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कोरोना की वजह से अस्थमा के मरीजों को मिला है फायदा या नुकसान, जानें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/07/2020

    कोरोना की वजह से अस्थमा के मरीजों को मिला है फायदा या नुकसान, जानें

    कोरोना वायरस की वजह से क्रोनिक बीमारी के मरीजों को सख्त हिदायत दी गई है कि, इससे बचाव और सावधानी के सभी नियमों का पालन करें। क्योंकि, इन मरीजों में कोविड-19 के परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। लेकिन, वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि SARS-CoV-2 वायरस की वजह दुनियाभर में वायु प्रदूषण के स्तर में विस्मयकारी कमी आई है, जिसकी वजह से लोगों को साफ व ताजी हवा प्राप्त हो रही है और स्वास्थ्य सुधर रहा है। ऐसे में कोरोना का अस्थमा पेशेंट्स पर असर के बारे में लोगों के बीच थोड़ी-सी शंका हो सकती है, जिसे इस आर्टिकल के द्वारा वर्ल्ड अस्थमा डे (World Asthma Day 2020) पर दूर करने की कोशिश की गई है।

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    कोरोना का अस्थमा पेशेंट्स पर असर – वर्ल्ड अस्थमा डे क्या है? (What is World Asthma Day 2020)

    वर्ल्ड अस्थमा डे एक वार्षिक इवेंट है, जिसका आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (World Initiative for Asthma; GINA) द्वारा किया जाता है। इस इवेंट का उद्देश्य दुनियाभर में अस्थमा रोग और अस्थमा पेशेंट्स की केयर के बारे में प्रति जागरुकता फैलाना है। यह दिवस हर वर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। सबसे पहला वर्ल्ड अस्थमा डे 1998 में 35 देशों की भागीदारी के साथ स्पेन के बार्सिलोना में पहली वर्ल्ड अस्थमा मीटिंग के द्वारा मनाया गया था। लेकिन, इस बार GINA ने कोविड-19 की वजह से इस दिवस के प्रमोशन आदि को टाल दिया था और सिर्फ इस बार की थीम ‘एनफ अस्थमा डेथ (अस्थमा से मौतें अब बस)’ और लोगो (Logo) को जारी किया था।

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    कोरोना का अस्थमा पेशेंट्स पर असर क्या है? (Corona Effect of Asthma Patients)

    कोविड-19 महामारी के लिए विभिन्न स्वास्थ्य मंत्रालय और संगठनों ने अस्थमा जैसी क्रोनिक डिजीज के मरीजों को अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है। लेकिन, वहीं वायु प्रदूषण के स्तर में गिरावट के बाद लोगों को लग रहा है कि, अस्थमा पेशेंट्स को फायदा मिलेगा। लेकिन, सच्चाई क्या है हम यह जानते हैं?

    कोरोना वायरस और अस्थमा की बीमारी

    अस्थमा एक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें आपके फेफड़ों के एयरवे यानी श्वासमार्ग में सूजन आ जाने की वजह से आपको पर्याप्त ऑक्सीजन लेने में परेशानी होती है। आसान शब्दों में इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है और अधिकतर बार एलर्जन की वजह से होती है। अस्थमा के कारण सांस लेते हुए आवाज आना, खांसी, छाती में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ होती है। वहीं, दूसरी तरफ नोवेल कोरोना वायरस की वजह से होने वाली कोविड-19 बीमारी में वायरस आपके मुंह, नाक व आंखों के द्वारा शरीर में पहुंच जाने के बाद फेफड़ों पर हमला करता है और खांसी, सांस लेने में तकलीफ, बुखार आदि समस्या पैदा करता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने या बात करने के दौरान उसके मुंह व नाक से निकलकर सामने वाले व्यक्ति या सतहों को संक्रमित करता है और इसके संपर्क में आने वाले सभी लोग या वस्तु या सतह संक्रमित हो जाते हैं। जिनके द्वारा यह किसी स्वस्थ व्यक्ति के आंख, नाक और मुंह तक पहुंचता है।

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    अस्थमा के कारण आपके फेफड़ों की क्षमता पहले से ही कम होती है और आपके फेफड़े कमजोर होते हैं। वहीं, अगर आप इस बीमारी के पेशेंट होने के साथ कोविड-19 से संक्रमित हो जाते हैं, तो आपके फेफड़े इस वायरस का ज्यादा देर तक सामना नहीं कर पाते हैं और किसी स्वस्थ व्यक्ति के मुकाबले अस्थमा पेशेंट्स को कोविड-19 के गंभीर लक्षण या परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। यह कोरोना का अस्थमा पेशेंट्स पर असर होता है, जो कि स्वाभाविक और सामान्य है।

    क्या अस्थमा के मरीज को कोरोना की वजह से वायु प्रदूषण में कमी से मिलेगा फायदा?

    अस्थमा के मरीजों पर कोरोना का असर सकारात्मक इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि इससे वायु प्रदूषण में कमी आई है। देखिए, वायु प्रदूषण में कमी आने से बेशक वायु की गुणवत्ता सुधरी है और लोगों को साफ व ताजी हवा प्राप्त हो रही है। लेकिन, इससे एकदम अस्थमा पेशेंट्स को फायदा नहीं पहुंचेगा। क्योंकि, अस्थमा धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके सही होने का भी यही तरीका है। इस बीमारी में फेफड़े क्षतिग्रस्त होने लगते हैं और कमजोर हो जाते हैं, जिससे वायुमंडल से ऑक्सीजन खींचने की क्षमता कम हो जाती है। इसलिए, इससे अस्थमा पेशेंट्स को ताजी हवा तो प्राप्त हो रही है, लेकिन उनके फेफड़ों के स्वास्थ्य में कोई विस्मयकारी परिवर्तन नहीं होगा। इसलिए, अस्थमा के मरीजों को कोविड-19 से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए

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    अस्थमा पेशेंट को कोविड-19 होने के बाद क्या करना चाहिए?

    अगर कोई अस्थमा पेशेंट कोविड-19 की चपेट में आ जाता है, तो उसे बुखार, सूखी खांसी और सांस में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो कि अस्थमा के लक्षण जैसी ही हैं। लेकिन, आपको ध्यान रखना चाहिए कि, बेशक आपको यह लक्षण अस्थमा के हों मगर आपको एकदम घर में खुद को सबसे आइसोलेट कर लेना चाहिए और मास्क, सैनिटाइजर, पर्सनल हाइजीन का काफी ख्याल रखना चाहिए, ताकि घर के अन्य सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहें। इसके बाद आपको अगर यह लक्षण नियमित इनहेलर लेने के बाद भी नहीं सुधर रहे तो अस्पताल या डॉक्टर की मदद तुंरत लेनी चाहिए। क्योंकि अस्थमा मरीजों के लिए कोविड-19 काफी खतरनाक है।

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    कोरोना का अस्थमा पेशेंट्स पर असर से बचाव कैसे करें?

    कोरोना का अस्थमा पेशेंट्स पर असर खतरनाक है और उससे बचाव के लिए उन्हें सभी सावधानियों और नियमों का पालन करना चाहिए, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और पर्सनल हाइजीन काफी अहम हैं। इसके साथ ही उन्हें अपना नियमित इनहेलर और एमरजेंसी इनहेलर अपने साथ रखना चाहिए, ताकि जल्द से जल्द आराम मिल पाए और बाहर जाने से बचा जा सके। बुजुर्गों की तरह अस्थमा के पेशेंट्स को भी कोविड-19 से बचने के लिए घर से बाहर बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए। अगर घर से बाहर जा रहे हैं, तो सैनिटाइजर और आने के बाद हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकेंड तक अच्छी तरह धोयें। वहीं, अस्थमा के मरीजों के लिए कोरोना वायरस से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला फेस मास्क पहनना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए अगर उन्हें मास्क पहनने से तकलीफ हो रही है तो उसका इस्तेमाल कम से कम या न के बराबर करें और घर में ही रहें।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

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