अक्वायर्ड लिपोडायस्ट्रॉफी सिंड्रोम की बीमारी इंफेक्शन होने के कारण होती है। वैसी बीमारी है जिसके कारण इम्युन सिस्टम हमारी बॉडी पर अटैक करता है। ट्रॉमा के कारण, इंसुलिन शॉट को एक ही जगह बार बार लगाने की वजह से, वहीं कई मामलों में डॉक्टर और एक्सपर्ट को भी यह पता नहीं होता कि इस बीमारी के होने का कारण क्या है।
लेप्टिन लेवल टेस्ट को कर लिपोडायस्ट्रॉफी का पता लगा सकते हैं (Lipodystrophy Diagnosis)
इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर फैट लॉस और गेन के कारण शरीर में असामान्य विकास को देखेंगे। इसके लिए एक्सपर्ट ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं, जिसमें लेप्टिन लेवल की जांच की जाती है। वहीं पता लगाया जाता है कि मरीज को कहीं कोई अन्य मेटाबॉलिक संबंधी बीमारी तो नहीं। जैसे इंसुलिन रेजिस्टेंस, डायबिटीज, और एलिवेटेड ब्लड लिपिड लेवल।
कई केस में जेनेटिक टेस्टिंग भी की जाती है, ताकि जेनेटिक म्यूटेशन का पता कर यह जाना जा सके कि यह बीमारी अनुवांशिक कारणों से तो नहीं हो रही है।
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लिपोडायस्ट्रॉफी का कैसे होता है इलाज जानें (Lipodystrophy Treatment)
- बीमारी का इलाज : मेटाबॉलिक एब्नॉर्मेलिटी के मामले में भी वही इलाज चलता है जो डायबिटीज और हाई ब्लड कोलेस्ट्रोल जैसी स्थिति से निपटने के लिए दिया जाता है। इसके तहत मरीज को लाइफस्टाइल में बदलाव करने के साथ-साथ दवा का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
- अक्वायर्ड लिपोडायस्ट्रॉफी : इसके तहत डॉक्टर आपको कुछ सुझाव दे सकते हैं, जैसे यदि आप एक ही जगह पर बार बार इंसुलिन शॉट्स लेते हैं तो इस मामले में एक जगह पर इंसुलिन शॉट्स नहीं लेने की सलाह दी जाती है।
- सर्जरी : इस बीमारी से ग्रसित लोगों का सर्जरी करके भी इलाज किया जाता है।
- जर्नलाइज्ड लिपोडायस्ट्रॉफी : लेप्टिन डेफिशिएंसी से ग्रसित लोगों का इलाज करने के लिए 2014 में फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने मेट्रिलेप्टिन (metreleptin ) की दवा व इंजेक्शन के इस्तेमाल की स्वीकृति प्रदान की थी। कंजीनाइटल जर्नलाइज्ड और अक्वायर्ड जर्नलाइज्ड टाइप के मरीजों को उनके खानपान में कुछ बदलाव कर इस दवा को देकर इलाज किया जाता है। इस दवा के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, शरीर में इस प्रकार का बदलाव दिखे तो डॉक्टरी सलाह लें, जैसे वजन का घटना, पेट दर्द, थकान, हायपोग्लाइसीमिया, सिर दर्द हो सकता है।
- डाइट और लिपोडायस्ट्रॉफी : मौजूदा समय में कोई भी डाइट प्लान नहीं है जिसे अपनाकर इस बीमारी के लक्षणों को कम कर सकें, व बीमारी दूर कर सकें। लेकिन बीमारी से पीड़ित लोगों को लो फैट डाइट का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
रेयर है बीमारी, फिर भी लक्षण दिखें तो डॉक्टरी सलाह लें
बता दें कि यह बीमारी काफी रेयर है। बेहद कम ही लोगों में देखने को मिलती है। फिर भी यदि कोई इस बीमारी से ग्रसित होता है तो उन्हें डॉक्टरी सलाह लेकर इलाज कराना चाहिए। वहीं शरीर में कहीं भी असमान्य रूप से फैट बढ़ रहा है या फिर फैट कम हो रहा है तो ध्यान देना चाहिए, ताकि समय रहते डॉक्टरी सलाह लेकर इलाज कराया जा सके।