backup og meta

क्या डेंगू से बचाव में फल हो सकते हैं मददगार?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/05/2021

    क्या डेंगू से बचाव में फल हो सकते हैं मददगार?

    डेंगू से बचाव में फल का सेवन अवश्य करना चाहिए

    फलों में मौजूद खनिज तत्व डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से भी बचाव करते हैं। ऐसे में कई फलों के सेवन से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होती है। दरअसल, एडीज मच्छर काटने की वजह से डेंगू का बुखार होता है। डेंगू बुखार को व्यापक रूप से ‘ब्रेक बोन फीवर’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि बुखार और कमजोरी होने के साथ-साथ जोड़ों में भयंकर दर्द भी शुरू हो जाता है। ऐसे में खानपान का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए। इस आर्टिकल में जानें कि किन फलों के सेवन से आप इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं।

    और पढ़ें: डेंगू और स्वाइन फ्लू के लक्षणों को ऐसे समझें

    डेंगू से बचाव में फल निम्नलिखित हैं।

    डेंगू में फल खाना है तो खाएं अनार

    अनार में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-सी, विटामिन-के, फोलेट, पोटैशियम होने के साथ-साथ औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं। जैसे प्यूनिकलाजिन्स (Punicalagins) अनार के जूस और छिलके में पाए जाने वाले अत्यंत शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। अत्यधिक शक्तिशाली होने वाले अनार के रस में रेड वाइन और ग्रीन-टी की तीन गुना एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि मौजूद होती है। वहीं प्यूनिक एसिड (Punicic Acid) में मौजूद प्रचुर मात्रा में फैटी एसिड शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं। इससे जोड़ों में दर्द जैसी समस्या खत्म हो सकती है।

    डेंगू में ये फल (पपीता) खाने से मिलते हैं इतने फायदे

    डेंगू के पेशेंट को पपीते का सेवन का सेवन करना चाहिए। पपीते में मौजूद विटामिन-सी, विटामिन-ई और एंटीऑक्सिडेंट से शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है। दरअसल पपीता पेट के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसी लिए भारतीय लोग इसका सेवन करते हैं। लेकिन, यह सिर्फ पेट के लिए ही नहीं, बल्कि दिल संबंधित समस्या, डायबिटीज की समस्याब्लड प्रेशर की समस्या में भी काफी फायदेमंद है और डेंगू से बचाव में फल के श्रेणी में आता है।

    डेंगू में फल: जरूर खाएं ड्रैगन फ्रूट

    ड्रैगन फ्रूट विटामिन-सी, विटामिन-बी 1, विटामिन-बी 2 और विटामिन-बी 3 प्रयाप्त मात्रा में मौजूद है। वहीं कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉसफोरस सहित खनिजों में भी समृद्ध हैं। इन विटामिन के साथ-साथ इसमें ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स, फाइबर और विटमिन-सी भी मौजूद होता है। यह डेंगू के साथ-साथ कई गंभीर बीमारियों लड़ने में सहायक होताहै। रिसर्च के अनुसार विटमिन-सी की मौजूदगी कैंसर का भी खतरा कम कर सकती है। ड्रैगन फ्रूट में विटमिन सी अत्यधिक मात्रा में मौजूद होती है इसलिए सप्लिमेंट्स न लेकर विटामिन-सी युक्त फलों का सेवन करना लाभकारी होता है।

    और पढ़ें : डेंगू और स्वाइन फ्लू के लक्षणों को ऐसे समझें

    डेंगू से बचाव में नारियल पानी

    नियमित रूप से नारियल पानी पीने से शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। नारियल पानी में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-सी, सोडियम और कैल्शियम जैसे खनिज तत्व मौजूद होते हैं। नारियल पानी को पीने से शरीर में लिपिड मेटाबॉलिज्म का लेवल कंट्रोल रहता है। यही नहीं कोकनट वॉटर में एंटीथ्रोम्बोटिक जैसे गुण भी मौजूद होते हैं, जो धमनियों में रक्त के थक्के नहीं बनने देते हैं। कई रिसर्च के अनुसार नारियल पानी उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित कर सकता है। डेंगू से बचाने के साथ-साथ अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो नारियल पानी के फायदे हो सकते हैं।

    डेंगू में फल खाना है तो खाएं कीवी

    कीवी में प्रयाप्त मात्रा में मौजूद विटामिन-सी, विटामिन-ई, विटामिन-के, पोटैशियम और फोलेट होते है। इसमें ज्यादा मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जिससे बीमारी से लड़ने में सहायता होती है। वैसे जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें डेंगू, मलेरिया या फिर किसी भी तरह के संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे लोगों को नियमित रूर से उचित मात्रा में कीवी खाना चाहिए। इस फल में सेरोटोनिन होता है जो अनिद्रा की समस्या को दूर करने में मददगार होता है। किसी भी बीमारी होने पर या न होने पर अगर नींद ठीक से आती है, तो उस बीमारी से लड़ना आसान हो जाता है। इसलिए हमेशा साउंड स्लीप की कोशिश करें।

    और पढ़ें : सबका ध्यान कोरोना पर ऐसे में कोहराम न मचा दें बरसात में होने वाली बीमारियां

    नींबू का रस

    नींबू का रस अत्यधिक प्रभावी होता है। इसके सेवन से शरीर से यूरिन के माध्यम से विषाक्त पदार्थों के आसानी से बाहर किया जा सकता है। वहीं मुंह के स्वाद को भी बेहतर बनाने के लिए इसका सेवन किया जा सकता है। नींबू सबसे लोकप्रिय और अनेक गुणों से भरे खट्टे फल में से एक है। इसकी लोकप्रियता इसके ताज़ा स्वाद के कारण है। दरअसल नींबू विटामिन सी का सबसे प्रमुख स्रोत माना जाता है। नींबू में न केवल एंटीबैक्टीरीयल (anti-bacterial) और एंटीवायरल गुण हैं बल्कि यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ-साथ फैट को भी कुछ हद तक घटाने में मदद करता है। लेकिन, नींबू के फायदे सिर्फ इतने तक ही सीमित नहीं हैं। सुबह-सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने में नींबू कारस डाल कर पीने से गैस और पेट की समस्या ठीक होने में मदद मिलती है और आप ताजगी का अनुभव करते है।

    डेंगू से बचाव में फल के सेवन साथ ही इन्हें न भूलें

    डेंगू में  प्रोटीन का सेवन

    डेंगू में फलों के सेवन के साथ ही प्रोटीन की उचित मात्रा लेना भी बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन के लिए आप अपने खाने में दालें, अंडा, डेयरी प्रोडक्ट, नॉनवेज आदि को शामिल कर सकते हैं। आप मूंग की दाल का पानी भी ले सकते हैं। बीमारी में खाने की इच्छा नहीं होती है, लेकिन बीमारी के दौरान ऐसे खाने को शामिल करना चाहिए जो आपके शरीर को ताकत दे और साथ ही आपके मुंह का स्वाद भी थोड़ा बदल जाए।

    डेंगू में सब्जियों का सेवन

    जिस तरह से फलों में विटामिन और फाइबर पाया जाता है, ठीक उसी प्रकार से सब्जियों में भी विटामिन, मिनिरल्स पाए जाते हैं, जो शरीर को मजबूत बनाने के लिए जरूरी होते हैं। आपको डेंगू की बीमारी के दौरान कुछ सब्जियों का जूस भी लेना चाहिए, जो आपके लिए फायदेमंद साबित होगा। आप टमाटर का सूप, पालक का सूप, चुंकदर का रस आदि को अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं। आप सब्जियों में ब्रोकली, मेथी, पंपकिन, खीरा आदि को भी शामिल कर सकते हैं। आप चाहे तो सब्जयों को धीमी आंच में उबाल कर भी ले सकते हैं।

    चाय में शामिल करें तुलसी की पत्तियां

    वैसे तो कहा जाता है कि प्रतिदिन तुलसी की पत्तियों का सेवन शरीर के लिए लाभकारी होता है। तुलसी के गुणों के कारण ही इसे मेडिकल हर्ब के नाम से जाना जाता है। तुलसी में ऑक्सीडेंट होते हैं जो कई प्रकार की हेल्थ कंडिशन में राहत प्रदान करते हैं। तुलसी में पाए जाने वाले ऑयल कुछ एलर्जी से राहत दिलाने का काम भी करते हैं और साथ ही इंफेक्शन और पैथोजन को मारने का काम भी करते हैं। आप चाहे तो हर्बल टी को शामिल कर सकते हैं। ग्रीन टी में एंटीऑक्टीडेंट की अधिक मात्रा पाई जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। आप अपनी पसंद के अनुसार चाय में दालचीनी, अदरक, काली मिर्च लौंग आदि को भी शामिल कर सकते हैं।

    और पढ़ें: चिकनगुनिया होने पर मरीज का क्या होना चाहिए डायट प्लान(Diet Plan)?

    लक्षण जो आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं और 10 दिनों तक रह सकते हैं

    • अचानक से तेज बुखार होना
    • अत्यधिक सिरदर्द होना
    • आंखों में तेज दर्द होना
    • मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द महसूस होना
    • बिना कारण भी थका हुआ महसूस होना
    • बार-बार उल्टी महसूस होना या उल्टी आना
    • त्वचा पर लाल निशान होना (2 से 5 दिनों तक ऐसे निशान रहते हैं)
    • नाक या मसूड़ों से हल्का खून आना

    इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए शरीर में भी नकारात्मक बदलाव समझ आने पर परेशान न हों और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

    और पढ़ें:अचानक दूसरों से ज्यादा ठंड लगना अक्सर सामान्य नहीं होता, ये है हाइपोथर्मिया का लक्षण

    डेंगू के मरीज को निम्नलिखित बातों का पालन करना चाहिए:

    • फुल कपड़े पहनने चाहिए इससे बॉडी पूरी तरह से ढ़की रहेगी
    • सोने के वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए
    • मच्छरों से बच कर रहें
    • घर में साफ-सफाई बनाए रखें और कोशिश करें के इंडोर प्लांट्स के गमलों में भी पानी जमा न हो
    • ऐसी जगहों पर भी न जाएं जहां पानी जमा हुआ हो

    यहां दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको डेंगू के दौरान खानपान से संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। डेंगू हो या कोई भी बीमारी हो लेकिन, अगर आहार बेहतर होगा तो बीमारी से लड़ना आसान हो जाता है। अगर आप डेंगू से बचाव में फल, डायट या बीमारी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। आप डॉक्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त करें कि डेंगू की बीमारी के दौरान खानपान में क्या शामिल कर सकते हैं। डेंगू की अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श करें।

    आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आप हेल्थ अपडेट चाहते हैं तो हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट में विजिट करें। आप अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज को लाइक कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Dr. Shruthi Shridhar


    Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/05/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement