट्यूबर और रूट (आलू, रतालू, कसावा आदि), दहलन, बीन्स, फल, सब्जियाँ, पशु से संबंधित खाद्द पदार्थ (मीट, मछली, अंडा और दूध) आते हैं।
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15-डायट एंड इटिंग प्लान- ए-जेड : हे डायट (Hay Diet)
हे डायट बहुत मशहुर डायट तो नहीं है लेकिन कुछ लोग वजन को बढ़ने से रोकने के लिए इस डायट को फॉलो करते हैं। असल में इस डायट को लेकर ऐसा कुछ प्रमाण भी नहीं मिलता है कि इस डायट को फॉलो करने से वजन बढ़ने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसलिए इस डायट के बारे में सोचने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। इस डायट में कार्बोहाइड्रेड और प्रोटीन को एक ही मील में अलग करके दिया जाता है। क्योंकि शरीर दोनों को एक साथ हजम नहीं कर पाता है जो वजन बढ़ने का कारण बन जाता है। इस डायट का मूल सिद्धांत है कि कुछ विशेष प्रकार के फूड्स को दूसरे प्रकार के फूड्स के साथ न लें। जैसे कि सालाद, फल और सब्जियाँ इन्हें बार-बार लेना चाहिए। स्टार्च और शुगर को प्रोटीन और एसिडिक फ्रूट्स के साथ नहीं लेना चाहिए। अगर आप प्रोटीन, स्टार्च और फैट एक साथ ले रहे हैं तो कम मात्रा में ले। होलग्रेन लेने से पहले कम से कम दूसरे मील से 4 घंटा समय लें । इस डायट को लेने से शरीर में पौष्टिकता की कमी हो सकती है।
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16-डायट एंड वेट मैनेजमेंट ए-जेड : एचसीजी डायट (HCG Diet)
कुछ सालों से एससीजी डायट बहुत पॉपुलर हुआ है। इसमें एचसीजी ड्रॉप्स, इंजेक्शन्स, वजन कम करने वाले पिल्स भी लिये जाते हैं। लेकिन मुश्किल की बात यह है कि इस डायट से वेट लॉस तो जल्दी होता है लेकिन यह सेहत के नजरिये से बहुत ही नुकसानदायक है। एफडीए (FDA) इस डायट को खतरनाक और अवैध करार दिया है। लोग इस डायट को करना इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसमें भूख कम लगती है और वजन भी जल्दी घटता है। इस डायट में कैलोरी रेसट्रिक्शन इतना होता है कि लोगों में यह मशहुर होता जा रहा है। इस डायट में 500 से 800 कैलोरी प्रतिदिन की सीमा होती है। इसलिए लोगों को कम समय में वजन घटता नजर आता है। लेकिन इस डायट को करने से कैंसर, गॉल स्टोन, दिल की धड़कनों का अनियमित होना, विटामिन्स और मिनरल्स की कमी, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, सूजन, पुरूषों के ब्रेस्ट में सूजन की समस्या जैसे बहुत सारे समस्याएं होती हैं।
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