ऊपर बताए गए लक्षणों को दिखने में कुछ दिनों से लेकर हफ्ते तक का समय लग सकता है। जितने ज्यादा दिनों तक इसका उपचार नहीं किया जाता उतनी अधिक गंभीर समस्या हो सकती है। हाई ब्लड शुगर लेवल को किस तरह से कंट्रोल किया जा सकता है इसके लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
और पढ़ें- डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है और बचाव के लिए क्या कर सकते हैं, जानें एक्सपर्ट से
हाइपरग्लाइसेमिया के कारण (Causes of Hyperglycemia?
हाइपरग्लाइसेमिया के लिए कई स्थितियां जिम्मेदार हो सकती हैं-
- सामान्य से अधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवन
- बहुत कम शारीरिक गतिविधि
- बीमार होना या किसी तरह का संक्रमण होना
- बहुत अधिक तनाव में रहना
- ग्लुकोज लेवल कम करने वाली दवा की सही खुराक न लेना
- स्टेरॉयड का सेवन
- टाइप 2 डायबिटीज, जिसके कारण आपका शरीर नेचुरल इंसुलिन का असरदार तरीके से उपयोग नहीं कर पाता
हाइपरग्लाइसेमिया का उपचार (Hyperglycemia treatment)
हाइपरग्लाइसेमिया के उपचार के कई तरीके हैं-
ग्लूकोज लेवल की निगरानी- डायबिटीज को मैनेज करने के लिए ग्लूकोज लेवल की नियमित निगरानी करना बहुत जरूरी है। फिर नंबर को नोटबुक में रिकॉर्ड करते जाएं या ब्लड शुगर ट्रैकिंग ऐप की मदद ले सकते हैं। इससे डॉक्टर को आपके इलाज के लिए सही प्लान बनाने में मदद मिलेगी। ब्लड शुगर मॉनिटर करते रहने पर आपको पता चल जाता है कि इसकी रेंज कब ज्यादा हो रही है, इससे आप स्थिति बिगड़ने के पहले ही इसे कंट्रोल कर सकते हैं।
फिजिकली एक्टिव रहना- ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने के लिए एक्सरसाइज सबसे अच्छा तरीका है। यदि आपका इलाज चल रहा है जिसकी वजह से इंसुलिन लेवल बढ़ जाता है, तो डॉक्टर से एक्सरसाइज का समय जरूर पूछ लें। यदि किसी को नर्व डैमेज या आंखों से जुड़ी परेशानी है, तो किस तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए इस बारे में भी डॉक्टर से अवश्य पूछें।
जिन लोगों को लंबे समय से डायबिटीज है और इंसुलिन थेरेपी ले रहे हैं उन्हें एक्सरसाइज की लीमिटेशन केबारे में डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। यदि किसी का ग्लुकोज लेवल 240 mg/dL से अधिक है तो केटोन्स की मौजूदगी के लिए डॉक्टर उसका यूरीन टेस्ट करेगा। यदि आपको किटोन्स (जब शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनता) है तो एक्सरसाइज न करें। शरीर में केटोन्स होने पर जब आप एक्सरसाइज करते हैं तो इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक बढ़ सकता है। हालांकि टाइप 2 डायबिटीज में ऐसा कम ही देखा गया है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना ठीक है।
खान-पान की आदतों में सुधार- डायटिशियन या न्यूट्रिशनस्ट से मिलकर हेल्दी और टेस्टी फूड सिलेक्शन के बारे में बात करें ताकि अधिक कार्बोहाइड्रेट के सेवन से आप बच जाएं, क्योंकि यह ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ा देता है।
इलाज का मूल्यांकन- आपकी पर्सनल हेल्थ हिस्ट्री के आधार पर डॉक्टर इलाज के तरीके पर फिर से विचार कर सकता है। वह आपकी डायबिटीज की दवा की टाइमिंग, खुराक और टाइप बदल सकता है। डॉक्टर से बिना पूछे कभी भी अपनी दवा की डोज या दवा न बदलें।
और पढ़ें- बुजुर्गों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण और देखभाल के उपाय