के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar
टर्पिनटाइन ऑयल लंबे पत्तेवाले चीड़ के पेड़ों से प्राप्त होने वाले रेजिन से प्राप्त किया जाता है। चीड़ के पेड़ों के लंबे धड़ों को छीलने पर निकलने वाले स्त्राव को रेजिन कहते हैं। इस रेजिन में ही तारपीन होता है। तारपीन को अलग तरीकों से निकाला जाता है। पेड़ को छीलने से जो तेल निकलता है उसे गोंद तारपीन कहा जाता है। काठ के विलायक निष्कर्षण से जो तेल प्राप्त होता है उसे काठ तारपीन कहते हैं। इन अलग-अलग तरीकों से प्राप्त तेलों में कोई खास अंतर नहीं है और इनके इस्तेमाल भी एक से ही हैं। इसे तारपीन का तेल भी कहा जाता है।
औषधीय गुणों से भरपूर टर्पिनटाइन ऑयल कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। टर्पिनटाइन ऑयल का प्रयोग जोड़ों के दर्द, दांतों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और तंत्रिका के दर्द के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल शरीर के विभिन्न अंगों के दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है, इसलिए इसे दर्द निवारक तेल भी कहा जाता है। कुछ लोग फेफड़ों के रोगों के साथ-साथ छाती में जमाव को कम करने के लिए इस तेल को भाप की तरह भी लेते हैं।
तारपीन का तेल किस तरीके से काम करता है, इसके बारे में पर्याप्त अध्ययन नहीं है। हालांकि अगर इसे भाप के जरिए लिया जाए तो इससे सांस लेने में आसानी होती है। त्वचा पर इसका इस्तेमाल करने से स्किन पर लालिमा हो सकती है, लेकिन ये दर्द को दूर करने में मदद करता है। तारपीन का तेल इस्तेमाल करने से पहले इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से संपर्क करें।
तारपीन के तेल को कोई एडल्ट अपनी स्किन पर या फिर ठीक तरीके से स्टीम के जरिए लेता है तो ये सुरक्षित है, लेकिन मुंह के जरिए इसे लाना या फिर स्किन के ज्यादा हिस्से पर इसका प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है। इसे कभी भी बच्चों को मुंह के जरिए देने की गलती न करें। तारपीन के तेल में केमिकल होते हैं, जिसे पीने के बाद बच्चे की जान भी जा सकती है। हालांकि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि बच्चों की त्वचा पर इसे इस्तेमाल करना सेफ है या नहीं, लेकिन बच्चों के लिए इसका प्रयोग करने से बचें।
निम्नलिखित परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें:
स्किन पर इस्तेमाल करने से आपको जलन हो सकती है। स्टीम के जरिए इसे लेने से खासकर अस्थमा और काली खांसी वाले मरीजों के वायुमार्ग में ऐंठन पैदा हो सकती है। अगर किसी को फेफड़ों की समस्या है तो वो इसको स्टीम में न लें। इससे उनकी हालत और भी खराब हो सकती है। ज्यादा मात्रा में तारपीन का तेल पीने से कई घातक दुष्परिणाम हो सकते हैं जैसे तेज सिरदर्द, नींद न आना, खांसी, फेफड़ों में रक्तस्राव, उल्टी, गुर्दे की क्षति, मस्तिष्क क्षति और कोमा।
हालांकि हर किसी को ये साइड इफेक्ट हो ऐसा जरुरी नहीं है, कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। यदि इसे लेने के बाद आपकी तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है तो तुरंत अपने नजदीकी चिकित्सक केंद्र पर जाएं।
हर मरीज के लिए तारपीन के तेल की खुराक अलग होती है। ये मरीज की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है। इसे कितनी मात्रा में लिया जाए इसे लेकर कोई पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। अपने दिमाग में ये बात हमेशा रखें कि हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए इसको लेने से पहले अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से एक बार जरूर परामर्श करें। कभी भी इसकी खुराक खुद से निर्धारित करने की गलती न करें। आपके द्वारा की गई छोटी सी लापरवाही हानिकारक साबित हो सकती है।
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टर्पिनटाइन ऑयल निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में इस हर्बल से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपको ऊपर बताई गई कोई सी भी शारीरिक समस्या है तो इस हर्ब का इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि हर हर्ब सुरक्षित नहीं होती। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें तभी इसका इस्तेमाल करें। टर्पिनटाइन ऑयल से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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