ये स्ट्रोक के प्रकार हैं। ऐसे स्ट्रोक में मस्तिष्क में खून का थक्का जम जाता है जिससे खून का प्रवाह बंद हो जाता है। इसके लिए एंटीप्लेटलेट और एंटीकोआगुलंट्स दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ता है। इन दवाओं को स्ट्रोक के लक्षण शुरू होने के 24 से 48 घंटों के अंदर लेना चाहिए।
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क्लॉट-ब्रेकिंग ड्रग्स
थ्रोम्बोलाइटिक ड्रग्स आपके मस्तिष्क की धमनियों में रक्त के थक्के को खत्म कर देती हैं। जो स्ट्रोक के खतरे से बचाता है। इससे मस्तिष्क को कम नुकसान होता है।
इसके अलावा एल्टेप्लेस IV आर-टीपीए नाम के ड्रग को स्ट्रोक के लिए सबसे प्रभावी दवाई माना जाता है। यह रक्त के थक्कों को बहुत तेजी से खत्म करती है। स्ट्रोक के लक्षण शुरू होने के 3 से 4.5 घंटों के अंदर इसे शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाना चाहिए। इससे स्ट्रोक होने पर स्थायी रूप से शरीर में कोई विकलांगता नहीं पनप पाती है।
स्टेंट्स
यदि डॉक्टर को पता चलता है कि स्ट्रोक से धमनी की दीवारें कमजोर हो गई हैं, तो वे संकुचित हुई धमनी को ठीक करने के लिए स्टेंट का प्रयोग कर सकते हैं। समय रहता इसका इलाज हो जाए तो सही रहता है।