यह सूजन नाक और साइनस में फ्लूइड उत्पन्न करने वाले अस्तर या लाइनिंग (म्युकस मेम्ब्रेन (mucous membrane)) में होती है।
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नाक के रोग के लिए इम्यून सिस्टम जिम्मेदार
कुछ अध्ययनों में इस बात का पता चला है कि कुछ लोगों में इम्यून सिस्टम की अलग प्रतिक्रिया नेजल पॉलिप्स के लिए जिम्मेदार होती है। सामान्य लोगों की तुलना में नेजल पॉलिप्स से पीढ़ित लोगों की म्यूकस मेम्ब्रेन (Mucous membranes) में अलग कैमिकल मार्कर होते हैं। हालांकि, नेजल पॉलिप्स किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन युवा और मिडिल उम्र के लोगों में यह सबसे ज्यादा सामान्य होता है।
नेजल पॉलिप्स साइनस या नेजल पैसेज से कहीं भी हो सकता है। हालांकि, यह ज्यादातर आंख, नाक और चीक बोन के पास जहां पर साइनस आपकी नाक में प्रवेश करता है, वहां पर नेजल पॉलिप्स पैदा होता है।
नाक के रोग के जोखिम के कारक
नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स पैदा करने वाले कई कारक होते हैं, जिनकी वजह से यह समस्या पैदा हो सकती है।
निम्नलिखित स्थितियां नेजस पॉलिप्स के कारक के रूप में जानी जाती हैं:
- ऐसी कोई भी समस्या जो नेजल पैसेज या साइनस में लंबे वक्त तक जलन और सूजन का कारण बनती है। जैसे इंफेक्शन या एलर्जी से नेजल पॉलिप्स का खतरा बढ़ जाता है।
- अस्थमा, एक ऐसी बीमारी है, जिसमें श्वास नलियां सूजकर सिकुड़ जाती हैं और इनकी एस्पिरिन संवेदनशीलता कम हो जाती है।
- एलर्जिक फंगल साइनोसाइटस जो एयरबोन फंगी की एक एलर्जी होती है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis) एक जेनेटिक समस्या है, जिसकी वजह से बॉडी में असामान्य रूप से मोटा और चिपचिप फ्लूड पैदा होता है। इसमें नेजल और साइनस लाइनिंग से आने वाले मोटे म्युकस को शामिल किया जाता है।
- चुर्ग स्ट्राउस सिंड्रोम (Churg-Strauss syndrome), यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो रक्त वाहिकाओं में सूजन का कारण बनती है।
- विटामिन डी की कमी, यह समस्या जब सामने आती है तब आपकी बॉडी में पर्याप्त विटामिन डी नहीं होता है।
नाक के रोग में आपकी फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री काफी जिम्मेदार होती है। ऐसे कई सुबूत मिले हैं, जिनमें पता चला है कि अलग-अलग प्रकार के जेनेटिक इम्यून सिस्टम के साथ जुड़े होते हैं, जिससे नेजल पॉलिप्स होने की संभावना ज्यादा रहती है।
नाक के रोग में नेजल प्रोलयप्स की रोकथाम
समुचित उपायों से नाक के रोग की रोकथाम की जा सकती है। यह उपाय शुरुआती चरण में नाक के रोग के लक्षण सामने आते ही किए जाते हैं। लक्षणों को पहचानने में देरी करने से इनका इलाज मुश्किल हो जाता है।
- अस्थमा और एलर्जी: नाक के रोग में एलर्जी और अस्थमा की स्थिति में हमेशा अपने डॉक्टर के दिशा निर्देश का पालन करें। यदि आपके लक्षण नियंत्रण में नहीं आते हैं तो इलाज में बदलाव के लिए अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
- नाक की जलन से बचाव करें: जितना संभव हो सके उतना सांस लेते वक्त एयरबोर्न पदार्थों से बचें। इनकी वजह से आपको नाक के रोग हो सकते हैं। यह नाक और साइनस में सूजन या जलन पैदा करते हैं। इन पदार्थों में एलर्जेन्स, तंबाकू का धुंआ, खुशबू वाले कैमिकल्स, बारीक कण और धूल।
- हाइजीन का ध्यान रखें: दिन में नियमित रूप से अपने हाथों को साफ करें। नाक और साइनस में वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन फैलने से रोकने का यह सबसे बेहतर तरीका है। बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन नेजल पैसेज और साइनस में सूजन पैदा करते हैं।
- नेजल राइन्स (Nasal rinse): नाक के रोग आपसे दूर रहें, इसके लिए आपको नेजल पैसेज को साफ रखना है। इसके लिए आप सॉल्टवॉटर (सलाइन) स्प्रे या नेजल वॉश का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह म्युकस के प्रवाह को सुधारेगा और नाक से एलर्जी पैदा करने वाले एलर्जेन और अन्य जलन पैदा करने वाले पदार्थों को निकाल देगा। हालांकि आप नाक के रोग नेजल पॉलिप्स में ओवर-दि-काउंटर सलाइन स्प्रे या नेजल वॉश किट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अंत में हम यही कहेंगे कि नाक के रोग की सही जानकारी इसे बढ़ने से रोकती है। यदि समय पर लक्षणों को पहचानकर इनका इलाज किया जाए तो समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। बेहतर होगा कि आप भी इन लक्षणों के सामने आते ही तुरंत उपयुक्त उपाय करें।