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चिकनगुनिया होने पर मरीज का क्या होना चाहिए डायट प्लान(diet plan)?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Mishita sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/08/2020

    चिकनगुनिया होने पर मरीज का क्या होना चाहिए डायट प्लान(diet plan)?

    चिकनगुनिया से पीड़ित हुए लोगो में से काफी लोगों ने बीमारी ठीक हो जाने के 1 साल बाद भी जोड़ो में दर्द की शिकायत की है। इन सारी समस्याओं से लड़ने के लिए जरूरी है इम्युनिटी, जो कि एक सही डायट से ही मिल सकता है। इस आर्टिकल में हम चिकनगुनिया डायट के विषय में जानेंगे, साथ ही ये भी देखेंगे कि चिकनगुनिया डायट किस प्रकार से चिकनगुनिया के मरीज को आराम पहुंचाता है।

    चिकनगुनिया और चिकनगुनिया डायट

    चिकनगुनिया, वायरल संक्रमण का एक प्रकार है, जो कि मच्छर के काटने से होता है। इस बुखार में मरीज को जोड़ों में काफी दर्द होता है, साथ ही बहुत कमजोरी होती है।इसके अलावा सर दर्द और शरीर पर चकत्ते के निशान हो सकते हैं। मच्छर के काटने के तकरीबन 2 से 7 दिनों के बाद चिकनगुनिया बुखार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। अभी तक चिकनगुनिया का किसी प्रकार का कोई वैक्सीन या दवा उपलब्ध नहीं है। सामान्य बुखार और दर्द की दवा के रूप में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को चिकनगुनिया के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। डब्लूएचओ (WHO) के अनुसार एंटी-इंफ्लामेटरी (anti-inflammatory) दवाई चिकनगुनिया के रोगी के लिए इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए।

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    चिकनगुनिया के लक्षण

    चिकनगुनिया के मरीजों में ये कुछ आम लक्षण दिखते हैं-

    • चिकनगुनिया में सबसे सामान्य लक्षण है बुखार का आना।
    • इसके अलावा चिकनगुनिया के मरीजों में जो लक्षण देखे गए हैं, वह हैं सर में दर्द होना, मांसपेशियों में दर्द ,जोड़ों में दर्द , सूजन और शरीर पर चकत्ते ।
    • कुछ मरीजों ने ठंड के साथ बुखार के होने जैसे लक्षणों को भी महसूस किया है।
    • वैसे तो बहुत ही कम संख्या में लोगों ने लक्षण को महसूस किया है, परंतु चिकनगुनिया के अन्य लक्षण हैं कंजेक्टिवाइटिस (conjunctivitis), मितली आना या फिर उल्टी होना।

    चिकनगुनिया डायट प्लान

    चिकनगुनिया की बीमारी में डॉक्टर ज्यादातर तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा यह भी बहुत जरूरी है शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़े तथा शरीर को शक्ति मिले रोग से लड़ने के लिए। कुछ महत्वपूर्ण भोजन के प्रकार इस प्रकार हैं-

    चिकनगुनिया डायट: पानी

    किसी प्रकार की बीमारी में, शरीर में रहे हुए सारे विषैले तत्व की निकासी बहुत जरूरी होती हैं। इसके लिए भरपूर मात्रा में पानी पीना बहुत आवश्यक होता है। संभव है कि व्यक्ति को पानी का स्वाद पसंद ना आए ऐसी अवस्था में उसे जूस नींबू पानी या फिर नारियल का पानी भी दिया जा सकता है। इसके अलावा थोड़ा-सा फलों के गूदे को भी इसमें मिलाया जा सकता हैं। इस तरह व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है और वह अच्छा महसूस करता है।

    चिकनगुनिया डायट: सूप या हर्बल चाय

    अनेक प्रकार के सब्जियों का सूप या फिर चिकन सूप जो कि घर पर बना हो,मरीज को दिया जा सकता है। बाजार के बने तैयार सूप के पैकेट का इस्तेमाल ना करें। यह हानिकारक हो सकता है और लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। घर पर बनी हुई हर्बल चाय भी सेहत के लिए काफी अच्छी हो सकती है। इसके लिए आप एक कप पानी में सौंफ,अजवाइन, जीरा यह सब मिलाकर के दे सकते हैं, जो कि जोड़ों के दर्द को ठीक करने में सहायता करते हैं।

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    चिकनगुनिया डायट: फल और सलाद

    ज्यादा तबियत खराब होने पर चाहे वह बच्चे हो या बड़े, उन्हें खाना खाने की इच्छा नहीं होती है। ऐसी स्थिति में फलों का सेवन अच्छा विकल्प है जितना हो सके मरीज को सेब, मोसम्बी ,नाशपाती और केले खिलाएं। सिट्रस(citrus) फल शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति के लिए काफी अच्छे होते हैं। साथ ही पपीता प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। सुनिश्चित करें कि मरीज को अधिक से अधिक मात्रा में सिट्रस (citrus)फल तथा पपीता खिलाया जाए। सलाद जैसे कि चुकंदर, ककड़ी,  गाजर सेहत के लिए काफी अच्छा होता है। अगर मरीज को यह दिया जाता है तो उसकी हालत में सुधार होता है।

    चिकनगुनिया डायट: दलिया

    दलिया बहुत ही अच्छा विकल्प है। इसमें आप विभिन्न प्रकार की दालें और सब्जियां मिला करके बहुत ही अच्छी रेसिपी बना सकते हैं। इस तरह का खाना संपूर्ण रुप से स्वास्थ्यवर्द्धक भी होता है,और बीमार व्यक्ति को खाने की इच्छा भी होती है।

    चिकनगुनिया में क्या न खाएं

    चिकनगुनिया में किसी प्रकार के खाने से परहेज करने की जरूरत नहीं होती। फिर भी ये जरूरी हैं कि, खाना तैयार करने में साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए।

    चिकनगुनिया डायट: मीठा खाना ना खाए

    मीठा खाना कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है तथा ऊर्जा भी प्रदान करता है। लेकिन इस प्रकार के खाने को तेज बुखार या बीमारी में नहीं खाना चाहिए। इस प्रकार के खाने से को पचाने में लीवर को काफी परेशानी होती है। शरीर का की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होने की वजह से शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है।

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    चिकनगुनिया के कुछ घरेलू इलाज

    गिलोय

    गिलोय जड़ी बूटी है। यह अर्थराइटिस, जलन या किसी प्रकार के इंफेक्शन यानी कि संक्रमण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह हर्ब किसी भी प्रकार के टॉनिक और कैप्सूल की जगह पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी व्यक्ति के लिए 1 दिन में 1 ग्राम का इस्तेमाल सही माना गया है। वही 5 साल से छोटे बच्चों के लिए 250 मिलीग्राम का इस्तेमाल किया जा सकता है। गिलोय चिकनगुनिया के लिए घरेलू इलाज के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।

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    पपीते के पेड़ के पत्ते

    पपीते के पेड़ का पत्ता काफी असरदार इलाज माना गया है चिकनगुनिया के लिए। सात से आठ अच्छे पत्तों को साफ कर उसमें से तना निकालें और अच्छे से पीसकर पेस्ट बना लें । इसके बाद इससे छान के पानी को अलग कर लें। इस पानी का इस्तेमाल हर 3 घंटे के अंतराल पर किया जा सकता है यानि मरीज को हर 3 घंटे पर 1-2 चम्मच पपीते के पत्ते का पानी दिया जा सकता है। पपीते के पत्ते का पानी संक्रमण को दूर कर बुखार को ठीक करने में  काफी कारगर माना गया है।

    हल्दी

    हल्दी को एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक माना गया है। साइंस में भी इसके ऊपर काफी सारे रिसर्च हुए हैं और अभी भी हो रहे हैं। हल्दी प्राकृतिक रूप से शरीर का रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने की क्षमता रखता है। चिकनगुनिया होने पर एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर देने से मरीज को काफी आराम मिलता है। हल्दी का एंटीबायोटिक तत्व शरीर के वायरस से लड़ने का काम करता है। अगर आप चाहें तो हल्दी का सेवन गर्म पानी के साथ ही कर सकते हैं। एक चम्मच हल्दी खाली पेट लेने से हर तरह के वायरस तथा बैक्टीरिया से सुरक्षा मिलती है।

    चिकनगुनिया चाहे घातक बीमारी ना हो, परंतु संपूर्ण रूप से स्वस्थ होने के लिए जरूरी है की अच्छा भोजन दिया जाए और अच्छी तरह से आराम किया जाए। किसी भी प्रकार के भोजन अथवा घरेलू उपचार से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें, बिना डॉक्टर से सलाह लिए खुद से इलाज करना हानिकारक साबित हो सकता है।

    डिस्क्लेमर

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