के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
थायरॉइड और कार्डिएक अरेस्ट के बीच संबंध सीधे हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा है। क्या आपने कभी सोचा है कि आपका शरीर कैसे काम करता है? क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी दिल की धड़कन दूसरों से कम क्यों धड़कती है? क्या आपने कभी सोचा है कि खाना खाने के कुछ घंटों बाद आपको फिर भूख क्यों लग आती है? अगर नहीं, तो जान लें कि ये सब आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म की वजह से होता है। वहीं हमारा मेटाबॉलिज्म पूरी तरह से थायरॉइड (Thyroid) ग्रंथि पर निर्भर करता है। जब थायरॉइड ग्रंथि हार्मोन्स छोड़ती है तो वो पूरे शरीर में प्रवाहित होते हैं। हर सेल से लेकर शरीर के हर अंग तक ये पहुंचते हैं। यहां तक कि हमारे दिल की धड़कन भी इन्हीं हार्मोन्स पर निर्भर करती है। वहीं रिसर्च के मुताबिक अगर थायरॉइड ग्रंथि के ये हार्मोन हद से ज्यादा बढ़ जाएं तो व्यक्ति की कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac arrest) से मौत भी हो सकती है। जानिए थायरॉइड और कार्डिएक अरेस्ट के बीच का संबंध।
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थायरॉइड (Thyroid) एक तरह की ग्रंथि होती है जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है। यह ग्रंथि तितली के आकार की होती है और आपके शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। यह ग्रंथि आयोडीन (Iodine) का इस्तेमाल कर कई जरूरी हार्मोन भी पैदा करती है। थायरॉक्सिन (Thyroxin) यानी टी-4 एक ऐसा ही प्रमुख हार्मोन इस ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। थायरॉक्सिन को खून के द्वारा शरीर के टिशुओं में पहुंचाने के बाद इसका कुछ हिस्सा ट्रायोडोथायरोनाइन यानी टी-3 नाम सबसे सक्रिय हार्मोन में बदल जाता है।
इसके अलावा जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह आपके हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है। जब थायरॉइड हार्मेन्स हद से ज्यादा तेज होते हैं तो आपके शरीर की हर प्रक्रिया तेज हो जाती है। खाना पचने से लेकर दिल तेज धड़कना, वजन कम होना और बार-बार दस्त लगने लगते हैं। इसके उलट अगर थायरॉइड (Thyroid) हार्मोन हद से ज्यादा धीमे पड़ जाएं तो शरीर की सारी प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है जैसे खाना देर में पचना, दिल की धड़कन धीमी पड़ना, कब्ज होना और वजन बढ़ना। इस तरह थायरॉइड और कार्डिएक अरेस्ट एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
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थायरॉइड हार्मोन का बहुत कम होना और बहुत ज्यादा होना, दोनों ही स्थिति हृदय को प्रभावित करती हैं। गले में स्थित तितली के आकार की थायरॉइड ग्रंथि हॉर्मोन जारी करती है, जो आपके शरीर के प्रत्येक अंग को प्रभावित करती है। ये विशेष रूप से दिल पर असर डालती है। थायरॉइड हॉर्मोन दिल की धड़कन, रक्तचाप, और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित करता है, जिससे कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ये परेशानियां हृदय रोग के रूप में सामने आती हैं। यदि किसी को पहले से हृदय रोग है तो ये कंडिशन को बदतर बनाती हैं। यही कारण है कि थायरॉइड और कार्डिएक अरेस्ट एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
शरीर में जब थायरॉइड का स्तर कम होता है तो शरीर का सारा सिस्टम धीमा हो जाता है, जिससे थकान, वजन बढ़ना, ठंड लगना, कब्ज, शुष्क त्वचा आदि लक्षण नजर आने लगते हैं। थायरॉइड कम हो या ज्यादा हो इसका असर हृदय पर पड़ता ही है।
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हाइपोथायरायडिज्म कई तरह से हृदय और संचार प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। अपर्याप्त थायराइड हॉर्मोन हृदय गति को धीमा कर देता है। क्योंकि यह धमनियों को कम लोचदार बना देता है। इससे शरीर के चारों ओर रक्त संचार करने के लिए रक्तचाप बढ़ जाता है।
हायपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) या बहुत अधिक थायरॉइड हॉर्मोन (Thyroid hormone) की समस्या आम नहीं है। यह परेशानी 1% से कम आबादी को प्रभावित करती है, लेकिन यह भी दिल को नुकसान पहुंचा सकती है। नींद न आना, गर्मी लगना, अधिक पसीना आना (Excessive sweating), वजन कम होना, अत्यधिक भूख लगना आदि इसके लक्षण हैं। हायपरथायरॉइडिज्म में भी हार्ट बीट तेज हो सकती है। यह असामान्य हृदय गति को ट्रिगर कर सकती है।
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थायरॉइड के खतरे के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि आप एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें।
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थायरॉइड और कार्डिएक अरेस्ट को लेकर किए गए एक नए अध्ययन के मुताबिक थायरॉइड हर्मोन का बढ़ा हुआ स्तर कार्डिएक अरेस्ट के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। रोटरडम स्टडी में 10 हजार से ज्यादा लोगों पर रिसर्च की गई। इस रिसर्च के नतीजे चौंकाने वाले थे। जब कार्डिएक अरेस्ट से मौत के मामले वाले मरीजों के खून की जांच की गई तो उनमें थायरॉइड का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया। इसका सीधा मतलब था कि थायरॉइड ग्रंथि का अत्यधिक सक्रिय होना सीधे तौर पर हार्ट फेल होने की वजह था। वहीं ये भी पाया गया कि एक अंडरएक्टिव थायराइॅड ज्यादा दवाई की वजह से ओवरएक्टिव भी हो सकता है।
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रिसर्च में आगे ये भी पाया गया कि जिन लोगों में थायराइॅड का स्तर ज्यादा था उनमें कम थायरॉइड स्तर वाले लोगों मुकाबले मौत की संभावना ढाई गुना ज्यादा होती है। इसके अतिरिक्त 10 सालों में ये संभावना चार गुना तक बढ़ जाती है।
कुल मिलाकर इस रिसर्च का निचोड़ ये है कि हार्ट फेल होने जैसे घटनाक्रम अचानक होते हैं ये जिंदगी और मौत का सवाल है। ऐसे में हमें अपने थायरॉइड हार्मोन्स के प्रति सचेत रहने की बहुत जरूरत है।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में थायरॉइड और कार्डिएक अरेस्ट से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल है तो आप उसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं।
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