कार्डिएक एरिथमिया, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक जैसे ह्रदय रोग दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनते जा रहे हैं। ह्रदय रोग का खतरा कई वजहों से हो सकता है खासकर हमारी बिगड़ी हुई जीवनशैली की वजह से। उदाहरण के तौर पर असंतुलित आहार, फैट का ज्यादा सेवन, एक्सरसाइज न करना और मोटापा आपको दिल की बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। मोटापे की वजह से हमारे खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। वहीं एक नई रिसर्च के मुताबिक अब हमारे काम के दौरान बढ़ता तनाव भी दिल की बीमारी का एक बढ़ा कारण बन गया है।
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तनाव और हृदय रोग के बीच का संबंध (Stress and Heart Disease)
तनाव कई तरह से हमारे कार्डियोवेस्क्युलर सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जो ह्रदय रोग का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ा रहा है। फिनलैंड में हुई एक रिसर्च के मुताबिक तनाव में काम करने वाले लोगों में दिल की बीमारी से मौत की संभावना बिना तनाव में काम करने वाले लोगों से दोगुना थी। साथ ये देखा गया कि तनाव के साथ-साथ जो व्यक्ति समाज में घुलमिल नहीं पाता और कम आमदनी पर काम करता है उसमें दिल की बीमारी से मौत की संभावना ढाई गुना तक थी।
ऐसे की गई रिसर्च
इस रिसर्च में जॉब करने वाले कई लोगों पर टेस्ट किए गए। इसके लिए सवालों का एक सेट बनाया गया, लोगों के इंटरव्यू लिए गए और उनके मेडिकल टेस्ट किए गए। इस सबके आधार पर उनके तनाव, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और बीएमआई के आंकड़े जुटाए गए। इसमें पता चला कि जो लोग ज्यादा तनाव लंबे समय तक लेते रहे, उनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा और बीएमआई ज्यादा था। इसका सीधा मतलब था कि ये लोग ह्दय रोगी बनने की कगार पर थे या बन चुके थे।
बहुत अधिक तनाव उच्च रक्तचाप या हृदय रोग वाले लोगों के लिए अनुकूल नहीं है। सात देशों में की गई 13 संयुक्त शोधों में पता चला कि करीब 2 लाख में से 30214 लोग अत्यधिक दबाव में काम कर रहे हैं। ये दवाब अतिरिक्त कार्यभार, काम करने का समय और दबाव और निर्णय लेने की स्वतंत्रता की वजह से था। शोधकर्ताओं ने 2 लाख में से 3.4 प्रतिशित लोगों में सभी प्रकार की दिली की बीमारी होने की संभावना का पता लगाया। शोध में ये भी सामने आया कि कैसे ऑफिस में अच्छा माहौल बनाकर, काम के बीच-बीच में वॉकिंग और बातचीत कर स्ट्रेस से बचा जा सकता है जो दिल की बीमारी का सबसे बड़ा कारण है