आइसोकाइनेटिक व्यायाम एक स्ट्रेंथ ट्रेनिंग व्यायाम है। जोकि मांसपेशियों को टोन्ड करने के साथ शरीर के लचीलेपन को भी बढ़ाता है। यह मांसपेशियों की क्षमता को भी बढ़ाता है। यह आपको फिट रखने के साथ आपको वेट को भी कंट्रोल में रखता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से आपकाी रोजमर्रा की गतिविधियां आसान हो जाती हैं। इससे आपकी बॉडी को पॉजिटिव बेनेफिट् मिलते हैं।
साल 2008 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि आइसोकाइनेटिक ट्रेनिंग के दौरान कुछ प्रोफेशनल फुटबॉल खिलाड़ियों में घुटने की मांसपेशियों की की स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए इसका उपयोग किया था। जिसमें इसके सकारात्मक परिणाम पाए गएं। इसी तरह यह एक्सरसाइज भी पुराने वयस्कों में , जिनें घुटने की पुरानी प्रॉब्लम है, तो उनके लिए भी इसे बेस्ट पाया गया। यानि कि ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में आइसोकाइनेटिक व्यायाम प्रभावी हो सकता है।
इसी तरह साल 2016 के अध्ययन में पाया गया कि आइसोकाइनेटिक मांसपेशियों को मजबूत करने से मोटापे से ग्रस्त लोगों में एरोबिक व्यायाम से काफी प्रभाव देखने को मिला। आइसोकाइनेटिक एक्सराइज मांसपेशियों की ताकत में सुधार के साथ डिप्रेशन, तनाव, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या में भी प्रभावकारी है।
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आइसोकाइनेटिक एक्सराइज के रिस्क (Risk of isokinetic exercise)
वैसे तो आइसोकाइनेटिक एक्सराइज शरीर में मांसपेशियों के लिए काफी प्रभावकारी है। इससे हेल्थ या बॉडी को किसी तरह का नुकसान नहीं है। लेकिन फिर भी अपनी तरफ से ध्यान से करना आवश्यक है। यह चोट से बचाने से भी मदद करता है। लेकिन आप इसे अपने थेरिपिस्ट की सलाह पर ही करें।
इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सभी मशीन का अलग-अलग रोल होता है, जैसे कि
कुछ मशीन केवल बॉडी टोन्ड के लिए होती है, तो कुछ अलग-अलग प्रकार की डिजीज के लिए होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी शरीर की जरूरत क्या है। इसलिए इसकी शुरूआत आप इस बात को तय करते हुए करें कि आपका लक्ष्य क्या है। उसी के अनुरूप मशीन का इस्तेमाल करें।
आइसोकाइनेटिक के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन से
आप कइ तरह की एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसके लिए आपको यह पता होना चाहिए कि आपको उसे इस्तेमाल कैसे करना है। लेकिन शुरूआत आप अपने ट्रेनर की मदद से ही करें।
यदि आप ट्रेडमिल का उपयोग कर रहे हैं, तो प्रत्येक सत्र 30 से 60 मिनट तक का समय आपको देना होगा। आप अपनी स्पीड और टाइम को धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं। आप प्रति सप्ताह कम से कम तीन दिन वर्कआउट के बीच एक या दो दिन आराम करें। इसी तरह से स्ट्रेथ ट्रेनिंग के 8 से 15 रेप्स के 2 से 3 सेट करें। सुनिश्चित करें कि आप हमेशा धीरे-धीरे और नियंत्रण के साथ आगे बढ़ें। एकदम से हैवी वेट लिफ्टिंग न करें।