1. मिर्गी की बीमारी आनुवांशिक है, लेकिन कितनी यह जानना जरूरी है
सबसे पहले तो, मिर्गी से जुड़े मिथक में यही बताएंगे कि, बहुत से लोगों को लगता है कि मिर्गी की बीमारी एक आनुवांशिक स्थिति है। यानी अगर किसी बच्चे के परिवार में उसके माता, पिता या पिता के परिवार में किसी सदस्य को मिर्गी की बीमारी थी, तो उस बच्चे में भी मिर्गी के दौरे पड़ने के जोखिम हो सकते हैं। हालांकि, इस बात में सच्चाई तो है लेकिन लोगों के पास इसकी सिर्फ आधी ही जानकारी है। मिर्गी की बीमारी आनुवांशिक स्तर पर बहुत ही कम मामलों में देखी जाती है। सामान्य तौर पर, मिर्गी के दौरे का कारण ब्रेन की नसों और कोशिकाओं को क्षति यानि किसी तरह के नुकसान पहुंचने के कारण हो सकता है। नर्व सेल्स को प्रभावित करने वाले तमाम कारण जैसे, असामान्य मस्तिष्क विकास, कोई बीमारी या सिर के अंदरूनी लगी कोई गहरी चोट मिर्गी के बीमारी और मिर्गी के दौरे का कारण बन सकती है। यहां तक कि, ब्रेन ट्यूमर, दिमागी बुखार, सामान्य बुखार, अल्जाइमर रोग, शराब के कारण किसी तरह का संक्रमण होना भी मिर्गी के रोग का कारण बन सकता है। तो अब से याद रखें कि मिर्गी की बीमारी हमेशा आनुवांशिक नहीं हो सकती है, बल्कि यह तथ्य मिर्गी से जुड़े मिथक में शामिल है।
2.मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी एक संक्रामक बीमारी है
आंकड़ों पर गौर करें तो, विश्व भर में मिर्गी की समस्या पांच करोड़ से भी ज्यादा लोगों को प्रभावित किए हुए है, जिनमें से लगभग 80 फीसदी मरीजों की संख्या कम और मध्य आय वाले देशों में रहते हैं। इनमें ग्रामीण तबके ज्यादा शामिल हैं। अधिकांश लोग मिर्गी की समस्या को एक संक्रामक बीमारी मानते हैं और यही वजह है कि इससे पीड़ितों से अन्य लोग दूरी बना कर रखते हैं। मिर्गी से जुड़े मिथक की यह समस्या न सिर्फ भारत बल्कि ब्रिटेन, फ्रांस और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भी फैली हुई है।
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3. मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी आने पर व्यक्ति के मुंह में जबरन चीजें डालनी चाहिए
मिर्गी से जुड़े मिथक में यह सबसे खतरनाक भी हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा आता है, तो उसके साथ किसी भी तरह की जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। बल्कि, उसे धीरे-धीरे एक समतल स्थान पर लेटाना चाहिए और किसी तरह के सहारे से सिर के हिस्से को थोड़ा ऊंचा रखना चाहिए। अक्सर ऐसा सुना जाता है और देखा भी गया है कि मिर्गी आने पर व्यक्ति के मुंह में जबरन स्टील का चम्मच या गंदे और बदबूदार मोजे डालने की कोशिश की जाती है। ऐसा करना पूरी तरह गलत होता है। बल्कि अगर व्यक्ति के मुंह में कुछ फंसा हुआ हो, तो उसे मुंह से बाहर निकालना चाहिए, ताकि उसे सांस लेने में किसी तरह की परेशानी न हो।
4.मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी का दौरा पड़ते समय रोगी को जोर से पकड़ना चाहिए
ध्यान रखें कि, मिर्गी के दौरे आने पर व्यक्ति को जोर से पकड़े या दबाएं नहीं। लोगों में मिर्गी से जुड़े मिथक इसलिए फैला हुआ है, क्योंकि उन्हें लगता है कि मिर्गी का दौरा आने पर व्यक्ति पागलों की तरह हरकत कर सकता है या इधर-उधर भागने की कोशिश कर सकता है या आस-पास मौजूद लोगों को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, जो कि सिर्फ मिर्गी के जुड़े मिथक ही हैं। जबकि, मिर्गी का दौरा आने पर व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर लिटाना चाहिए। उसके आस-पास मौजूद किसी भी तरह की खतरनाक वस्तु को हटा देना चाहिए। अगर उसने बहुत ज्यादा कसे हुए कपड़े पहने हैं, तो उसके कपड़े ढ़ीले करें। साथ ही, अगर गले में कोई टाई या स्कार्फ है, तो उसे भी हटा दें और आंखों पर लगा हुआ चश्मा भी उतार दें। आमतौर पर मिर्गी का दौरा 5 मिनट तक रहता है। जिसके बाद व्यक्ति अपने आप होश में आ जाता है और फिर से साधारण हो जाता है, लेकिन अगर मिर्गी का दौरा इससे अधिक समय तक रहता है तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
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