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आप भी कब्ज के लिए करते हैं घरेलू उपायों पर भरोसा? देखिए कहीं हो ना जाए धोखा!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/08/2021

    आप भी कब्ज के लिए करते हैं घरेलू उपायों पर भरोसा? देखिए कहीं हो ना जाए धोखा!

    अगर सुबह की हवा, सूरज की पहली किरण और रिफ्रेश्ड मूड का कॉम्बिनेशन मिल जाए, तो फिर आपका दिन मजेदार बनने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन एक चीज है, जो इन तीनों के कॉम्बिनेशन को तोड़ सकती है, वह है कब्ज। ‘सुहाना सफर और ये मौसम हसीन, हमें डर है कब्ज हो न जाए कहीं!’ जी हां, कब्ज (Constipation) की तकलीफ आपकी मॉर्निंग के साथ-साथ पूरा दिन बिगाड़ कर रख सकती है। आपको क्या लगता है! कॉन्स्टिपेशन सिर्फ आपके पेट में दर्द या मरोड़ की वजह बनेगा? ये तो आपके दिमाग पर भी बुरा असर डालेगा और आपको स्ट्रेस देने में भी पीछे नहीं हटेगा। जिससे आपको होगा चिड़चिड़ापन और होगा स्ट्रेस, साथ ही होगी काम में मन न लगने जैसी परेशानी। इसकी एक बड़ी वजह भी तो है! पेट की इस तकलीफ को हम और आप बिल्कुल हल्के में लेते हैं, जबकि जरूरत है पेट को हल्का रखने की। और फिर हम इसके लिए क्या करते हैं? कई दिन, हफ्ते, महीने तक हम सभी दही, पपीता या किसी और घरेलू नुस्खों की बैसाखी पकड़े रहते हैं। हम भूल जाते हैं कि कॉन्स्टिपेशन कई खतरनाक बीमारियों और परेशानियों की जड़ होता है, जो हमारी जान का दुश्मन बन सकता है।

    अगर आप भी कब्ज का घरेलू उपाय ही अपनाते हैं, तो आपके लिए भी काम आएगी ये अंग्रेजी की कहावत, ‘यू आर इन फॉर अ रूड शॉक।’ क्योंकि कब्ज का घरेलू उपाय ऊपरी तरीके से आपकी तकलीफ का हल जरूर निकाल सकता है, लेकिन जड़ से खत्म नहीं करता। इसके चलते कई बड़ी बीमारियां, जैसे आईबीडी (IBD), एनल फिशर (Anal Fissure) और बवासीर (Piles) आपकी तकलीफ को बढ़ा सकती है।  

    लेकिन ‘डोंट वरी माय फ्रेंड! जब हैलो स्वास्थ्य है, तो क्या गम है?’ हमारे साथ मिलकर आप कब्ज की प्रॉब्लम को कहेंगे ‘गेट लॉस्ट’ और कहेंगे ‘गले लगा ले जिंदगी!’ लेकिन उससे भी पहले जानते हैं कि आखिर कॉन्स्टिपेशन को पहचानें कैसे?

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    क्या आपको पता है कि ‘कब्ज’ (Constipation) हुआ है? 

    बिसाकोडिल कैसे कब्ज से दिलाती है राहत?
    कब्ज के बारे में मिथ्स

    यह सवाल हम या आप क्या, किसी देश के तीस मार खां भी अपने टॉयलेट में बैठकर सोच सकते हैं। मगर बात है इस सवाल के जवाब की, तो सुनें असली बात। कब्ज (कॉन्स्टिपेशन) तब होता है, जब हमारा डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive System) धीरे काम करने लगता है।  इससे शरीर अपने आप स्टूल को बाहर नहीं निकाल पाता। इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जिसमें लाइफस्टाइल में बदलाव, स्ट्रेस, गलत खाना-पीना, डिहाइड्रेशन (Dehydration) आदि फैक्टर्स होते हैं। जो आगे चलकर कब्ज, स्टूल के साथ खून आने, बवासीर (Piles) या फिशर (Fiser) जैसी बड़ी और खतरनाक परेशानियों में तब्दील हो जाते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (American Academy of Pediatrics) के मुताबिक यदि आपका पेट हफ्ते में तीन बार से कम साफ होता है, तो कब्ज (Constipation) की तकलीफ मानी जाती है। इसका इलाज जल्दी से जल्दी कराना बहुत जरूरी है।इसलिए कहा जाता है कि कॉन्स्टिपेशन मिथ्स (Constipation Myths) तो कई हैं, जिनके फैक्ट्स लोगों को जानने बेहद जरूरी है।

    कब्ज के बारे में मिथ्स और फैक्ट्स
    कॉन्स्टिपेशन फैक्ट्स

    हम-आप और हर कोई अलग-अलग है, तो फिर हर इंसान में कब्ज एक जैसा कैसे हो सकता है। किसी को दिन में तीन बार टॉयलेट जाने की आदत होती है, तो कोई पूरे हफ्ते में तीन बार ही पेट साफ करने के लिए जाता है। इसलिए अगर आपके पेट साफ होने के टाइम और फ्रीक्वेंसी में बदलाव आता है और ये सिम्प्टम्स दिखते हैं, तो आपको कब्ज की तकलीफ हो सकती है। कब्ज (Constipation) आज की बिजी लाइफ में किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, जिसे इग्नोर करना या मामूली समझना आपकी हालत खराब कर सकता है। यदि आपको कॉन्स्टिपेशन होगा, तो उसके साथ उसके ये दोस्त भी जरूर परेशान करेंगे। जिसमें इन दोस्तों का नाम सबसे ऊपर आता है – 

    बिसाकोडिल

    अगर आपको पेट साफ होने की आदत में बदलाव के साथ-साथ इन सिम्प्टम्स का सामना करना पड़ता है, तो कब्ज (constipation) का इलाज जरूर करना चाहिए। लेकिन हमारे साथ परेशानी यह है कि हम कब्ज की तकलीफ के लिए डॉक्टर के पास जाना बेफिजूल का खर्चा समझते हैं। बता दें कि आपके इस बेफिजूल के खर्चे को बचाने का रास्ता भी है। जी हां, मार्केट में स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (Stimulant Laxatives) दवाएं आसानी से मिल जाती हैं। यह रात भर में आराम पहुंचाती है और फिर सुबह-सुबह आपका पेट साफ हो जाता है। तो क्या आप जानना नहीं चाहते कि ये स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव कौन सा है? तो लीजिए, इसका नाम है बिसाकोडिल। जो एक रात में आपके पेट के ट्रैफिक को साफ करने की ताकत रखता है! लेकिन अगर आप बिसाकोडिल की जगह कब्ज से छुटकारा पाने के लिए घरेलू नुस्खों पर विश्वास करते हैं, तो आपके पेट की शामत आ सकती है। आइए, जान लेते हैं कि घरेलू नुस्खे कैसे कॉन्स्टिपेशन की तकलीफ बढ़ा सकते हैं

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    इलाज की दुनिया के ‘Titanic’ हैं घरेलू नुस्खे! (Home remedies for Constipation) 

    यदि हम आपसे ये कहें कि घरेलू नुस्खे, कब्ज से छुटकारा दिलाने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है, तो ये गलत नहीं होगा। खुद डॉक्टर कहते हैं कि कब्ज के घरेलू नुस्खों पर आंख मूंदकर भरोसा करना होशियारी का काम नहीं है। भले ही कब्ज का घरेलू उपाय आपको छोटे-मोटे कब्ज से छुटकारा दिला दें, लेकिन क्रॉनिक कब्ज की परेशानी में ये आपका साथ नहीं निभा पाएंगे। इसलिए घरेलू उपायों पर पूरी तरह से डिपेंडेंट होने की बजाय आपको इसके अल्टेरनेटिव इलाज के बारे में भी सोचना चाहिए। आइये जानते हैं, वो कौन से घरेलू नुस्खें हैं, जो आप और हम कभी न कभी अपनाते आए हैं!

    हाय फाइबर डायट (High Fiber Diet) को कह देना ‘बाय’

    बिसाकोडिल से कब्ज का इलाज है आसान
    Myths and Facts About Constipation

    यह कहा जाता है कि फाइबर की कमी के कारण कब्ज (constipation) की तकलीफ होती है और फाइबर युक्त आहार खाने से कॉन्स्टिपेशन से राहत मिलती है। लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं है दोस्त, जितना आप समझ रहे हैं। क्योंकि फाइबर आम तौर पर दो तरह के होते हैं, एक सॉल्युबल फाइबर और दूसरा इनसॉल्युबल फाइबर। इसमें से इनसॉल्युबल फाइबर स्टूल (Stool) को जमा करने में मदद करता है और सॉल्युबल फाइबर पॉटी को मुलायम बनाता है। अब आपके सामने यह मुसीबत सबसे बड़ी आएगी कि आप किस फाइबर का इस्तेमाल कैसे करें। दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के मेटाबॉलिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर, डॉ. प्रदीप जैन के मुताबिक, “फाइबर युक्त आहार के साथ आपको सही सलाह की जरूरत होती है। क्योंकि जरा-सी लापरवाही की वजह से आपकी ली हुई हाय फाइबर डायट इस तकलीफ को मुसीबत में बदल सकती है।”

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    कॉफी बस ‘डेट’ पर ही अच्छी लगती है! 

    कब्ज के बारे में मिथ्स

    गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड के साथ रोमांटिक डेट हो या फिर टेंशन वाली सिचुएशन, हर जगह फिट बैठ जाती है चाय-कॉफी। इस देश में चाय-कॉफी को इश्क की तरह देखा जाता है और इसके बिना लोग दिन की शुरुआत नहीं कर सकते। कई लोग तो पेट साफ करने के लिए भी सबसे पहले इन्हीं का प्याला थामते हैं। कब्ज का घरेलू उपाय जो सबसे ज्यादा लोग अपनाते हैं, उसमें चाय से पहले कॉफी (Coffee) का नम्बर आता है। हमें लगता है कि इससे पेट साफ होने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। कई लोग तो ये भी सोचते हैं कि इसमें कुछ हद तक फाइबर भी होता है, जो गट बैक्टीरिया का बैलेंस बनाने में मदद करता है। लेकिन हम एक चीज भूल जाते हैं कि कॉफी में कैफीन भी होता है, जो बॉडी में डिहाइड्रेशन (Dehydration) यानी पानी की कमी पैदा करता है। बॉडी में पानी की कमी होने से कॉन्स्टिपेशन की तकलीफ बढ़ जाती है। और – हम जिस तकलीफ के लिए कॉफी पी रहे होते हैं, उसी की वजह कॉन्स्टिपेशन होने लगता है।

    कोलन क्लीनर या एनिमा (Colon Cleaner or Enemas) का साथ, नहीं है अच्छी बात! 

    कोलोन क्लीनर या एनिमा (Colon Cleaner or Enemas) का इस्तेमाल शरीर से वेस्ट मैटेरियल निकालने के लिए किया जाता है। कोलन क्लीनर या एनिमा में एक ट्यूब आपके रेक्टम से होते हुए कोलन में डाली जाती है और वह पानी छोड़ती है। वह पानी कुछ देर आपके कोलन में रहने दिया जाता है और फिर बाहर निकालने के लिए आपको कुछ देर टॉयलेट में बैठा रहना होता है। यह काम काफी मुश्किल और ध्यान से करने वाला होता है। इसलिए एक्सपर्ट इसे घर पर करने की सलाह नहीं देते। मगर कुछ लोग इसे घर पर ही करते हैं और कब्ज से छुटकारा पाने में भी मददगार मानते हैं। लेकिन आप इसे कब्ज के इलाज की तरह इस्तेमाल बिल्कुल भी न इस्तेमाल करें। क्योंकि इसका लगातार इस्तेमाल, कोलन या रेक्टम को अंदर से चोट पहुंचा सकता है और इंफेक्शन का खतरा भी पैदा कर सकता है। इससे कब्ज (Constipation) की तकलीफ ज्यादा खतरनाक हो सकती है और आपको बेहद दर्द का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन इसका एक इलाज हमारे पास भी तो है, और वो है लैक्सेटिव, जिसमें बिसाकोडिल का इस्तेमाल करना सेफ और आसान है। बिसाकोडिल सिर्फ एक रात में ही आपके पेट की मरम्मत कर सुबह उसे पूरी तरह से साफ कर देने की ताकत रखता है! 

    अरंडी का तेल (Castor Oil) और कॉन्स्टिपेशन (Constipation) का इलाज? रुकिए जनाब! 

    castor oil और कॉन्स्टिपेशन
    castor oil और कॉन्स्टिपेशन

    अब ये इलाज तो आप जानते ही होंगे! भारत में कई सालों से हम लोग कब्ज के लिए अरंडी के तेल का इस्तेमाल करते आए हैं, जिससे हमें राहत तो मिलती नहीं, बल्कि तकलीफ जस की तस बनी रहती है। कई दिनों, महीनों तक हम इसका उपयोग करते रहते हैं, लेकिन आराम बिल्कुल नहीं मिलता। इसके पीछे ये वजह है कि ये नुस्खा हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता और ज्यादा दिनों तक इसे उपयोग में लाने पर आपके पेट की मसल्स, नसें और टिश्यू को खराब हो सकते हैं। जिससे कब्ज की तकलीफ ठीक होने की जगह बढ़ जाती है। तो ऐसे नुस्खों से दूरी बनाना ज्यादा बेहतर नहीं है?! 

    प्रोबायोटिक्स (Probiotics)? बस अब आगे भी बढ़ जाइए! 

    खाने के साथ दही खाना हम में से किसे पसंद नहीं है। हमें पता है कि दही एक प्रोबायोटिक है, जिसमें कई गुड बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया आपके पेट को शांत रखकर कई परेशानियों को दूर रखने में मदद करते हैं। इसी वजह से कुछ लोग कब्ज से छुटकारा पाने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन डायरेक्टर डॉ. जैन कहते हैं, “हमें कब्ज की तकलीफ को मजाक में नहीं लेना चाहिए। बड़ी आंत के धीरे-धीरे काम करने या फिर एनोरेक्टल की तकलीफ की वजह से पेट साफ न हो पाने के कारण कॉन्स्टिपेशन हो सकता है। ऐसे में खास तौर पर ध्यान रखें कि प्रोबायोटिक्स इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम में मददगार साबित होते हैं और कब्ज के इलाज में इसका कोई काम नहीं होता।”

     जिद्दी से जिद्दी कब्ज का चुटकियों में इलाज… बिसाकोडिल है ना मेरे यार! 

    अब हमें एक बात बताइए! जब हम बाजार से कुछ सामान लाते हैं, तो दुकानदार से गैरेंटी के बारे में पूछना नहीं भूलते। क्योंकि, गैरेंटी के हिसाब से हम चीज की लाइफ का अंदाजा लगा लेते हैं। तो फिर कब्ज के लिए गैरेंटीड इलाज क्यों नहीं लेते। अगर आप कब्ज (constipation) के लिए जल्दी और पक्का इलाज चाहते हैं, तो आप कब्ज का घरेलू उपाय अपनाने की जगह लैक्सेटिव दवाओं का सेवन कर सकते हैं। डॉ. जैन के मुताबिक, “हर प्रकार के लैक्सेटिव अलग-अलग तरह से काम करते हैं। कुछ लैक्सेटिव स्टूल को इकट्ठा करने का काम करते हैं, तो वहीं कुछ इंटेस्टाइन के काम करने की स्पीड को बढ़ाते हैं, तो कुछ स्टूल को मुलायम बनाते हैं।” लैक्सेटिव दवाओं में स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव सबसे ज्यादा फायदेमंद होते हैं, जो आपकी इंटेस्टाइन के कॉन्ट्रैक्शन को बढ़ाते हैं। इससे आपकी आंतों में मौजूद पॉटी आगे बढ़ने लगती है और आसानी से बाहर निकल जाती है। इसलिए हमारी सलाह मानिए और स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव में बिसाकोडिल का इस्तेमाल बिना किसी चिंता के कीजिए। जो सिर्फ एक रात में आपको आराम पहुंचाता है, जिससे आप सुबह उठ कर एकदम तरोताजा और हल्का महसूस कर पाते हैं।

    लैक्सेटिव का इस्तेमाल, अलग-अलग तरह से किया जा सकता है। मतलब यह कि गोली (टैबलेट्स) या कैप्सूल के रूप में आने वाले लैक्सेटिव (बिसाकोडिल) को पानी के साथ निगला जाता है। वहीं, पैकेट में पाउडर के रूप में आने वाले लैक्सेटिव (ईसबगोल) को पानी में मिलाकर लिया जाता है। इसके अलावा, कुछ कैप्सूल, लिक्विड व जेल को रेक्टम पर लगाकर भी इस्तेमाल में लाया जाता है। तो है ना कमाल की बात! अब बस एक रात का इंतजार, आपकी बरसों की तकलीफ को मिनटों में ग़ायब कर सकता है! 

    ईसबगोल? जब कब्ज होगा नौ दो ग्यारह! 

    कब्ज और ईसबगोल
    कब्ज के लिए ईसबगोल

    कब्ज के लिए ईसबगोल हमारे देश में दादा-दादी या नाना-नानी के जमाने से ही इस्तेमाल किया जाता है। इसे लेना इतना आसान और फायदेमंद होता है कि आपको कुछ ही देर में राहत मिलने लगती है। ईसबगोल (Psyllium Husk) को फाइबर लैक्सेटिव भी कहा जाता है, जो कि बल्क-फॉर्मिंग लैक्सेटिव (Bulk forming Laxative) का एक प्रकार है। यह आपके पेट में जाकर जेल जैसी चीज बनाता है। यह जेल आपके पेट से पानी इकट्ठा करके आपकी पॉटी को मुलायम बनाता है, जिससे कि स्टूल आसानी से बाहर निकल जाए। डॉ. जैन ने भी बताया, “ईसबगोल बिना पचा हुआ फाइबर होता है, जो स्टूल को इकट्ठा करने और मुलायम बनाने के काम आता है। जिससे स्टूल को निकलने में कोई कठिनाई नहीं होती।”  तो अब समझे आप! बिसाकोडिल तो आपके पास है ही, साथ ही ईसबगोल भी इसका साथी बनकर आपकी मदद के लिए तैयार है!  लेकिन अब साथ में ये भी जान लीजिए कि लैक्सेटिव आपके लिए कैसे काम करते हैं?

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    लैक्सेटिव.. नाम तो सुना ही होगा!

    जहां कब्ज के इलाज की बात हो, वहां लैक्सेटिव के लिए शहंशाह मूवी का डायलॉग इस्तेमाल किया जा सकता है- ‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है लैक्सेटिव’। हम अभी तक लैक्सेटिव के बारे में कई बार बता चुके हैं, तो अब उसके बारे में पूरी जानकारी ले लेते हैं। लैक्सेटिव के चार तरह के होते हैं, जिनके नाम स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव, ल्यूब्रीकेंट लैक्सेटिव, स्टूल सॉफ्टनर्स और ऑस्मोटिक लैक्सेटिव हैं। आइए, इनके बारे में थोड़ा अच्छे से जानते हैं।

    • कब्ज की तकलीफ के लिए स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (Stimulant Laxative) सबसे ज्यादा मददगार साबित होते हैं। क्योंकि यह आपकी आंतों के कॉन्ट्रैक्शन को बढ़ाने में मदद करते हैं और उनकी मूवमेंट में तेजी लाते हैं। जिससे स्टूल आसानी से बाहर की तरफ आने लगता है। अगर आप स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव लेने की सोच रहे हैं, तो बिसाकोडिल सबसे शानदार ऑप्शन हो सकता है। क्योंकि, इसके काम करने और राहत पहुंचाने की स्पीड काफी तेज है।
    • ल्यूब्रिकेंट लैक्सेटिव (Lubricant Laxative) पेट में आपके स्टूल पर एक चिकनी परत बनाता है,  जिससे उसमें नमी और पानी के कण बने रहते हैं और वह नर्म हो जाता है। यह चिकनी परत स्टूल को आसानी से निकलने में भी मदद करती है। इस प्रकार के लैक्सेटिव में मिनरल ऑयल खास एलिमेंट होता है।
    • स्टूल सॉफ्टर्नस लैक्सेटिव (Stool Softener Laxative) के नाम से ही समझ आता है कि यह स्टूल को मुलायम बनाने में मदद करते हैं। यह लैक्सेटिव पेट में मौजूद फ्लूइड की मदद से आपके स्टूल को मुलायम बनाता है और आसानी से बाहर निकलने लायक बनाता है। इसमें डॉक्यूसेट सोडियम और डॉक्यूसेट कैल्शियम का इस्तेमाल किया जाता है।
    • ऑस्मोटिक लैक्सेटिव (Osmotic Laxative) आपके शरीर में मौजूद पानी को पेट में लाते हैं और स्टूल को मुलायम बनाते हैं। जिससे मोशन आसानी से हो जाता है। ऑस्मोटिक लैक्सेटिव में पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल किया जाता है।

    अब भी क्या पुराने इलाज पर ही अटकोगे! कुछ नया क्यों नहीं ट्राय करते?

    कॉन्स्टिपेशन फैक्ट्स
    कब्ज से लड़ने में कैसे मदद करता है फाइबर

    ‘जागो मोहन प्यारे, दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है’। क्योंकि अगर कब्ज से छुटकारा पाने के लिए आप भी कई दिनों तक घरेलू नुस्खों के सहारे खड़े रहने की कोशिश करते हैं, तो ये बात गांठ बांध लीजिये कि आप अपने शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे आराम मिलने में काफी समय लग जाता है और आराम आएगा भी या नहीं इसका भी कोई दावा नहीं कर सकता। डॉ. प्रदीप जैन के अनुसार, “कब्ज के घरेलू नुस्खों पर भरोसा करना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। क्योंकि इस बीमारी के पीछे कई तकलीफें छिपी हुई हो सकती हैं, जो इसे खतरनाक मोड़ दे सकती हैं।” इसलिए, अब वो समय आ गया है, जब हमें अपनी आदत बदलनी होगी। वरना कब्ज (constipation) के लिए घरेलू नुस्खों पर भरोसा करते रहने से हम पर क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन का खतरा गहरा सकता है। जो कि आईबीडी, एनल फिशर और बवासीर जैसी तकलीफों को पैदा कर सकता है और उससे छुटकारा पाना आसान नहीं होता।

    कई बार सही रास्ता हमारे सामने ही होता है, लेकिन हम अपने पुराने रास्ते को छोड़ नहीं पाते। यही बात कॉन्स्टिपेशन के इलाज में भी लागू होती है। जहां स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (बिसाकोडिल) जैसे इलाज से हमें तुरंत आराम मिल सकता है, वहां हम घरेलू उपायों पर दांव लगाते रहते हैं। अब तक आपको कॉन्स्टिपेशन मिथ्स और कॉन्स्टिपेशन फैक्ट्स दोनों के बारे में जानकारी भी मिल गई होगी। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि कब्ज का घरेलू उपाय अपनाने से होने वाले बुरे असर की ये बातें आपके काम जरूर आएगी।

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    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/08/2021

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