के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
फेफड़े की टीबी या पल्मनरी टीबी (Pulmonary Tuberculosis) जिसे श्वास संबंधी टीबी भी कहा जाता है, प्रमुख रूप से हमारे फेफड़ों को प्रभावित करती है। इस तरह की टीबी फेफड़े से किसी अन्य अंग में भी फैल सकती है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है जो लोगों के बीच हवा के माध्यम से फैलता है। जब यह फेफड़ों को प्रभावित करता है, तो इसके कारण फेफड़े की टीबी हो सकती है। फेफड़े की टीबी होने पर सीने में दर्द, गंभीर खांसी जैसे और अन्य लक्षणों की स्थितियां होने लगती है।
टीबी के बैक्टीरिया मुख्य रूप से फेफड़ों में ही पनपते हैं, लेकिन वे शरीर के अन्य हिस्सों को भी संक्रमित कर सकते हैं। अपने इस आर्टिकल में हम आपको फेफड़े की टीबी के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में जुड़ी जरूरी बातें बताएंगे।
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18वीं से 19वीं शताब्दी के बीच उत्तरी अमेरिका और यूरोप में फेफड़े की टीबी महामारी के रूप में फैली थी। मुश्किलों बाद जब इसके लिए एंटीबायोटिक्स और दवाईयां खोजी गईं तब जाकर इसे फैलने से रोकने में कामयाबी मिली। तब जाकर विभिन्न देशों में टीबी फैलना बंद कम हुआ। हालांकि, इस सबके बावजूद टीबी दुनियाभर में टॉप-10 मौत के कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील देशों में टीबी के मरीज और उनसे होने वाले मौत का औसत 95 प्रतिशत है। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका में टीबी मृत्यु का सबसे बड़ा कारण था। हालांकि, आज के मौजूदा के समय में टीबी का उचित और सफल उपचार मौजदू है। टीबी के ज्यादातर मामले एंटीबायोटिक दवाओं से ही ठीक हो जाते हैं। हालांकि, इसका उपचार लंबी अवधि के लिए होता है। साथ ही, एक बार टीबी की समस्या होने पर दूसरी बार इसके बैक्टीरिया शरीर पर तेजी से हमला भी कर सकते हैं। इसलिए दोबारा इसके जोखिमों को कम करने के लिए कम से कम 6 से 9 महीने तक अपना उचित और जरूरी उपचार कराएं।
इसी वजह से हमें इस बीमारी से खुद को बचाना बेहद जरूरी है। अमेरिकन लंग एसोसिएशन (ALA) की रिपोर्ट के मुताबिक 96 लाख लोगों में एक्टिव टीबी है। ऐसी टीबी का अगर समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो फेफड़ों को पूरी तरह बर्बाद करके जान ले लेती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से अवश्य मदद लें।
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फेफड़े की टीबी (Pulmonary Tuberculosis) के शुरुआती लक्षण नजर नहीं आते। पर फिर भी निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-
फेफड़े की टीबी (Pulmonary Tuberculosis) में उपरोक्त के अलावा भी लक्षण नजर आ सकते हैं। अगर आपको किसी लक्षण को लेकर परेशानी है, तो अपने डॉक्टर से मदद लेना न भूलें।
ऊपर दिए गए लक्षणों में कोई भी लक्षण नजर आने पर आपको अपने डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। ध्यान रहे कि हर व्यक्ति का शरीर बीमारी पर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में सबसे बेहतर है डॉक्टर की सलाह।
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इस बीमारी के जीवाणु हवा में काफी देर तक रह सकते हैं। ऐसे में आप तब भी टीबी का शिकार हो सकते हैं जब रोगी उस कमरे में ना हो।
फेफड़े की टीबी का खतरा कई कारणों से बढ़ जाता है जैसे-
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डॉक्टर कई तरह की परीक्षण कर इस बीमारी को पता लगा लेते हैं। इन टेस्ट में निम्न बातें सामने आती हैं जैसे-
इस तरह हो सकते हैं टेस्ट
टीबी के इलाज में मुख्य रुप से पहले दवाईयां दी जाती हैं जिससे टीबी के बैक्टीरिया से फैला इंफेक्शन खत्म हो सके। इसमें व्यक्ति को तबतक दवाई लेनी होती है जबतक लैब टेस्ट में दवाई के फायदे की पुष्टि ना हो जाए। इसमें कई तरह की दवाईयां दिन के अलग-अलग वक्त पर लेनी होती हैं। ये दवाईयां छह महीने या इससे भी ज्यादा वक्त के लिए चल सकती हैं। अगर मरीज इसकी दवाई न ले या सही वक्त पर ना ले तो फिर संक्रमण को रोकना और मुश्किल हो सकता है क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया इस दौरान दवाई के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बना लेता है।
यूं तो ये संभव नहीं है कि हर बार टीबी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचा जा सके हालांकि, कुछ तरीके आपको इसके खतरे से बचा सकते हैं।
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अपने पास हमेशा एक रूमाल रखें। ताकि, खांसते या छींकते समय आप उसे अपने मुंह और नाक पर रूमाल रखें। जिससे आपके मुंह के कण बाहर न फैले। इसके अलावा, अगर आपके पास कोई टिशू या रूमाल नहीं है, तो छींक आने पर अपने चेहरे को हाथ की कोंहनी के बीच में ले जाएं। इससे छींक के कण हवा में कम से कम फैलेंगे और आपके हाथ भी बैक्टीरिया फ्री रहेंगे। क्योंकि अगर आप खांसते या छींकते समय अपने मुंह को हाथों से ढंकेंगे तो इसके उसके कण हाथों में लग सकते हैं। फिर इन्हीं हाथों से आस अन्य वस्तुओं और अपने शरीर के अन्य हिस्सों को भी छू सकते हैं जो आपको और भी अधिक बीमार कर सकता है।
टीबी रोग सामान्य तौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। लेकिन, अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से टीबी का मरीजा है, तो उससे उचित दूरी बनाएं। खांसते या छींकते समय उनके वायरस के कण आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
रूम में हवा निकलने के लिए जगह रखें। कोशिश करें की आपके रहने का कमर हवादार हो। एसी में कम से कम रहें।
अपने मुंह पर मास्क लगाकर चलें। मास्क आपको हवा में फैले कई तरह के कणों से संक्रमित होने से सुरक्षित रख सकता है। घर से बाहर जाते समय हमेशा मास्क का इस्तेमाल करें।
अगर आपको फेफड़े की टीबी है, तो आपको घर पर रहकर दूसरों को इस गंभीर बीमारी से बचाना चाहिए।
आपका डॉक्टर आपको इस बात की सूचना दे देगा कि कब आपकी टीबी संक्रमित नहीं हो सकती। इसके बाद ही आप घर से बाहर निकलें या दूसरों से मिलें। अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
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