एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में ऑटिज्म सेंटर के शोधकर्ताओं ने खाने की समस्याओं और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से संबंधित सभी प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा और विश्लेषण किया है। उन्होंने इस समीक्षा में पाया कि, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) (Autism spectrum disorder (ASD) वाले बच्चों में भोजन की चुनौतियां होने की संभावना सामान्य बच्चों से पांच गुना अधिक हो सकती हैं, जैसे कि खाने को लेकर बच्चे के नखरे, क्या खाना है इसके लिए बहुत ही चुन कर खाना खाना या उनका ईटिंग बिहेवियर।
सामान्य तौर पर देखा जाए, तो हर बच्चे में इस तरह की आदतें विशेष रूप से देखी जा सकती हैं, लेकिन ऑटिज्म प्रभावित बच्चे में इस तरह की आदतें पांच गुना तक अधिक हो सकती हैं। जिसके कारण उन्हें उचित पोषण न मिलने के कारण ऑटिज्म वाले बच्चों में कैल्शियम और प्रोटीन जैसे जरूरी विटामिंस की अधिक कमी हो सकती है। जो शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है। यही एक सबसे मुख्य कारण भी हो सकता है कि अक्सर ऑटिज्म प्रभावित बच्चों की हड्डियां काफी कमजोर होती हैं। जिसका मुख्य कारण उनके आहार में कैल्शियम की भारी कमी के कारण हो सकता है।
इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इस तरह की समस्याएं बच्चे के खराब मानसिक विकास के कारण उनकी सामीजिक परेशानियों को काफी अधिक बढ़ा सकती हैं। इससे किशोरावस्था और वयस्क होने पर मोटापा और हृदय रोग जैसी आहार संबंधी बीमारियों का खतरा भी अधिक बढ़ सकता है।
कितना सुरक्षित है ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स से केसिन से बचना?
कई माता-पिता का कहना है कि ऑटिज्म प्रभावित बच्चे के आहार से केसिन की मात्रा (दूध) और ग्लूटेन (गेहूं प्रोटीन) को हटाने से उनके लक्षणों में काफी सुधार होता है। हालांकि, ऐसा करना ऑटिज्म के लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों ने चिंता जाताई है कि ऐसा करने स बच्चे का आहार अधूरा रह सकता है। अगर आप अपने ऑटिज्म प्रभावित बच्चे के आहार से केसिन की मात्रा हटाने का विचार रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें कि बच्चे को कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा प्रदान करने वाले अन्य आहार या तरीके क्या हो सकते हैं।
अगर इससे जुड़ा आपको कोई सवाल है, तो उसके बार में कृपया अपने डॉक्टर की उचित सलाह लें।