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शून्य मुद्रा क्या है?
शून्य मुद्रा को हेवन (Heaven) मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शून्य का अर्थ है “आकाश’। ऐसा माना जाता है कि इस मुद्रा को करने वाले लोग लगातार अभ्यास करने पर अनाहत नाद को सुन पाते हैं। ये अनाहत नाद सामान्य ध्वनियां नहीं हैं। इन्हें केवल उन योगियों द्वारा सुना जा सकता है जो बहुत लंबे समय से इस ध्यान का अभ्यास कर रहे हैं। इस प्रकार, वो लोग शांति का आनंद ले सकते हैं। यह मुद्रा व्यक्ति को दूसरे ही संसार तक ले जाती है। दरअसल इस मुद्रा को करने से उन्हें यह महसूस होता है कि वो किसी दूसरी दुनिया में हैं। इस मुद्रा में हाथ की बीच वाली उंगली का प्रयोग होता है, जो आकाश का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि अंतरिक्ष दुनिया भर में है और यह हमारे शरीर की हर कोशिका में है। शरीर में आकाश तत्व की अधिकता शरीर में होने वाली गड़बड़ी और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बनती है – जैसे हृदय की कमजोरी, कान की समस्या, सिरदर्द या चक्कर आदि। शून्य मुद्रा को करने से आकाश तत्व की अधिकता से जुड़ी समस्याओं को हल करने में मदद मिलती है।
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शून्य मुद्रा को करने का तरीका क्या है?
शून्य मुद्रा को करना बेहद आसान है। इस प्रकार करें शून्य मुद्रा-