के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
मेनिस्कस सर्जरी घुटने से संबंधित ऑपरेशन है। जिसे मेनिस्कस टीयर रिपेयर सर्जरी (Meniscus tear repair surgery) भी कहते हैं। मेनिस्कस घुटने का मांसपेशी वाला भाग है जो कार्टिलेज का बना होता है। ये घुटने को टूटने-फूटने से बचाता है। कुछ मामलों में मेनिस्कस टुकड़ों में जाता है और घुटने के जोड़ से चिपक जाता है। जिसके कारण घुटने जाम हो जाते हैं।
मेनिस्कस टियर हमेशा दिशा बदलने या मुड़ने से होती है। ये अक्सर खेलने वालों के साथ होता है। जैसे- फुटबॉल, वॉलीबॉल, जंपिंग आदि तरह के खेल खेलते समय मेनिस्कस टियर हो जाता है। मेनिस्कस टियर घुटने की समस्या से पीड़ित लोगों को भी हो जाती है, जैसे- एंटिरियर क्रुशिएट लिगामेंट (ACL)। ऐसी स्थिति में डॉक्टर सर्जरी से मेनिस्कस के डैमेज टिश्यू को रिपेयर करते हैं या निकाल देते हैं।
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मेनिस्कस सर्जरी का मुख्य उद्देश्य मेनिस्कस टियर को ठीक करना है। मेनिस्कस सर्जरी सर्जन तब करते हैं जब सभी तरह के दवाएं, थेरिपी या इलाज असफल हो जाते है। मेनिस्कस टियर रिपेयर सर्जरी घुटने की गंभीर चोट में भी की जाती है।
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सारे मामलों में मेनिस्कस की सर्जरी जरूरी नहीं है। अगर मेनिस्कस टीयर बहुत हल्का है। तो वह अपने आप ठीक हो सकता है। क्योंकि, मेनिस्कस में कई सारे खून की नसें होती हैं, जो टीयर को रिपेयर होने में मदद करती है। हल्के मेनिस्कस टियर के मामले में डॉक्टर आपको आराम और बर्फ से सिकाई करने की सलाह देंगे। वहीं, ज्यादा दर्द होने पर आईब्यूप्रोफेन जैसे पेनकिलर देते हैं। मेनिस्कस सर्जरी से बचने के लिए डॉक्टर कई तरह की थेरिपी अपनाते हैं। जैसे- स्टेरॉयड शॉट्स, फिजिकल थेरिपी या घुटने का पट्टा इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं। मेनिस्कस का अंदरूनी हिस्सा व्हाइट पार्ट (White Part) कहा जाता है। ये व्हाइट पार्ट चोटिल होने के बाद खुद से रिपेयर नहीं हो पाता है। ऐसे में मेनिस्कस सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
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मेनिस्कस टियर रिपेयर सर्जरी के कुछ सामान्य से साइड इफेक्ट्स सामने आते हैं :
मेनिस्कस टियर रिपेयर में रिस्क काफी कम है। वहीं, समस्याएं भी बेहद दुर्लभ हैं। मेनिस्कस टियर रिपेयर सर्जरी में त्वचा की नर्वस में चोट आ सकती है, संक्रमण और घुटनों में जकड़न जैसी समस्या भी हो सकती है। संक्रमण होने पर डॉक्टर मरीज को एंटीबायोटिक देते हैं। अमूमन ये समस्याएं सभी को नहीं होती है। लेकिन, फिर भी आपको इसके साइड इफेक्ट्स और होने वाली समस्याओं के बारे में जान लेना चाहिए। इसी के साथ ही मेनिस्कस सर्जरी से संबंधित कोई सवाल हो तो सर्जन से जरूर शेयर करें।
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मेनिस्कस सर्जरी करने में लगभग एक घंटे का समय लगता है। मेनिस्कस सर्जरी के लिए सर्जन मेनिस्कल रिपेयर और मेनिस्केटॉमी प्रक्रिया को अपनाते हैं। इसमें आर्थ्रोस्कोपी का इस्तेमाल होता है। सबसे पहले एनेस्थेटिस्ट आपके घुटने को सुन्न करते हैं। इसके बाद सर्जन आपके घुटने में एक छोटा सा चीरा लगाते हैं। इसमें आर्थ्रोस्कोप को डाला जाता है। आर्थ्रोस्कोप में एक छोटा कैमरा लगा होता है। जो घुटने के अंदर की तस्वीर को मॉनिटर पर दिखाता है। इसके बाद सर्जन अंदर हुई टूट-फूट की मरम्मत भी आर्थ्रोस्कोप से ही करते हैं। मेनिस्कस टीयर की रिपेयरिंग के बाद सर्जन आर्थ्रोस्कोप को बाहर निकाल लेते हैं और चीरे पर टांका लगा देते हैं।
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अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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