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चिंता और डिप्रेशन: इन तरीकों से समझें इनके बीच का अंतर

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Smrit Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/03/2021

    चिंता और डिप्रेशन: इन तरीकों से समझें इनके बीच का अंतर

    आजकल हर दूसरा इंसान चिंताओं से घिरा रहता है। लोग दिन-रात काम के तनाव के साथ-साथ कई तरह के स्ट्रेस का भी सामना कर रहे हैं। लोग अकेले कई आज  कई  मानसिक लड़ाइयां लड़ रहे हैं। कई बार चिंता के अलावा लोग डिप्रेशन का भी शिकार हो जाते हैं। वहीं लोगों का चिंता और डिप्रेशन के बीच का फर्क जानना भी जरूरी है। इस आर्टिकल में हम आपको चिंता और डिप्रेशन के बीच का फर्क करने के टिप्स देंगे। इन टिप्स की मदद से आप चिंता और डिप्रेशन के साथ भी एक बैलेंस और रिलेक्सड लाइफ जी सकेंगे।

    चिंता क्या है? (What is the Anxiety)

    यह कोई बीमारी नहीं है। यह एक भावना है, जिसमें आप खुद को मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत ही दबा हुआ महसूस करते हैं, यह किसी भी स्थिति या कारण की वजह से हो सकता है। लोग कई बार उम्मीदों के पूरे न होने या किसी से कोई अपेक्षा पूरी न होने या किसी अपने से दूर जाने के कारण भी लोग चिंता करने लगते हैं। आज की रोजमर्रा की जिंदगी में तनाव, टेंशन, चिंता, फ्रिक जैसें शब्द आम हो गए हैं क्योंकि, आजकल हर कोई इन समस्याओं से घिरा हुआ खुद को पाता है।

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    डिप्रेशन क्या है? (What is depression)

    यह एक ऐसा तनाव है, जिससे व्यक्ति लंबे समय से ग्रस्त होता है। इसमें व्यक्ति खुद को बहुत ही डिप्रेस्ड और दबा हुआ महसूस करता है। यह किसी भी पूर्व समय में घटित घटनाओं की वजह से होता है। चिंता और अवसाद (डिप्रेशन) दोनों ही मानसिक पीड़ा है और इनके लक्षण भी लगभग एक जैसे होते हैं। हालांकि, यह दोनों ही एक दूसरे से बहुत अलग हैं। हम यहां इनके बीच कुछ अंतर देखेंगे।

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    चिंता और डिप्रेशन में अंतर क्या है? (What is the difference between anxiety and depression?)

    • चिंता या तनाव आपके जीवन में चल रहे वर्तमान कारणों से संबंधित होती हैं लेकिन, डिप्रेशन किसी भी ऐसे कारण से हो सकती है, जो पूर्व समय में घटित हुआ हो।
    • चिंता कुछ समय में ठीक हो सकती है लेकिन, डिप्रेशन बहुत ही लंबे समय तक रहता है, जैसे कि एक साल या उससे भी ज्यादा।
    • यदि चिंता का इलाज नहीं किया जाता, तो व्यक्ति तनावग्रस्त और चिंता विकार जैसी दिक्कतों का सामना करता है। लेकिन, यदि डिप्रेशन का इलाज नहीं किया गया, तो व्यक्ति के भीतर खुद को हानि पहुंचाने जैसे विचार लाता है।
    • चिंता या तनाव के कारण एड्रेनालाइन का स्तर बढ़ जाता है लेकिन, अवसाद या डिप्रेशन में मस्तिष्क में थकान बढ़ जाती है।
    • चिंता यदि कम हो, तो वो लाभदायक भी साबित हो सकती है लेकिन, डिप्रेशन से सिर्फ नुकसान ही होता है।
    • चिंता के कारण स्पष्ट होते हैं लेकिन, अवसाद का कोई भी कारण हो सकता है
    • चिंता को समाज सहज नजरिए से देखता है लेकिन, डिप्रेशन को आज भी सामाजिक रूप से अपमानजनक माना जाता है।

    लगातार चिंता करते रहने से इंसान एंजाइटी का भी शिकार हो जाता है। एंजाइटी का शिकार हो चुका इंसान बहुत ज्यादा चिंता करता है।अगर कोई शख्स कम से कम 6 महीनों के समय में अधिकांश दिन, या तो अपने स्वास्थ्य, काम, सामाजिक बातचीत, रोजमर्रा की परिस्थितियों के बारे हद से ज्यादा सोचता है और परेशान रहता है तो यह एक बहुत ही गंभीर लक्षण है कि वो चिंताग्रस्त है।

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    चिंता और डिप्रेशन का शिकार होने के लक्षण (symptoms of Anxiety and depression)

    चिंता और डिप्रेशन

    • लगातार चिंता करते रहने से इंसान बेचैनी महसूस करता है और साथ-साथ लोगों से मिलना-जुलना कर देता है, जिससे उसकी सोशल लाइफ पर खासा प्रभाव पड़ता है। चिंता और डिप्रेशन दोनों ही स्थिति में लोगों की सोशल लाइफ इफेक्ट होती है।
    • अत्यधिक चिंता करने से इंसान पूरा दिन थका हुआ महसूस करता है। चिंता और डिप्रेशन की स्थिति में  इंसान में यह लक्षण अलग हो सकता है। डिप्रेशन की स्थिति में शख्स खुद ही कुछ करना नहीं चाहता।
    • चिंता के कारण लोगों को किसी काम को करते समय फोकस करने में दिक्कत हो सकती है। चिंता और डिप्रेशन दोनों में ही इंसान को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है।
    • चिंता और डिप्रेशन के कारण इंसान काफी चिड़चिड़ा हो जाता है।
    • चिंता के कारण लोगों को मशल्स में तनाव रह सकता है।
    • चिंता और डिप्रेशन का शिकार होने पर लोग अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं और इमोशनली काफी कमजोर हो जाते हैं।
    • चिंता और डिप्रेशन का शिकार इंसान पूरी नींद भी नहीं ले पाता है

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    चिंता और डिप्रेशन के कारण होने वाली समस्याएं (Problems caused by anxiety and depression)

    कई शोधों में सामने आया है कि भावनात्मक क्षति के कराण लोग चिंता और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। चिंता और डिप्रेशन के कारण इंसान को कई समस्याएं हो सकती हैं।

    • चिंता और डिप्रेशन के कारण इंसान को बाहरी माहौल में घुलने-मिलने में परेशानी हो सकती है।
    • चिंता और डिप्रेशन के शिकार लोगों बड़ी से आसानी से नशे की लत या अन्य बुरी आदतों में पड़ सकते हैं।
    • नशे की लत और नींद पूरी न होने के कारण चिंता और डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों का लाइफस्टाइल काफी खराब हो जाता है।
    • इन समस्याओं से जूझ रहे लोगों में शारीरिक विकार भी हो सकते हैं।

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    चिंता और डिप्रेशन की स्थिति में उपाय और उपचार (Remedies and treatments for anxiety and depression)

    चिंता और डिप्रेशन

    साइकोलॉजिकल हेल्प

    साइकोलॉजिकल हेल्प एक ऐसा तरीका है, जो चिंता और डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों की मदद कर सकता है। साइकोलॉजिकल हेल्प से लोगों में सकारातमक सोच, चिंता में कमी आती है।

    मेडिकेशन

    मेडिकेशन चिंता और डिप्रेशन से पूरी तरह से निजात पाने के लिए सही तरीका नहीं है। मेडिकेशन से केवल इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। लेकिन, यह चिंता ओर डिप्रेशन को जड़ से खत्म नहीं कर सकता है।

    लिस्ट बनाएं

    हमेशा उन बातों की लिस्ट बनाएं, जो बातें आपके तनाव का कारण बनती हैं। सभी चीजों की सूची बनाने से आपको हमेशा यह याद रहेगा कि कौन-सी ऐसी स्थिति हैं, जहां आप खुद को सहज महसूस नहीं करते हैं।

    नशीले पदार्थों से बचें

    नशीले पदार्थ जैसे तंबाकू, ड्रग्स और शराब यह शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। इसकी लत अगर एक बार इंसान को लग जाती है, तो इससे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है। यह हमारे शरीर को कमजोर कर देता है और हम डिप्रेशन और तनाव से लड़ने में असमर्थ हो जाते हैं।

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    सकारात्मक वातारण

    अगर वातारण अच्छा होगा, तो आप स्वाभाविक रूप से अच्छा महसूस करेंगे। एक कहावत भी है कि ‘मन चंगा तो जग चंगा’ और ऐसा तभी मुमकिन हो पाता है, जब आपके आसपास का वातावरण खुशहाल होता है। हमेशा हमें उन लोगों के साथ रहना चाहिए, जो हमें पॉजिटिव रहने में मदद करते हैं या जिनके साथ हम अच्छा महसूस करते हैं।

    यदि हम किसी कारण से तनाव से ग्रस्त हैं और हमारे आसपास के लोग हमारे प्रति नकारात्मक सोच रखते हैं, तो इससे तनाव कि स्थिति उत्पन्न होने की अधिक आशंका रहती है।

    आहार अच्छा लेना

    स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक अच्छा आहार लेना बहुत आवश्यक होता है। बहुत से शोधकर्ताओं ने कहा है कि अच्छा भोजन करना मानसिक स्वास्थ पर सकारात्मक असर डालता है। वास्तव में ऐसे कई अध्ययन भी हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि सात्विक भोजन करने से मानसिक तनाव को रोका जा सकता है। तनाव हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है, यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालकर हमको बीमार बनाता है। इससे बचने के लिए हमे अच्छे लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए।

    नींद पूरी लें

    यदि आप देर रात तक जागते हैं, तो ये सीधा आपके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालता है। नींद पूरी न होने की वजह से शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है, जिससे आपका शरीर और मस्तिष्क सुचारू रूप से काम नहीं कर पाता है। शरीर में बहुत-सी बीमारियां घर कर लेती हैं, इसीलिए 8 घंटे की नींद जरूर लें ताकि आप तनाव के खतरे को कम कर सकें।

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    चिंता और डिप्रेशन के इलाज के लिए आमतौर पर साइकोलॉजिकल हेल्प या मेडिकेशन की मदद ली जाती है। कई मामलों में इन दोनों की ही जरूरत हो सकती है। आपके लिए इन दोनों तरीकों में से क्या बेहतर है, यह आपका डॉक्टर आपकी मानसिक स्थिति का आंकलन करने के बाद तय कर सकता है। साथ ही बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें।

    चिंता और डिप्रेशन दोनों के ही उचित उपाय के लिए इनके बीच का अंतर मालूम होना आवश्यक हैं। अपने रोजमर्रा के कामों को लेकर जीवन में थोड़ी-बहुत चिंता, एंग्जायटी हर इंसान को होती है। लेकिन, यदि कोई व्यक्ति अधिक चिंतित रहने लगे और हर छोटी बात पर गहनता से विचार करे, जिससे तनाव होने लगे, तो यह सोच का विषय है।

    हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में चिंता और अवसाद से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपको ऊपर बताई गई कोई सी भी मानसिक समस्या है तो बताए गए उपचार का इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।बस इस बात का ध्यान रखें कि हर उपचार सुरक्षित नहीं होता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें तभी इसका इस्तेमाल करें। अगर आप चिंता या अवसाद से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

    डिस्क्लेमर

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