6.पहले बच्चे की मर्जी
जब बच्चे छोटी उम्र के होते हैं, तो उन्हें दूसरे की चीजें देखकर उसे पाने की जिद्द हो सकती है। ऐसे में कई बार वो अपने छोटे भाई-बहन की भी जिद्द कर सकते हैं। वहीं, कई पेरेंट्स को यह भी डर रहता है कि दूसरे बच्चे से उनका पहला बच्चा चिढ़ सकता है या वो खुद को असुरक्षित समझ सकता है। इसलिए, अपने बच्चे से भी इस बारे में पूछना चाहिए कि क्या उसे एक छोटा भाई या बहन चाहिए। साथ ही, उसे इसके बारे में भी बताएं कि जब घर में उसका छोटा भाई या बहन आएंगे, तो उनके प्रति उसकी जिम्मेदारियां क्यो हो सकती हैं। अपनी जिम्मेदारियों को वह किस तरह से पूरा कर सकते हैं।
फैमिली प्लानिंग: निजी रायों से लें अनुभव
कानपुर की रहने वाली भावना एक वर्किंग वुमेन हैं। उनकी एक तीन साल की बेटी है। बेटी के जन्म के पहले भावना जॉब करती थी। लेकिन बेटी के आने के बाद कुछ समय के लिए उन्हें अपने काम को ब्रेक देना पड़ा। हालांकि, बेटी के थोड़े बड़े होने के बाद अब वो वापस से अपने काम पर फोकस कर पा रहीं है। उनका कहना है “जब भी दूसरे बच्चे का फैसला लें, तो यह पूरी तरह से पति-पत्नि का निजी मामला होना चाहिए। उनके इस फैसले में किसी भी तीसरे को शामिल नहीं करना चाहिए। क्योंकि, बच्चे की परवरिश पूरी तरह से उसके माता-पिता पर ही निर्भर होती है। साथ ही अगर दूसरे बच्चे का फैसला ले ही लिया है तो आपनी आर्थिक प्लानिंग पर भी ध्यान दें।”
अगर आप दूसरे बच्चे के लिए मन बना चुके हैं, तो कैसे उसकी परवरिश का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में अपने दोस्त या परिवार के सदस्यों की भी मदद लें सकते हैं। साथ ही, दूसरे बच्चे के आने के बाद आपको अपने पहले बच्चे की भी जरूरतों का पूरा ख्याल रखना चाहिए। कोशिश भी करें कि दोनों बच्चों को एक साथ एक बराबर समय दें।