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योग दिला सकता है हर्निया से राहत, इन बातों को जानें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Suniti Tripathy द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/03/2021

    योग दिला सकता है हर्निया से राहत, इन बातों को जानें

    किसी अंग में अनचाहा उभार आना और उस जगह के मांस का असमान विवर (Cavity) से बाहर आने की स्थिति को हर्निया कहते हैं। जिस जगह से ये टिश्यू बाहर आते हैं उसे फेशिया कहते हैं। ये टिशू शरीर के किसी हिस्से में सुराख या खाली जगह से बाहर आ जाते हैं। इसकी वजह से दर्द और कई गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। लेकिन, हर्निया के लिए योग के फायदे हो सकते हैं। 

    हर्निया को समझें

    कई मामलों में हर्निया गांठ जैसी शक्ल भी ले सकते हैं, जिसकी वजह से ये समस्याएं हो जाती हैं। इसके इलाज के लिए डॉक्टर आपको सर्जरी की सलाह देंगे। योग हर्निया का इलाज नहीं है हालांकि, इसकी मदद से आप हर्निया होने से रोक सकते हैं। साथ ही अगर आपने हर्निया की सर्जरी करवाई है तो योग की मदद से आप इसे दोबारा होने से भी रोक सकते हैं।

    हर्निया के लिए योग या  योगासन एब्डोमेन की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं, फैट यानी वसा को घटाते हैं और शरीर को चुस्त और दुरुस्त बनाते हैं।

    और पढ़ें : Inguinal hernia: इंग्वाइनल हर्निया क्या है?

    सर्जरी के तुरंत बाद योगासन और काम करना शुरू न करें में अकड़न की परेशानी हो सकती है। साथ ही सर्जरी के बाद योगासन कर रहे हैं तो कोशिश करें कि योग एक्सपर्ट या फिर डॉक्टर की सलाह जरूर लें। क्योंकि हर्निया के लिए योग करने के पहले हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेना आवश्यक है। जैसे कि फीमोरल हर्निया (Femoral Hernia), इंग्वाइनल हर्निया (Inguinal Hernia), हाइटल हर्निया (Hital Hernia)

    और पढ़ें : जानें हर्निया बेल्ट (Hernia Belt) के फायदे और नुकसान

     हर तरह के हर्निया के कुछ समान लक्षण हो सकते हैं।  

    • प्रभावित जगह पर गांठ का बनना। 
    • गांठ में दर्द होना। 
    • एब्डोमेन में भारीपन का एहसास होना। 
    • हर्निया में एसिड का बनना।

    कुछ योगासन जो आमतौर पर किये जाते हैं। वे इस प्रकार हैं :

    हर्निया के लिए योग: नौकासन 

    नौकासन की मदद से आप एब्डोमेन के निचले सभी भागों को टोन कर सकते हैं। साथ ही हर्निया से होने वाली सभी परेशानियां जैसे कि पाचन प्रक्रिया में विकार पर  नियंत्रण पा सकते हैं। अम्बिलिकल हर्निया होने पर नाभि में परेशानी आ सकती है। इस आसन की मदद से नाभि में आने वाले खिचाव का इलाज संभव है। 

    और पढ़ें : 8 योगासन जो आपको रखेंगे हेल्दी और फिट

    हर्निया के लिए योग: उत्तानपादसन 

    ये आसन हाथों को ऊपर कर पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इस योगासन को करने से शरीर को आराम मिलता है और इससे आपके चिड़चिड़ेपन, तनाव और नींद न आने की समस्या  का भी इलाज किया जा सकता है। 

    इसके अलावा पैरों में सूजन और जलन की भी समस्या हल हो जाती है। साथ ही पीठ की अकड़न में भी आराम मिलता है। हर्निया के अलावा इन स्थितियों में भी इस योग आसन से लाभ मिल सकता है :

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    हर्निया के लिए योग: मर्कटासन या हनुमान आसन 

    हिन्दू संस्कृति के अनुसार हनुमान बुद्धिमता और बल के प्रतीक हैं। इस आसन से मूल रूप से शरीर के निचले हिस्सों में राहत मिलती है। अपने दोनों घुटनों को जमीन पर रखकर उन्हें एक दूसरे से एक निर्धारित दूरी पर रखें और अपना दायां पैर आगे की ओर बढ़ाए और बाएं पैर को पीछे रखें और दोनो हाथों को ऊपर करके हाथ जोड़े। इसी स्थिति में लगभग 50 -60 सेकंड के लिए रहें। इससे ग्रोइन और जांघों की मांसपेशियों के तनाव में आराम मिलता है। 

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    हर्निया के लिए योग: पवन मुक्तासन 

    इस आसन को करने से आपको एब्डोमेन, कूल्हों और पैरों में राहत मिलती है। हर्निया के ज्यादातर प्रकार एब्डोमेन के निचले हिस्से को प्रभावित करते हैं इसलिए ये आसन अत्याधिक लाभकारी साबित हो सकता है।

     

    और पढ़ें : हाइटल हर्निया (Hiatal Hernia) : एसिडिटी और बदहजमी को न करें नजरअंदाज

    हर्निया के लिए योग: हलासन

     इस आसन से पाचन तंत्र में आराम मिलता है और साथ ही भूख सही से लगती है। हर्निया से होने वाली बहुत सी समस्याओं का समाधान हलासन है। हलासन के नाम से ही पता चलता है कि इस आसन में शरीर को हल के आकार में रखकर वर्जिश की जाती है। इससे तनाव और थकान कम होती है और साथ ही दिमाग को  भी शान्ति मिलती है। 

    हर्निया के लिए योग: परिवृत्त त्रिकोणासन 

    हर्निया होने पर आपके एब्डोमेन के भाग में गांठ की स्थिति होती है। इस आसन को करने से आपको ग्रोइन, कूल्हों, कंधों और छाती में अकड़न से मुक्ति मिल सकती है। 

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    हर्निया के लिए योग: अग्निसर योग

    • इसके अंतर्गत अनलोम-विलोम, कपालभाति, भष्टिक, उदगीत और बाह्य आते हैं । इन क्रियाओं की मदद से  आपके शरीर की सारी विषैली वस्तुएं बाहर आ जाती हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है। हर्निया की समस्या अधिकतर एब्डोमिनल क्षेत्र को प्रभावित करती है। इस आसन के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं। 
    • इस योगासन को करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। हर्निया के दौरान पाचन प्रक्रिया और पेट से जुड़ी बहुत सी समस्याएं हो सकती हैं। अग्निसर क्रिया पेट को ढीला करके अंदरूनी अंगों के विकार में सुधार को संभव बनाती है।  फेफड़ों में भी कोई समस्या नहीं होती है।
    • हर्निया के सभी कारणों में से बढ़ा हुआ वजन एक प्रमुख कारण है। इस योगासन की मदद से बढ़े हुए वजन पर नियंत्रण पाया जा सकता है। 
    • इस योगासन को करने से शरीर में खून का बहाव भी सही ढंग से होता है और कोई परेशानी नहीं आती। 

    और पढ़ें : इंग्वाइनल हर्निया (Inguinal Hernia) और हाइड्रोसिल (Hydrocele) में क्या है अंतर जानें

    ऐसे मिलती है मदद

    इनवर्टेड पोस्चर हर्निया को ठीक करने में मददगार साबित होते हैं क्योंकि इनकी मदद से एब्डोमेन से बाहर आने वाले टिशू को अंदर किया जा सकता है। जब आप उल्टे होकर कोई भी योगासन करते हैं तो ग्रेविटी की वजह से एब्डोमेन में प्रेशर पड़ता है और हर्निया की वजह से बाहर आया हुआ टिशू अंदर चला जाता है।

    रोजाना प्राणायाम करना न केवल हर्निया के लिए बल्कि बाकी सभी स्वास्थ्य समस्याओं को हल कर सकता है।

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    इन बातों का रखें ध्यान

    हर्निया के लिए योग कर रहें हैं, तो निम्नलिखित बातों का रखें ख्याल। जैसे:

    • सर्जरी के तुरंत बाद योगासन और काम करना शुरू न करें ऐसे में अकड़न हो सकती है। साथ ही सर्जरी के बाद योगासन कर रहे हैं तो कोशिश करें कि योग एक्सपर्ट या फिर डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
    • हर्निया ठीक करने के लिए योगासन के साथ जीवनशैली में भी कुछ बदलाव अवश्य करें जैसे कि बहुत अधिक तला भुना खाना न खाएं। साथ ही झटके से बहुत अधिक भारी सामान भी उठाने से बचें।
    • योग हर तरह से लाभदायक है और जीवन में सकारात्मकता लाने का साधन है। हर्निया या फिर किसी भी बीमारी के होने पर योग आपके शरीर को सुगठित और दुरुस्त रखने में सहायक है। दवाइयों के साथ योग आपकी चिकित्सा शैली का प्रमुख भाग बन सकता है।

    इस विषय में और अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

    डिस्क्लेमर

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