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जर्नल ऑफ सोशल एंड क्लीनिकल साइकलोजी (Journal of Social and Clinical Psychology) द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने वाले लोगों में अकेलापन और डिप्रेशन के लक्षण देखने को मिले। इस शोध के सहलेखक जोर्डन यंग ने बताया कि जो लोग सोशल मीडिया पर कम समय व्यतीत करते हैं उनमें डिप्रेशन और अकेलापन कम देखा गया।
इस स्टडी में पेनसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के143 स्टूडेंट्स को शामिल किया गया था। इन्हें दो ग्रूप में बांटा गया। एक ग्रूप में वो लोग थे जिन्होंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल पहले की तरह ही जारी रखा दूसरे वो लोग थे जिन्होंने एक सीमा तक इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। तीन हफ्तों के बाद, इन्हें दिन में आधा घंटा सोशल मीडिया पर बिताने के लिए दिया गया। इसमें 10 मिनट फेसबुक, 10 मिनट इंस्टाग्राम और 10 मिनट स्नैपचैट के लिए दिए गए। शोधकर्ताओं ने इन सभी स्टूडेंट्स के फोन का डेटा यूसेज (data usage) ट्रेक किया कि वह हर एप पर कितना समय बिताते हैं। इस स्टडी के परिणाम एक दम साफ थे। जिस ग्रूप के लोग सोशल मीडिया पर कम समय व्यतीत करते थे उनकी मेंटल हेल्थ पहले से बेहतर देखने को मिली। दूसरे ग्रूप के लोगों में अकेलापन और डिप्रेशन के लक्षण दिखाई दिए। जोर्डन यंग ने बताया कि भले ही शुरुआत में वो जैसे थे, लेकिन सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करके उनमें डिप्रेशन के लक्षण पहले से बहुत कम दिखाई दिए।
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सोशल मीडिया से डिप्रेशन के शिकार होने वाले बच्चों को कैसे बचाएं
डिप्रेशन और तनाव संबंधित बीमारियां टीनेजर्स के लिए खतरनाक बनती जा रही हैं। क्या आप जानते हैं कि हर 1 घंटे 40 मिनट में एक टीनेजर आत्महत्या कर रहा है। इस उम्र में बच्चे के शरीर और दिमाग में कई तरह के बदलाव होते हैं। पिछले कुछ सालों में बच्चों में डिप्रेशन की औसत उम्र बढ़ती जा रही है। ऐसे में आप भी अपने बच्चों को एक सीमा में रहकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने दें। अपने बच्चे को सोशल मीडिया से डिप्रेशन होने की संभावना को कम किया जा सकता है। इसके लिए पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ समय-समय पर बातचीत करनी चाहिए। बच्चों के साथ हॉलीडे पर जाएं और इस दौरान उन्हें मोबाइल से दूर रहने के लिए कहे। बच्चे में यदि तनाव के लक्षण नजर आते हैं तो समय-समय पर उनसे कम्युनिकेशन करें। उन्हें हर तकलीफ में सही मार्गदर्शित करें।