ब्रेस्ट कैंसर की पहचान से पहले जानते है आखिर यह स्तन कैंसर क्या है? भारत में हर साल 1 लाख में 30 महिलाओं को स्तन कैंसर की बीमारी होती है। लेकिन, यह मान लेना बिल्कुल गलत है कि ब्रेस्ट कैंसर हो जाए तो मौत निश्चित है। अगर ब्रेस्ट कैंसर की पहचान शुरू में ही हो जाए तो स्तन कैंसर का इलाज सफल रूप से किया जा सकता है। ब्रेस्ट में गांठ, स्तन की त्वचा में बदलाव, निप्पल के आकार का बदलना, स्तनों का सख्त होना, स्तन के आस-पास गांठ होना, निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना या स्तन में दर्द महसूस होना ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हैं।
स्तन कैंसर के कारण क्या हैं?
अस्त-व्यस्त दिनचर्या और असंतुलित खानपान की वजह से महिलाओं में तेजी से ब्रेस्ट कैंसर बढ़ रहा है। शराब या सिगरेट का सेवन करना, पहले गर्भधारण में देरी होना, बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग न करवाना, शरीर का वजन अत्यधिक बढ़ना, बर्थ कंट्रोल पिल्स (birth control pills) का सेवन करना, हार्मोनल बदलाव आदि स्तन कैंसर के कारण बनते हैं। वहीं, अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो, उम्र बढ़ना, कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाना आदि बातें कैंसर का खतरा और बढ़ा देती हैं। मोनोपॉज के बाद हॉर्मोन रिप्लेसमेंट (hormone replacement) कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 20 गुना ज्यादा होता है। इसलिए, अगर ऐसी कोई स्थिति है तो ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन (breast self examination) जरूरी होता है। जानते हैं खुद से स्तनों की जांच कैसे की जाए?
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ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए खुद से स्तनों की जांच का तरीका
25 से 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए खुद से ब्रेस्ट की जांच (Breast Self Examination) जरूर करनी चाहिए।