फॉस्फेट टेस्ट
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
फॉस्फेट टेस्ट
फॉस्फेट टेस्ट आपके रक्त में फॉस्फेट की मात्रा को मापता है।
खनिज फॉस्फोरस को ऑक्सीजन से मिलाने पे फॉस्फेट बनता है । खाने पीने की कुछ चीजें – जैसे, बीन्स, नट्स, अनाज, दूध, अंडे, बीफ़, चिकन, और मछली से फॉस्फोरस आपकी आंतों में प्रवेश करता है। जब यह ऑक्सीजन के साथ मिलता है, तो यह फॉस्फेट बन जाता है।
अधिकांश फॉस्फेट कैल्शियम के साथ मिलकर आपकी हड्डियों और दांतों के निर्माण और मरम्मत के काम करते हैं। कुछ आपकी मांसपेशियों और नर्व्स/तंत्रिकाओं का सपोर्ट करते हैं।
टेस्ट के दौरान फॉस्फोरस को फॉस्फेट या ऐसा ही कुछ बोला या सुना जाता है । ऐसे शब्दों से भृमित ना हो।
हालांकि, फॉस्फेट हमारे आंतो के द्वारा सोख लिया जाता है और किडनी से फ़िल्टर होकर बाहर निकल जाता है । आमतौर पर यह टेस्ट किडनी और बोन डिसऑर्डर को डायग्नोज और मोनिटर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर पैराथॉयराइड डिसऑर्डर को डायग्नोज करने के लिए भी यह टेस्ट रिकमेंड कर सकते हैं।
एब्नॉर्मल फॉस्फेट का लेवल जैसे, हड्डी की समस्या, थकान और कमजोरी जैसे लक्षण दिखने पे किडनी विकार/डिसऑर्डर होने के संकेत देता है।
आपका डॉक्टर फॉस्फेट टेस्ट कराने के निर्देश दे सकता है अगर उसे लगता है कि:
चूंकि फॉस्फेट कैल्शियम के साथ मिलकर काम करता है, इसलिए डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए भी फॉस्फेट टेस्ट की मदद ले सकता है कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी तो नहीं और वह सही ढंग से काम कर रहा है या नहीं । कैल्शियम से संबंधित समस्याएं कम विटामिन डी का संकेत हो सकती हैं, या दूसरी समस्याए हो सकती है जैसे :
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इंजेक्ट साइड को साफ करने के बाद डॉक्टर आपकी बाह पे एक रबर बैंड लगा देगा ताकि आपकी नसों से खून आसानी से निकाला जा सके । इसके बाद डॉक्टर आपकी नसों में सुई इंजेक्ट करेगा और ब्लड को एक ट्यूब में कलेक्ट कर लेगा । जरूरत के हिसाब से सैंपल लेने के बाद डॉक्टर इंजेक्ट साइड पे रुई या बैंडेज लगा देगा और रबर बैंड को हाथ से निकाल देगा। अंत में डॉक्टर ट्यूब में लेबल लगाकर उसे जांच के लिए लैब भेज देगा ।
यदि आपका कुछ दिनो पहले ही डायलिसिस हुआ है तो निश्चित तौर यह आपके फॉस्फेट के स्तर को प्रभावित कर सकता है, साथ ही ऐसा कुछ दवाएं भी कर सकती है । जो कुछ भी आप खाते और पीते हैं, उनके द्वारा भी आपके टेस्ट रिजल्ट पे असर पड़ सकता है । जांच से पहले कौन कौन सी चीजों से आपको परहेज करना है इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करे, जैसे,
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यदि आपका कुछ दिनो पहले ही डायलिसिस हुआ है तो निश्चित तौर यह आपके फॉस्फेट के स्तर को प्रभावित कर सकता है, साथ ही ऐसा कुछ दवाएं भी कर सकती है । जो कुछ भी आप खाते और पीते हैं, उनके द्वारा भी आपके टेस्ट रिजल्ट पे असर पड़ सकता है । जांच से पहले कौन कौन सी चीजों से आपको परहेज करना है इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करे, जैसे,
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जब टेस्ट रिजल्ट बहुत हाई या बहुत लो होते है तो वो इस बात का इशारा करते है कि शारिरिक स्थिति में कुछ गड़बड़ है ।
यदि आपके फॉस्फेट का लेवल लो है तो वह इस स्थिति की तरफ इशारा करता है :
हाई फॉस्फेट लेवल संकेत कर सकते हैं:
फॉस्फेट टेस्ट के साथ डॉक्टर आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए भी रिकमेंड कर सकता है:
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में फॉस्फेट टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपमें ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट लिख सकता है। फॉस्फेट टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।
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