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अगर भविष्य में बचना है लंग डिजीज से, तो बचाव के लिए जरूरी है एक्स्पर्ट की इन बातों का ध्यान रखना

Written by डॉ. मृणाल सरकार · पल्मोनोलॉजी · Pulmonology Department Fortis Hospital, Noida


अपडेटेड 25/09/2020

    अगर भविष्य में बचना है लंग डिजीज से, तो बचाव के लिए जरूरी है एक्स्पर्ट की इन बातों का ध्यान रखना

    सांस लेने में दिक्कत महसूस होना, निमोनिया, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और लंग कैंसर जैसे कई ऐसे लंग डिजीज हैं, जिसके शिकार लोग वर्षों से होते चले आ रहे हैं और पिछले कुछ सालों में इनकी संख्या काफी बढ़ी भी है। अब तो लंग डिजीज में एक और नई बीमारी शामिल हो गई है, कोविड-19। जिसके बारे में हम सभी को अच्छे से पता है। शायद ये अभी तक की फेफड़ों की कई गंभीर बीमारियों में से सबसे खतरनाक बीमारी है। लंग से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए, लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 25 सितंबर को ‘वर्ल्ड लंग डे’ मनाया जाता है। इसकी शुरूआत 25 सितंबर 2017  में हुई थी,  इस दिन विश्व में पहली बार वर्ल्ड लंग डे मनाया गया था। इस खास दिन का मुख्य उद्देश्य यही रहा है कि लोगों को अधिक से अधिक लंग डिजीज के कारणों और उससे बचाव के तरीकों से परिचित करवाया जा सके। कोरोना काल में इस दिन की महत्वता और भी अधिक बढ़ गई है, क्योंकि कोरोना वायरस ने दुनिया भर को दिखा दिया है कि वह फेफड़ों की कितनी खतरनाक बीमारी है। इससे बचने के लिए हमें किस प्रकार अपने इम्यून सिस्टम के साथ-साथ अपने फेफड़ों को भी मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है। कोराेना जैसे लंग डिजीज का खतरा केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में ही बना हुआ है। तो इससे बचाव के लिए  जानें  एक्सपर्ट की राय

    कोरोना से बचाव के लिए ध्यान रखें इन बातों का

    इस वर्ष हम सभी ने देखा है कि किस प्रकार कोविड 19 ने लोगों के फेफड़ों और स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। इतना ही नहीं कोराेना वायरस कई लोगों के मृत्यु का कारण भी बना है। वैसे तो एक तरफ कोविड 19 से संक्रमित ज्यादातर लोगों का इलाज अभी तक सफल रहा है। लेकिन, वहीं ये भी जानना बेहद आवश्यक है कि यह वायरस शरीर और फेफड़ों को किस हद तक प्रभावित करता है और इससे बचने के रोकथाम क्या हैं।

    यह वायरस व्यक्ति को जीवन भर के लिए गंभीर रूप से प्रभावित कर भी कर सकता है। फिलहाल इसकी सभी जटिलताओं का पता तो नहीं लगाया जा सका है। लेकिन, ज्यादातर मामलों में यही देखा गया है कि इससे संक्रमित लोगों के फेफड़े काफी हद तक पहले जैसे सही ढंग से कार्य नहीं कर पाते हैं।

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    कोविड 19 ने दुनिया भर को यह यकीन दिला दिया है कि श्वसन संबंधी रोग कितना गंभीर और जानलेवा हो सकता है। इसी के साथ ही किस तरह कोई रोग हमारे शरीर में रक्त कोशिकाओं को सांस पहुंचाने वाले एयर ब्लॉक को क्षतिग्रस्त कर सकता है।

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    श्वसन संबंधी संक्रमणों का कारण केवल वायरस ही नहीं होते हैं। ऐसे कई अन्य संक्रमण भी मौजूद हैं, जो मनुष्य की श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें बैक्टीरिया, फूंगी और अन्य जीवाणु शामिल हैं, जो ऊपरी श्वसन नलिका (नाक या गले) और निचली श्वसन नलिका (फेफड़ों) को संक्रमित कर के ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे रोग का कारण बनते हैं।

    लंग इंफेक्शन के लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, बुखार, खांसी, सीने में दर्द, तेज सांस और वजन कम होना शामिल हैं।

    श्वसन संबंधी बीमारियों से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें

    • 1990 से लेकर 2017 तक श्वसन रोग के मामलों में 39.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
    • ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की एक स्टडी “इंजरी एंड रिस्क फैक्टर’ के आंकड़ों के अनुसार क्रोनिक डिजीज जैसे क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज का बोझ विकासशील देशों में 80 प्रतिशत ज्यादा है।
    • हर साल निमोनिया के कारण 7 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। इस मृत्यु दर में से 80 फीसदी बच्चे और बुजुर्ग होते हैं जिनकी उम्र 2 वर्ष और 65 वर्ष होती है।
    • ट्यूबरक्लोसिस के 1 करोड़ नए मामले और इसी के कारण होने वाली 15 लाख मृत्यु हर वर्ष दर्ज की जाती है। यह 5 वर्ष की आयु वाले बच्चों और 20 से 35 वर्ष के वयस्कों को अधिक  प्रभावित करता है। ट्यूबरक्लोसिस के कारण होने वाली मृत्यु के 95 फीसदी आंकड़े कम और मध्यम आय वाले देशों के होते हैं।
    • वायरल रेस्पिरेटरी इंफेक्शन महामारी के रूप में होते हैं और तेजी से एक समुदाय से दूसरे समुदाय के जरिए पुरे विश्व में फैल जाते हैं और कोविड-19 की तरह सर्वव्यापी महामारी या विश्वमारी बन जाते हैं।
    • कोविड 19 एक श्वसन संबंधी संक्रमण है जो अब तक विश्व भर में 3 करोड़ 10 लाख से भी ज्यादा लोगों को प्रभावित कर चूका है। इसके कारण दुनियभर में 9 लाख 76 हजार और भारत में 90 हजार से ज्यादा मृत्यु हो चुकी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि दुनिया भर के देशों पर भविष्य में इस विश्वमारी का बोझ और अधिक बढ़ सकता है।

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    इसीलिए लोगों के बीच हर वर्ष 25 सितंबर के दिन जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड लंग डे मनाया जाता है। आज की तारीख में कई संगठन इस दिवस का हिस्सा हैं, अनुमान लगाया जाता है कि 200 संगठन और कई लोग वर्ल्ड लंग डे के समर्थन में इस दिन जागरूकता फैलाने का कार्य करते हैं।

    इस साल विश्वभर में कोविड 19 महामारी के चलते श्वसन स्वास्थ्य को और भी अधिक महत्वत्ता दी जा रही है। यही कारण है कि इस वर्ष श्वसन संबंधी संक्रमण के कारण होने वाली बीमारियों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का एक बेहद अच्छा मौका है। इसीलिए वर्ल्ड लंग डे 2020 का मुख्य विषय “श्वसन संबंधी संक्रमण’ है।

    इस दिन को कई प्रकार के कार्यों को पूरा करने के रूप में मनाया जाता है, जिनमें से कुछ में निम्न शामिल हैं –

    • भविष्य में कोविड 19 महामारी को फैलने से रोकना और स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाना
    • प्रभावशाली और सस्ते इलाज व वैक्सीन को सभी के लिए मुहैया करवाना
    • अधिक जोखिम वाले लोगों ​​का परीक्षण कर के सही समय पर उनका इलाज करवाना
    • ऐसे टेस्ट का अविष्कार करना, जिनकी मदद से यह पता लगाया जा सके की किन लोगों का इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ सकता है और कौन खतरे में हैं।
    • हाई क्वालिटी वाले ट्रायल करना जिनकी मदद से बेस्ट वैक्सीन और इलाज का पता लगाया जा सके।
    • लोगों को इन्फ्लुएंजा और न्यूमोकोकल वैक्सीन के फायदों और सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना और साथ ही कोविड 19 की वैक्सीन बनने पर उसके बारे में भी जागरूकता फैलाना।

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    कोविड 19 ने पूरी विश्व को बुरी तरह से तहस-महस कर दिया है और लोगों को यह सीख भी दी है कि हमें श्वसन संबंधी रोग को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह मनुष्य के जीवन, स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।

    इसीलिए विश्वभर के हेल्थ सेक्टर में कोविड 19 जैसे रोगों का रोकथाम, इलाज और नियंत्रण व रेस्पिरेटरी हेल्थ सबसे उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

    एक बेहतर भविष्य के लिए रेस्पिरेटरी डिजीज पर शोध करना एक मात्र ऐसा विकल्प है, जो अच्छे परिणामों को ला सकता है। शोध के माध्यम से कुछ इस प्रकार के सवालों के जवाब प्राप्त हो सकते हैं – किन चीजों से फेफड़ों के रोग होने का खतरा रहता है, संक्रमण इनमें कैसे फैलता है, किन लोगों को अधिक खतरा होता है और इन्हें रोकने या इनका इलाज करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

    कम दामों और ज्यादा से ज्यादा फैलाव वाले तरीकों की मदद से लोगों को यह बताना बेहद जरूरी है कि वह किस तरह खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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