के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
बोन टेस्ट एक न्यूक्लियर इमेजिंग टेस्ट है जो कई तरह की हड्डियों की बीमारी का निदान करता और नजर रखता है। आपकी हड्डियों में अनजान कारणों से दर्द, हड्डियों में संक्रमण या चोट लगी है जो स्टैंडर्ड एक्स रे में नहीं दिखाई देती है, तो डॉक्टर बोन टेस्ट के लिए कहता है।
बोन टेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए भी महत्वपूर्ण उपकरण हैं। कैंसर जो ट्यूमर के मूल स्थान जैसे ब्रेस्ट या प्रोस्टेट से हड्डियों तक फैल गया हो।
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यदि आपको हड्डियों में दर्द रहता है, तो बोन टेस्ट से इस दर्द का कारण पता लगाया जा सकता है। बोन मेटाबॉलिज्म में किसी भी अंतर के लिए यह टेस्ट बहुत संवेदनशील है। पूरी हड्डियों को स्कैन करने की क्षमता के कारण यह बड़े पैमाने पर हड्डियों की बीमारी का निदान करने में मदद करता है, जैसेः
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बोन टेस्ट में पारंपरिक एक्स-रे से ज्यादा जोखिम नहीं होता है। बोन टेस्ट में इस्तेमाल होने वाले रेडियोएक्टिव पदार्थ के ट्रेसर से बहुत कम रेडिएशन एक्सपोजर होता है। ट्रेसर से एलर्जिक रिएक्शन का खतरा भी बहुत कम रहता है।
हालांकि, यह टेस्ट प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए असुरक्षित है। इससे भ्रूण को नुकसान पहुंचने और ब्रेस्ट मिल्क के दूषित होने का खतरा रहता है। यदि आप प्रेग्नेंट हैं या ब्रेस्टफीड कराती हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं।
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आपको टेस्ट की तैयारियों के लिए कुछ खाना-पीना बंद करने या कोई गतिविधि बंद करने की जरूरत नहीं है। बस अपने डॉक्टर को यह बताएं कि क्या आपने बिस्मथ युक्त दवाई ली है, जैसे पेप्टो-बिस्मोल या आपने पिछले चार दिनों के भीतर बेरियम कंट्रास्ट सामग्री का उपयोग करके एक्स-रे टेस्ट करवाया है। बेरियम और बिस्मथ बोन टेस्हट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं।
टेस्ट से पहले आपको सभी गहने और मेटल की चीजें खोलने को कहा जाएगा। प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं का बोन टेस्ट नहीं किया जाता, क्योंकि इससे नवजात पर रेडिएशन के असर का खतरा रहता है। यदि आप प्रेग्नेंट हैं या ब्रेस्टफीड कराती हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं।
आपकी नस में रेडियोएक्टिव पदार्थ का इंजेक्शन दिया जाता है। उसके बाद पदार्थ को शरीर के अंदर ही अगले 2 से 4 घंटे काम करने दिया जाता है। बोन टेस्ट के कारणों के आधार पर, आपका डॉक्टर तुरंत इमेजिंग शुरू कर सकता है।
पदार्थ जैसे ही पूरे शरीर में फैलता है, बोन सेल्स अपने आप उस हिस्से में पहुंचते हैं जहां मरम्मत की ज़रूरत होती है। पदार्थ के रेडियोएक्टिव ट्रेसर सेल्स का पीछा करते हुए उस जगह पहुंचते हैं जहां हड्डी क्षतिग्रस्त है। यह उन क्षेत्रों में लिया जाता है जहां रक्त का प्रवाह ज़्यादा होता है।
पर्याप्त समय बीत जाने के बाद डॉक्टर एक विशेष कैमरे से हड्डियों को स्कैन करता है। क्षतिग्रस्त हिस्से, जहां पदार्थ बस गया है, तस्वीर में काले धब्बे के रूप में दिखते हैं। यदि पहले दौर में डॉक्टर को निर्णायक परिणाम नहीं मिलते हैं, तो वह दोबारा इंजेक्शन लगाएगा और इमेजिंग प्रक्रिया को दोहराएगा। वह सिंगल फोटोन इमिशन कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (SPECT) के लिए भी कह सकता है। यह बोन टेस्ट की तरह ही होता है, सिर्फ इमेजिंग प्रक्रिया में हड्डियों की 3-D इमेज बनती है। SPECT जरूरी होता है यदि डॉक्टर आपकी हड्डियों की गहराई से जांच करना चाहता है। साथ ही मूल फोटो में कुछ हिस्से के साफ न आने पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
बोन टेस्ट (Bone test) के बाद क्या होता है?
बोन टेस्ट का आमतौर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है और न ही आगे किसी तरह के देखभाल की जरूरत होती है। ट्रेसर्स से निकलने वाला रेडियोएक्टिव टेस्ट के दो दिनों बाद पूरी तरह से खत्म हो जाता है।
बोन टेस्ट के बारे में किसी तरह का प्रश्न होने पर और उसे बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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जब रेडियोएक्टिव पदार्थ समान रूप से शरीर में फैल जाते हैं तो परिणाम सामान्य माना जाता है। इसका मतलब है कि आपको कोई गंभीर हड्डियों की समस्या नहीं है। परिणाम तब असामान्य माने जाते हैं जब टेस्ट में कुछ गहरे धब्बे ‘हॉट स्पॉट्स’ हल्के निशान ‘कोल्ड स्पॉट्स’ नजर आते हैं। हॉट स्पॉट वह जगह है जहां रेडियोएक्टिव पदार्थ ज्यादा मात्रा में जमा हैं। जबकि कोल्ड स्पॉट वह हिस्सा है जहां रेडियोएक्टिव पदार्थ है ही नहीं। असामान्य परिणाम का मतलब है कि आपको हड्डियों का रोग है, जैसे- कैंसर या गठिया या हड्डियों में संक्रमण।
हालांकि, इस टेस्ट से बोन मेटाबॉलिज्म में समस्याओं का पता चलता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इसके कारणों का भी पता चले। बोन टेस्ट बताता है कि समस्या है और कहां है। इसलिए टेस्ट में असामान्यताएं पाए जाने पर आपको और दूसरे टेस्ट करवाने होंगे। आपका डॉक्टर इसके बारे में बताएगा और प्रक्रिया के दौरान आपकी मदद करेगा।
सभी लैब और अस्पताल के आधार पर बोन टेस्ट की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बोन टेस्ट क्या और किस लिए किया जाता है, इससे जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है। ये जानकारी आपके काफी काम आ सकती हैं। यदि आपका इससे जुड़ा अन्य कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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