ऑटोइम्यून डिजीज के उदाहरणों में शामिल हैं,
रुमटॉएड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis):
प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी का उत्पादन करती है जो जोड़ों की लाइनिंग से जुड़ी होती है। प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं जोड़ों पर हमला करती हैं जिससे वजह से सूजन और दर्द की समस्या उत्पन्न होती है। यदि उपचार न किया जाए तो रुमटॉएड अर्थराइटिस ज्वाइंट को परमानेंट डैमेज कर देता है। इसके उपचार के लिए ओरल मेडिसिन या इंजेक्शन दिए जाते हैं।
सिस्टमेटिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Lupus):
ल्यूपस के कारण ऑटोइम्यून एंटीबॉडी विकसित होती है। ये पूरे शरीर में ऊतकों से जुड़ सकते हैं। ल्यूपस में आमतौर पर जोड़ों, फेफड़े, रक्त कोशिकाओं, नसों और किडनी को प्रभावित करता है। उपचार के तौर पर अक्सर डेली ओरल प्रेडनिसोन की जरूरत होती है। स्टेरॉयड प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य को कम करता है।
बाउल डिजीज (IBD):
प्रतिरक्षा प्रणाली आंतों के लाइनिंग में हमला करती है, जिससे दस्त, गुदा से खून आने जैसी समस्याएं होती हैं। पेट में दर्द, बुखार और वजन कम होना आदि समस्याएं शुरू हो जाती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग, आईबीडी के दो प्रमुख रूप हैं। ओरल और इंजेक्टेड इम्यून-सप्रेसिंग मेडिसिन आईबीडी का इलाज कर सकती हैं।