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योगा या जिम शरीर के लिए कौन सी एक्सरसाइज थेरिपी है बेस्ट

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/01/2022

    योगा या जिम शरीर के लिए कौन सी एक्सरसाइज थेरिपी है बेस्ट

    हर एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) के अपने फायदे हैं। चाहे जिम जाकर एक्सरसाइज करें या फिर योग। योग और एक्सरसाइज दोनों ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं, लेकिन दोनों में सबसे बेस्ट कौन है? इसकी बात करें, तो विशेषज्ञों के मत अलग-अलग हो सकते हैं। इस बारे में सबसे बेहतर वही बता सकते हैं, जिसे जिम व योग दोनों ही एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) में अनुभव हासिल की हो। आइए इस आर्टिकल में रांची के रहने वाले और नालंदा यूनिवर्सिटी से पीजीडीवाईसी कर चुके व वर्तमान में वियतनाम में सीनियर योगा इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर रहे अजीत कुमार सिंह से जानने की कोशिश करते हैं।

    30 साल का अनुभव रखने वाले अजीत बताते हैं कि मैंने जहां छह साल जिम में प्रोफेशनल की तरह वर्कआउट किया, वहीं बीते आठ साल से योग शिक्षा हासिल कर वियतनाम में प्रोफेशनल ट्रेनिंग दे रहा हूं। अजीत से जानते हैं कि एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) में कौन है बेहतर?

    एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy): योग है बेहतर

    एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) में योग बेस्ट इसलिए है क्योंकि यह प्राकृतिक तरीका है हेल्दी रहने का। एक्सपर्ट अजीत बताते हैं कि यह जल, आग, आकाश, धरती, वायु से मिलकर बना है। वहीं हमारा शरीर भी इनसभी तत्वों से बना है। यदि किसी के शरीर में आग यानि गर्मी ज्यादा है, तो उसे निश्चित तौर पर एसिडिटी की समस्या होगी। यदि किसी का वजन ज्यादा है, तो उसमें धरती का ज्यादा तत्व है। ऐसे में इन तत्वों का बैलेंस शरीर में होना जरूरी हो जाता है। यदि कोई इसे करना शुरू करे, तो यह भी एक प्रकार का नशा, लेकिन अच्छा नशा है। बुरी आदतों को छोड़ लोगों को जीवन में योग अपनाना चाहिए।

    अजीत कुमार सिंह, सीनियर योगा ट्रेनर
    अजीत कुमार सिंह, सीनियर योगा ट्रेनर

    कंप्लीट एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) है योग

    अजीत बताते हैं कि एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) में योग कंप्लीट बॉडी सॉल्यूशन है। अगर हम दोनों के बीच की तुलना करें, तो एक्सरसाइज से मसल्स को मजबूत बनाया जा सकता है। बॉडी को बेहतर शेप में लाया जा सकता है। बावजूद इसके यह कंप्लीट बॉडी सॉल्यूशन नहीं है। बल्कि योग थेरिपी में पूरे शरीर के स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है। दिल, लंग्स, दिमाग, मानसिक शक्ति, शारीरिक क्षमता, थायरॉइड ग्लैंड, मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ-साथ ब्लड सर्कुलेशन को ठीक और शरीर के एक-एक अंग को स्वस्थ रखा जा सकता है। योग के माध्यम से शरीर के तमाम ऑर्गन को एक्सरसाइज के जरिए स्वस्थ रखा जा सकता है। यह कारण है योग के माध्यम से शरीर की तमाम बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।

    योग से शरीर के आठ ग्लैंड करते हैं सुचारू रूप से काम

    नियमित योग करने से न केवल आप बीमारियों से दूर रहते हैं, बल्कि शरीर के तमाम ग्लैंड भी सुचारू रूप से काम करते हैं। शरीर में ग्लैंड अहम भूमिका निभाते हैं, वो कुछ ऐसा बनाते हैं या कुछ रिलीज करते हैं, जिस कारण शरीर सुचारू रूप से काम करता है। शरीर में कई प्रकार के ग्लैंड होते हैं, जो मुख्य रूप से दो प्रकार एंडोसिरिन व एक्सोसिरिन के अंतर्गत आते हैं। एंडोसिरिन ग्लैंड हॉर्मोन बनाने के साथ रिलीज करते हैं, जो हमारी रक्त कोशिकाओं से होते हुए शरीर में जाते हैं। यही हमारे विकास के साथ मेटॉबॉलिज्म, मूड, यहां तक कि रिप्रोडक्शन में मदद करते हैं।

    एंडोसिरिन ग्लैंड में एडरिनल ग्लैंड, पिट्यूटरी ग्लैंड, हायपोथेलमस ग्लैंड, थॉयरायड ग्लैंड, पिनिअल ग्लैंड आता है। वहीं हमारे शरीर में कुछ अंग ऐसे हैं, जिसमें एंडोसिरिन टिशू होते हैं, जो ग्लैंड के रूप में काम करते हैं। इनमें पैनक्रियास, किडनी, ओवरी व टेस्टिस भी आता है।

    एक्सोसीरीन ग्लैंड के अंतर्गत यह हॉर्मोन की बजाय खास प्रकार के पदार्थ प्रोड्यूस करते हैं जैसे पसीना, लार एवं आंसू। ये सभी शरीर में काफी अहम रोल अदा करते हैं। हमारे शरीर का तापमान नियंत्रित करने के साथ यह स्किन व आंखों की रक्षा करते हैं। वहीं स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में शिशु को दूध पिलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क बनाने में मददगार होते हैं। एक्सोसिरिन ग्लैंड में सेलीवेरी, पसीना, मैमैरी, सेबेकियसल, लैक्रिमल आता है। ऐसे में योग कर तमाम ग्लैंड के साथ हार्ट, लंग्स, एब्डोमिन, पेट, लीवर आदि हेल्दी रहते हैं। नियमित योग से हेल्दी रहने के साथ-साथ बुजुर्गों में होने वाली शारीरिक या मानसिक परेशानियों से भी बचा जा सकता है।

    एक्सरसाइज थेरेपी

    पुरुषों के शुक्राणु रहते हैं स्वस्थ

    एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) के तहत एक्सपर्ट अजीत सिंह ने कहा कि नियमित योग करने से खासतौर पर शीर्षासन करने से पिट्यूरिटी ग्लैंड पर दबाव बनता है। ऐसे में दबी हुई मांसपेशियों में रक्तसंचार अच्छे से होता है। इसका फायदा यह होता है कि पुरुषों में जहां स्पर्म क्वॉलिटी अच्छी होती है। वहीं एक्सरसाइज थेरिपी में जिम की बात करें, तो कंप्लीट बॉडी की एक्सरसाइज संभव नहीं है। बल्कि योग में बाल से लेकर पांव के नाखून तक का इस्तेमाल होता है। वहीं शरीर का हर एक अंग एक्टिव हो जाता है। यह एक्सरसाइज में संभव नहीं है।

    एंटी ग्रेविटी एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) है योग

    जिम से तमाम एक्सरसाइज ग्रेविटी के साथ शरीर को स्वस्थ्य बनाने में काम करते हैं, लेकिन योग एंटीग्रेविटी होता है। कई योगाभ्यास में एंटी ग्रेविटी आसन किया जाता है। ऐसा करने से शरीर का ब्लड ब्रेन (दिमाग) तक पहुंचता है। वहीं सामान्य मुद्रा में आने पर ब्लड सर्क्युलेशन अच्छा होता है। किसी अन्य एक्सरसाइज में एंटी ग्रेविटी का कोई भी आसन नहीं है। यही वजह है कि यह काफी लाभकारी माना जाता है।

    एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) में योगाभ्यास-योगासन करने के फायदे

    एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) के तहत योगाभ्यास या योगासन करने से काफी फायदा होता है। इसके शारीरिक लाभ के साथ मेंटली तौर पर भी स्वस्थ रहा जा सकता है। यह फायदा हमें अन्य एक्सरसाइज में कम देखने को मिलता है। योग करने से व्यक्ति के जीवन में शांति आती है, वह आध्यात्म से जुड़ता है। नियमित योग से किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित करने में भी लाभ मिलता है।

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    जिम के हैं अलग फायदे

    अजीत कुमार सिंह ने कहा कि योग जिम से काफी अलग है। वहीं जिम के भी फायदे हैं, लेकिन योग जितने नहीं। यदि कोई अच्छे ट्रेनर के साथ में वर्कआउट करता है, तो उसकी बॉडी का शेप अच्छा आता है। क्योंकि इसमें रनिंग, जॉगिंग, वेट लिफ्टिंग से लेकर तमाम एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) शामिल हैं। बावजूद इसके यह कंप्लीट हेल्थ बेनीफिट नहीं देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिम से हम मेंटली रूप से स्वस्थ्य नहीं हो सकते हैं।

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    एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) में जिम के नुकसान पर एक नजर

    जिम के नुकसान की बात करें, तो जिम करने वाले व्यक्ति के मसल्स टाइट हो जाते हैं। इससे फिजिकल अपीयरेंस तो अच्छा आता है। यानि देखने में हट्टे कट्ठे नौजवान की तरह फिट दिखता है, लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि रेंज ऑफ मोशन कम हो जाता है। यानी एक अच्छा जिम करने वाले व्यक्ति का हाथ सामान्य लोगों की तुलना में ऊपर नहीं उठता है। शोल्डर हमेशा उठे हुए रहते हैं। शरीर में फ्लेक्सिब्लिटी की कमी हो जाती है और तो और जिम करने वाला व्यक्ति कभी भी पीछे की तरफ नहीं मुड़ पाता है। वहीं जो व्यक्ति जिम करता है औसतन आप उसने सवाल करें, तो अधिकतर लोगों चक्कर आने की समस्या होती है। ऐसा योगाभ्यास करने वालों के साथ नहीं होता है।

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    जिम के अन्य नुकसान

    • उम्र बढ़ने के साथ अर्थराइटिस की बीमारी का खतरा बना रहना
    • शरीर का रेंज ऑफ मोशन कम होना
    • मसल्स का कांट्रैक्ट होना
    • चक्कर आना, सिरदर्द की समस्या होना
    • स्पाइनल नर्व प्रेस की तकलीफ
    • शोल्डर को ऊपर की ओर न उठा पाना
    • कंधों का सिकुड़ना

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    योगाभ्यास के फायदों

    एक्सपर्ट बताते हैं कि नियमित योग करने से व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ्य रह सकता है। इसमें तमाम एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) से जिससे शरीर के लिए लाभदायक हैं वहीं बीमारियों से बचाती हैं। नियमित योग करने से व्यक्ति जहां वेट लिफ्टिंग कर सकता है। वहीं उसका बैलेंस भी अच्छा होता है। शरीर में लचीलापन आने से वो हर एक काम को आसानी से कर पाता है। इसके अलावा व्यक्ति की जहां स्ट्रेंथ बढ़ती है वहीं मोबिलिटी बढ़ने के साथ-साथ सहनशक्ति में भी इजाफा होता है। इसके साथ ही नीचे बताए गए फायदे भी होते हैं।

    • वेट लिफ्टिंग
    • बैलेंस
    • बॉडी लचीली होती है
    • स्ट्रेंथ
    • मोबिलिटी
    • सहनशक्ति

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    योग से जुड़े महत्व को जानने के लिए के लिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें:

     शरीर के साथ ऑब्जेक्ट की ली जाती है मदद

    कई बार आप देखते होंगे कि कोई व्यक्ति दीए और मोमबत्ती या फिर इसी प्रकार की अन्य किसी वस्तु के साथ योगाभ्यास करता है। जब व्यक्ति कुछ समय के बाद तमाम आसनों में पारंगत हो जाता है, तो उसके बाद वह ऑब्जेक्ट के साथ योगाभ्यास करना शुरू करता है, ताकि अपने ध्यान को और ज्यादा से ज्यादा केंद्रित कर सके। योग के जरिए ही 40 प्रकार की बीमारियों का इलाज संभव है। मौजूदा समय में घर-घर में शुगर, हाय और लो ब्लड प्रेशर, अस्थमा, सिरदर्द, स्पाइनल प्रॉब्लम, डिस्क प्रॉब्लम, नर्व प्रॉब्लम, डायजेशन प्रॉब्लम, शोल्डर का न उठना, स्पोंडिलाइटिस, अर्थराइटिस, यूरिक एसिड का बढ़ना, कब्जियत, चक्कर आना, बॉडी स्टिफनेस, आंखों की समस्या, सांस संबंधी समस्या के साथ कार्डियोवैस्कुलर डिजीज तक को ठीक करने में कारगर होता है।

    एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) की मदद कब ली जाती है?

    एक्सरपर्ट किसी प्रकार की बीमारी को ठीक करने के लिए या फिर दर्द को ठीक करने के लिए एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) की मदद लेते हैं। इसके अलावा कई लोग फिजिकल थेरिपी की मदद भी लेते हैं। इसमें भी किसी प्रकार की इंजुरी डिसएब्लिटी, बीमारी या फिर किसी समस्या को ठीक करन के लिए फिजिकल ट्रेनर की मदद लेकर बीमारी ठीक करते हैं। इसकी खासियत यह है कि इसके द्वारा दर्द नहीं रहता वहीं सर्जरी की भी जरूरत नहीं पड़ती है। ट्रामा के बाद इंजुरी ठीक करने में भी मददगार है। स्ट्रोक या पैरालाइसिस से रिकवरी में भी मदद करता है, बैलेंस बनाने के साथ उम्र संबंधी बीमारी से हमारी रक्षा करता है।

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    इन मामलों में फिजिकल थेरिपी की डॉक्टर देते हैं सलाह

    • दर्द मिटाने में
    • अंगों की मुवमेंट एबिलिटी को बढ़ाने में
    • स्पोर्ट्स इंजरी से जल्द से जल्द रिकवर होने में
    • किसी प्रकार की डिसएबिलिटी और सर्जरी से निजात पाने के लिए
    • स्ट्रोक, एक्सीडेंट, इंजरी और सर्जरी के बाद रिकवर होने के लिए
    • शरीर के बैलेंस को मजबूत करने के लिए
    • क्रानिक बीमारी जैसे डायबिटीज, हार्ट डिजीज और आर्थराइटिस से बचाव के लिए
    • शिशु को जन्म देने के बाद तंदरुस्त होने के लिए
    • शरीर के बॉवेल और ब्लॉडर को कंट्रोल करने के लिए
    • आर्टिफिशियल अंग लगाने के लिए शरीर को उसके हिसाब से ढालने के लिए

    हम आशा करते हैं कि एक्सरसाइज थेरिपी (Exercise therapy) पर लिखा यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाॅक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा और उपचार प्रदान नहीं करता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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