हेपेटाइटिस बी के लिए जांच
अगर आपके डॉक्टर को अपके अंदर हेपेटाइटिस के लक्षण देखते हैं, तो वे आपको ब्लड टेस्ट कारने की सलाह दे सकते हैं। ब्लड टेस्ट से इस बात की पुष्टि हो सकती है कि पीड़ित में इसका वायरस है कि और साथ ही इस बात का भी पता लगाया जा सकता है कि यह वायरस पीड़ित के शरीर में कब से है। इसके अलावा डॉक्टर लिवर बायोप्सी कराने की भी सलाह दे सकता है। क्योंकि इस बीमारी में लिवर को ही नुकसान होता है और यह देखने के लिए कि लिवर को कितना नुकसान हुआ है डॉक्टर इस जांच की सलाह देता है। लिवर बायोप्सी में लिवर के कुछ टिश्यूज के नमूने लेकर उन्हें टेस्ट के लिए भेजता है।
हेपेटाइटिस बी से बचाव और इलाज
हेपेटाइटिस से बचाव का सही विकल्प है कि शुरुआत में ही इसके लक्षणों को पहचान कर मेडिकल हेल्प ले ली जाएं। लेकिन, कई बार इसके लक्षण कई सालों तक नहीं दिखते हैं ऐसे में अपने डॉक्टर से सलाह लेना ठीक रहेगा। इसके अलावा अगर आपको आशंका है कि आप इसके वायरस के संपर्क में आए हैं , तो हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए यदि आप 12 घंटे के भीतर ही हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोबेयुलिन का इंजेक्शन लगवाते हैं, तो हेपेटाइटिस बी के आपके शरीर में विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। वायरस के संपर्क में आने के बावजूद यदि आप कोई भी वैक्सीनेशन नहीं लगवाते हैं, तो आपको क्रोनिक या एक्यूट हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छी लाइफ स्टाइल बनाए रखें
हेपेटाइटिस बी छूने, हाथ मिलाने, किस करने आदि चीजों से नही फैलता है। बस ये संक्रमित व्यक्ति के खून या शरीर के अन्य द्रव्यों के संपर्क में आने से फैलता है।
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इससे बचने के लिए करें ये उपाय
अपनी पर्सनल चीजें जैसे रेजर, ब्रश आदि चीजें किसी से शेयर न करें।