एक्टिव और पैसिव इम्यूनिटी: लंबे समय तक चलती है ऐसी इम्यूनिटी
सीडीसी के अनुसार, एक्टिव इम्यूनिटी अक्सर लंबे समय तक चलने वाली होती है। कभी कभी यह जीवन भर की सुरक्षा भी प्रदान करती है। लेकिन यह बीमारी पर भी निर्भर करता है। जैसे वैरिकाला वायरस ( चिकनपॉक्स) से बचाव के लिए बच्चे को बचपन में ही टीकाकरण कर दिया जाता है। कई बार यह हमेशा के लिए तो कई बार 10 से 20 साल तक के लिए रक्षा कवच प्रदान करता है। हालांकि, हर साल एक फ्लू शॉट को जरूर लेना चाहिए। क्योंकि यह पहले तीन महीनों के भीतर सबसे अधिक सुरक्षा प्रदान करता है, और छह महीने के बाद सबसे अधिक प्रभाव खोना शुरू कर देता है। एक्टिव इम्यूनिटी विकसित होने में कई बार हफ्ते लग जाते हैं। यहीं कारण है कि ज्यादातर डॉक्टर अक्टूबर महीने के अंत तक वार्षिक फ्लू शॉट लेने की सलाह देते हैं, जिससे नवंबर या दिसंबर में जब फ्लू का मौसम आए तो यह आपको उससे सुरक्षा प्रदान कर सके।
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एक्टिव और पैसिव इम्यूनिटी: दोनों की अहम भूमिका
नोवल कोरोना वायरस एक नया वायरस है। इसे लेकर फिलहाल पुख्ता जानकारी नहीं है। दुनियाभर के शोधकर्ता इसे लेकर हर जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, नेचुरल इम्यूनिटी और वैक्सीन द्वारा इम्यूनिटी दोनों ही कोरोना वायरस से लड़ने में मदद कर सकती है। लेकिन फिलहाल इसे लेकर कोई वैक्सीन नहीं है। शोधकर्ता वैक्सीन बनाने का हर प्रयास कर रहे हैं। कई शोधकर्ता वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के प्रोसेस तक पहुंच गए हैं।
ठीक हो जाने के बाद फिर होगा कोरोना?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक, माइकल रेयान ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान 13 अप्रैल को बताया था कि इस बारे में फिलहल पर्याप्त जानकारी नहीं है कि कोरोना संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद क्या फिर से वह व्यक्ति कोरोना की चपेट में आ सकता है। वायरस के खिलाफ उनके शरीर में किस तरह की इम्यूनिटी है यह अभी मालूम नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 से ग्रसित जिस व्यक्ति के शरीर में पूरी तरह से एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी हैं वो कुछ समय के लिए सुरक्षित रह सकते हैं पर इस सुरक्षा की कोई समयसीमा तय नहीं है।