क्लेमेडिया ट्रैकोमेटिस की जांच कैसे की जाती है? (How is Chlamydia trachomatis diagnosed ?)
क्लेमेडिया से जुड़े किसी भी लक्षण को देखकर डॉक्टर आपके संक्रमण की जांच कर सकते हैं। अगर अनप्रोटेक्टेड सेक्स कर चुके हैं तो समय – समय पर जांच जरूर करवा लें। साथ ही अगर आपके पार्टनर में कोई भी लक्षण है तो उनसे भी जांच करवाने के लिए अवश्य कहें।
क्लेमेडिया ट्रैकोमेटिस का इलाज कैसे किया सकता है? (How can Chlamydia trachomatis be treated?)
एंटीबायोटिक की मदद से इस बीमारी का इलाज किया जाता है। आमतौर से डॉक्टर आपको पांच से 10 दिनों की दवाएं देंगे कई बार दो हफ्तों का समय भी लग सकता है। कोशिश करें कि जब तक दवा चल रही हो तब तक सेक्स न करें। साथ ही दवाइयों का पूरा कोर्स अवश्य पूरा करें। अगर आप बीच में कोई भी दवा छोड़ते हैं तो ये इन्फेक्शन दोबारा भी हो सकता है।
क्लेमेडिया ट्रैकोमेटिस के कारण क्या-क्या परेशानी हो सकती है?
इसकी वजह से निन्मलिखित परेशानी हो सकती है। जैसे-
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually Transmitted Infections)
क्लेमेडिया ट्रैकोमेटिस से पीड़ित लोगों में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs) का खतरा ज्यादा होता है।
पेल्विस इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID)
पीआईडी यूट्रस में होने वाला एक तरह का इंफेक्शन है। पीआईडी होने पर पेल्विस में दर्द और बुखार भी हो जाता है। कभी-कभी परेशानी बढ़ने पर हॉस्पिटल में एडमिट भी होना पड़ सकता है। PID के कारण फॉलोपियन टियूब, ओवरी और यूट्रस समेत सर्विक्स पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
टेस्टिकल्स के पास इंफेक्शन होना
क्लेमेडिया इंफेक्शन के कारण टेस्टिकल्स के पास इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। कई बार इंफेक्शन के कारण बुखार, स्क्रोटल में दर्द और सूजन की समस्या होती है।
प्रोस्टेट ग्लैंड इंफेक्शन (Prostate gland infection)
क्लेमेडिया इंफेक्शन प्रोस्टेट में भी फैल सकता है। इसकी वजह से पुरुषों में बुखार होना, अत्यधिक ठंड लगना, यूरिन के दौरान दर्द महसूस होना और बैक के निचले हिस्से में दर्द की समस्या हो सकती है।
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