महाराष्ट्र के रहने वाले मनोज शिंदे का चार साल का बेटा कुक्कु है। मनोज का कहना है कि महाराष्ट्र में फ्लैट की लाइफ सिर्फ एक कमरे में सिमट कर रह जाती है। ऐसे में जब बच्चा छोटा हो तो उसे अपनी चंचलता दिखाने के लिए स्पेस चाहिए होता है। ऐसे में जब अचानक से बच्चे को घर में बंद रखना पड़े तो उसके स्वभाव में बदलाव आ ही जाता है। पहले कुक्कु को प्यार से समझाकर घर में रखना चाहा, बाद में उसकी बढ़ती जिद के कारण उसे डांटना भी पड़ा। धीरे-धीरे उसका व्यवहार चंचल से शांत हो गया, अब हमें उसके बिहेवियर को लेकर टेंशन होने लगी है।
कोरोना में बच्चों की मेंटल हेल्थ पर जानें एक्सपर्ट की राय
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सर सुंदरलाल हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ. जयसिंह यादव से हैलो स्वास्थ्य ने बात की। डॉ. जयसिंह ने बताया कि ये वक्त सभी के लिए बहुत कठिन है, जहां एक तरफ बड़े आर्थिक तंगी से गुजरने के कारण डिप्रेशन, स्ट्रेस और सुसाइडल टेंडेंसी से गुजर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ बच्चे स्ट्रेस से गुजर रहे हैं, उन्हें उनके मन मुताबिक बाहर एक्टिविटी करने के लिए नहीं मिल पा रही है। ऐसे में वह धीरे-धीरे अपने व्यवहार को बदलने लगते हैं। ऐसे बच्चे को साइकोथेरिपी की जरूरत पड़ सकती है, जिसके लिए आपको अपने बच्चे को किसी बाल मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। इसके बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देश को फॉलो करें और बच्चे को इस मानसिक समस्याओं से बाहर निकालें।
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क्या कहती हैं रिसर्च?
लॉस एंजेल्स की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने एक रिसर्च किया, जिसमें आइसोलेशन के कारण होने वाले ट्रॉमा का जिक्र किया गया। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि 25 प्रतिशत बच्चों को आइसोलेट और क्वारंटाइन रहने से उन्हें पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर हो गया।
मार्च 2020 में ओरेगॉन यूनिवर्सिटी में हुए एक सर्वे में ये बात सामने आई कि 68 प्रतिशत पेरेंट्स ने बच्चों में स्ट्रेस लेवल को बढ़ते हुए देखा है। वही, 33 प्रतिशत बच्चों में चिड़चिड़ापन और बुरा व्यवहार देखने को मिला। दूसरी तरफ अप्रैल 2020 में याले सर्वे में 5000 ऑनलाइन क्लासेस देने वाले टीचर्स से पूछा गया तो उन्होंने बच्चों में पांच तरह के बदलाव महसूस किए। टीचर्स का कहना है कि उन्होंने बच्चों में चिंता, डर, तनाव, घबराहट और दुख से ग्रसित महसूस किया।
यूनिसेफ (द यूनाइटेड नेशन चिल्ड्रन्स फंड) के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 1.5 अरब बच्चे और वयस्क लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना काल का असर पड़ रहा है। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन ने करीब 188 देशों के लोगों को प्रभावित कर रहा है। यूनिसेफ के अनुसार अगर ग्लोबल स्टूडेंट्स की बात की जाए तो करीब 90 प्रतिशत बच्चों पर स्कूल बंद होने के कारण निगेटिव इफेक्ट्स पड़ रहा है। कोरोना में बच्चों की मेंटल हेल्थ प्रभावित हो रही है जिसके कारण बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और मानसिक तनाव पैदा हो रहा है।