के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar
कॉर्नफ्लावर एक हर्ब है। इसे बैचलर बटन (bachelor button), ब्लूब्लॉ (blueblow), ब्लूकैप (blue cap), ब्लू पॉपी (blue poppy), ब्लूबोनेट्स (bluebonnets) और बास्केट फ्लावर (basket flower) भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Centaurea cyanus है। इसमें नीले रंग के फूल आते हैं जिन्हें सूखा कर कई दवाओं में प्रयोग किया जाता है।
कई लोग बुखार, कब्ज और सीने में दर्द से राहत पाने के लिए इसकी चाय बनाकर पीते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसका इस्तेमाल कई दवाओं में भी किया जाता है। यह पौधा खासतौर पर अपनी एंटी-इन्फलॉमेटरी प्रॉपर्टिज के लिए जाना जाता है। इसे हर्बल टी के रूप में लिया जाता है। ये पेट के अल्सर को राहत पहुंचाता है। इसके अलावा ब्लीडिंग गम और छालों की समस्या को दूर करने के लिए भी इसे फायदेमंद माना जाता है। इसकी चाय डायजेशन को सुधार के लिए अच्छी मानी जाती है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण यह लिवर की सफाई के लिए वरदान समान होता है।
कुछ लोग इसे लिवर और गॉलब्लेडर के लिए टॉनिक की तरह लेते हैं। महिलाएं पीरियड्स में होने वाले दर्द और वैजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन से निजात दिलाता है। वहीं कई लोग आंखों में बेचैनी और जलन होने पर इसके पत्तों को सीधा आंखों पर लगाते हैं। इसे त्वचा के घाव और खरोंच पर लगाने से राहत मिलती है।
इसके अलावा कई थेरेपी में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसमें पाचन और यूरीन पास करने के गुण होते हैं। ये लिवर द्वारा किए जाने वाले कामों और प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने में मदद करते हैं। इसमें एंटी-इन्फलामेटी गुण होते हैं जो आखों को आराम करने में मदद करते हैं।
कॉर्नफ्लावर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसे हर्बल चाय के रूप में पीने से पेट में अल्सर में आराम मिलता है। साथ ही इसे गार्गल के रूप में मुंह के घावों, मसूड़ों के घावों और मसूड़ों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है।
निम्नलिखित समस्याओं के इलाज में भी नीलकूपी का उपयोग होता है:
कॉर्नफ्लावर में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो डाइजेशन में सुधार करने के साथ लिवर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है। साथ ही इसमें एंटी-बायोटिक और एंटी-सेप्टिक गुण भी होते हैं जो यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के ट्रीटमेंट में मदद करता है। कॉर्नफ्लावर में पाए जाने वाला टैनिन घावों को भरने में मदद करता है। इसमें विटामिन-बी7 और कैल्शियम होता है। इसके अलावा ये एंथोसयानिन, एंटीऑक्सीडेंट, बेंजोफाइरोन, पॉलीएसटीलीन, पॉलीफेनॉल, सेसक्वीटेपेने लैक्टॉन होते हैं जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इसे लेकर अधिक शोध करने की जरूरत है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें।
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हर्बल सप्लीमेंट के उपयोग से जुड़े नियम अंग्रेजी दवाओं के नियमों जितने सख्त नहीं होते हैं। इनकी उपयोगिता और सुरक्षा से जुड़े नियमों के लिए अभी और शोध की जरुरत है। इस हर्बल सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले इसके फायदे और नुकसान की तुलना करना जरूरी है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।
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आमतौर पर हर्बल चाय में रंग लाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला कॉर्नफ्लावर को सीमित मात्रा में लेना सुरक्षित है। इसके सेवन से कोई साइड इफेक्ट अभी तक ध्यान में नहीं आए हैं। अगर आपको कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए सीमित मात्रा में और डॉक्टर की देखरेख में ही इसका सेवन करें।
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इस हर्बल सप्लीमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें। कभी भी अपनी खुराक खुद से निर्धारित न करें। इसका आपकी सेहत पर बुरा असर हो सकता है। इसकी खुराक लेने के लिए किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें।
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कॉर्नफ्लावर निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में इस हर्बल से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपको ऊपर बताई गई कोई सी भी शारीरिक समस्या है तो इस हर्ब का इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि हर हर्ब सुरक्षित नहीं होती। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें तभी इसका इस्तेमाल करें। कॉर्नफ्लावर से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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