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यूके में होने वाली कुल खपत के बराबर भारत में होती है खाने की बर्बादी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Govind Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/12/2019

    यूके में होने वाली कुल खपत के बराबर भारत में होती है खाने की बर्बादी

    दुनिया भर में लोग खाने की समस्या का सामना कर रहे हैं। इसी कड़ी में जारी एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा चौकानें वाला है। सीएसआर जर्नल (CSR Journal) द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि पूरे यूनाइटेड किंगडम में होने वाली खपत के बराबर खाने की बर्बादी भारत में होती है। एक देश जहां लाखों लोग भूखे सोते हैं, ऐसे देश में इस तरह के आंकड़ें गंभीर समस्या की ओर इशारा करते हैं। भारत में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों, शादियों, कैंटीन, होटल या फिर घरों में काफी खाने की बर्बादी होती है। ऐसे में रोजाना इतना ही खाना फेंक दिया जाता है। इसके अलावा भारत में लाखों लोगों को पीने का साफ पानी भी नहीं मिलता। वहीं खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाला 25 प्रतिशत साफ पानी भी खाने की बर्बादी के साथ ही बेकार हो जाता है। अगर हम बर्बाद हुए पानी के आंकड़ों की क्यूबिक किलो मीटर्स में मापें तो यह औसतन नदी के बराबर होता है।

    आइए जानते हैं भारत में खाने की बर्बादी के आंकड़ें

    food wastage in india

    भारत में पैदा होने वाले कुल अनाज का 40 प्रतिशत हर साल बर्बाद हो जाता है। साथ ही दुनिया में पैदा होने वाले अनाज से कुल जनसंख्या के दोगुने का पेट भरा जा सकता है। इसके बावजूद खाने की बर्बादी के कारण दुनिया भर में देश कुपोषण की समस्या से जूझ रहे हैं।

    wheat wastage in india

    भारत में प्रति वर्ष 21 मिलियन टन गेंहू की पैदावर होती है, जिसमें से 50 प्रतिशत रख रखाव की ठीक व्यव्स्था न होने के कारण बर्बाद हो जाता है।

    starvation in india

    भारत को एक कृषि प्रधान देश के तौर पर देखा जाता है। इसके बावजूद भारत में भूखमरी से जूझ रहे लोगों की संख्या लगभग 65 मिलियन तक पहुंच गई है।

    india at global hunger index

    ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 के अनुसार 117 देशों में से भारत 102वें स्थान पर है।

    खाने की बर्बादी क्या है

    खाने की बर्बादी रिटेलर्स, फूड सर्विस प्रोवाइडर और उपभोक्ताओं के लिए गए निर्णयों और कामों के कारण भोजन की मात्रा या गुणवत्ता में कमी को बताता है। भोजन कई तरह से बर्बाद होता है:

    1. खाने की बर्बादी का कारण फ्रेश प्रोडक्शन भी है। फ्रेश प्रोडक्शन में कई बार शेप, साइज और रंग की वजह से छंटाई कर दी जाती है। अक्सर खाने की छंटाई के दौरान ऐसे खाने को हटा दिया जाता है जिसमें थोड़ी भी कमी हो।
    2. खाने की बर्बादी का एक कारण है एक्सपायरी डेट। कई बार खाने की बर्बादी इस वजह से होती है कि उसपर बेस्ट बिफोर डेट देख कर दुकानदार और खरीदार दोनों छोड़ देते हैं।
    3. बड़ी मात्रा में पौष्टिक खाने की चीजें अक्सर बिना इस्तेमाल के छोड़ दिया जाता हैं और कई बार किचन से ऐसे खाने को रिजेक्ट किया जाता है जो घरवालों को नहीं पसंद होता। हर सूरत में खाने की बर्बादी होती ही है।

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    भारत में खाने की बर्बादी

    भारत में खाने की बर्बादी एक ग्लोबल समस्या है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार मानव उपभोग के लिए उत्पादित लगभग एक तिहाई भोजन जिसकी मात्रा 1.3 बिलियन टन है वो या तो बीच में कहीं खो जाता है या बर्बाद हो जाता है।

    भारत दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। 2012 में सरकार ने घोषणा की कि लगभग 22% भारतीय आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। एफएओ के अनुमान के मुताबिक द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड, 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 190.7 मिलियन लोग कुपोषित हैं। यह भारतीय आबादी का 14.5% है जो भारत को दुनिया में सबसे बड़ी कुपोषित आबादी का घर बनाता है।

    इसके बावजूद, यूएन द्वारा यह अनुमान लगाया जाता है कि भारत में उत्पादित लगभग 40% भोजन बर्बाद या बीच से कहीं खो जाता है और इससे भारत को हर साल एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

    भारत में खाने की बर्बादी हर स्तर पर हो रही है; कटाई, ट्रांसपोर्टिंग, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और खपत से।

    खाने की बर्बादी का एक प्रमुख स्रोत शादियों, कार्यक्रमों, रेस्तरां, होटल, हॉस्टल और घरों में पकाया गया खाना  है। देश में ऐसे कई संगठन हैं जो इस खाने की बर्बादी को कम करने में मदद करने की दिशा में काम कर रहे हैं और भोजन को इकट्ठा कर इसे जरूरतमंदों को बांट रहे हैं। लेकिन वे सभी बिखरे हुए हैं और ज्यादातर भारत में गरीब लोग अभी भी अपनी किस्मत पर भरोसा करते हैं कि उन्हें सही खाना मिल सके।

    भारत नें खाने की बर्बादी की वजह

    भारत में खाने की बर्बादी ज्यादातर खाने की पैकिंग से पहले होती है। यह भारत में ट्रांसपोर्ट और बुनियादी ढांचे की व्यवस्था में कमियों के कारण होता है। सरकार ने इस पर ध्यान दिया है और इसको कम करने के लिए बेहतर तकनीक विकसित करने के लिए निवेश ढूंढना शुरू कर दिया है।

    पके हुए खाने की बर्बादी को कम करने के लिए सरकार एक सेवा स्थापित कर सकती है जहां वे हर स्रोत से भोजन इकट्ठा करें और एक जगह बनाएं जहां भूखे लोग आकर मुफ्त में या कम दामों पर खाना खा सकें। इस तरह से उन्हें भूखे लोगों को ढ़ूढ़ना नहीं पड़ेगा। ऐसे में जो लोग दूर रहते है उन्हें भी इस सेवा का लाभ मिलेगा।  अगर कोई व्यक्तिगत भागीदारी नहीं है तो सरकार और संगठनों का कोई भी कोशिश सफल नहीं होती। खाने की बर्बादी को रोकने के लिए हर किसी को भाग लेने की जरुरत है। खाने की बर्बादी को कम करने के लिए कुछ चीजें हर व्यक्ति को करनी होती हैं।

    खाने की बर्बादी को रोकने के लिए ये करेंः

    • खाने की बर्बादी को रोकने के लिए आपको खाने का सम्मान करने की जरुरत है। अपने लिए खाने का उतना अमाउंट ही परोसें जो कि आप खत्म कर सकते हैं। आपके थाली में निकला हुआ भोजन पूरा खत्म करें। आपके पास हमेशा एक दूसरा विकल्प है अधिक भोजन को ना परोसें और इसे दूषित न करें।
    • भोजन की बर्बादी के बारे में सावधान और सतर्क रहें। हमेशा याद रखें हर अनाज मायने रखता है।
    • पकाया हुआ और खराब हो चुके खाने को खाद मे बदल दें। इस तरह से आप पर्यावरण के लिए भी कुछ करते हैं।
    • घर में बचे हुए खाने की बर्बादी को बचाने के लिए भोजन का पुनः उपयोग करें और एक डिश को बनाने के लिए उसमें नए इंग्रीडियेंट डाले और खाने की और स्वादिष्ट बनाए।
    • इंपल्स शॉपिंग से परहेज करते हुए फूड प्लानिंग पगले से करें और अपनी ग्रॉसरी की खरीदारी को अच्छी तरह से व्यवस्थित करें।

    डिस्क्लेमर

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    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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