के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
हनी बी (Honey Bee) यानी कि मधुमक्खी ने तो कभी न कभी जरूर काटा होगा आपको। उसके काटने पर जलन और दर्द भी हुआ होगा। लेकिन, लंदन के रॉयल जियोग्राफिकल सोसायटी ने हनी बी को धरती का सबसे महत्वपूर्ण जंतु घोषित किया है। वहीं, दूसरी तरफ वैज्ञानिकों का कहना है कि हनी बी धरती से धीरे- धीरे विलुप्त हो रही हैं। हाल ही में हुए कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि धरती से लगभग 90 % हनी बी की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। कीटनाशकों का उपयोग, जंगलों का कटना, फूलों की कमी आदि इसका प्रमुख कारण है। अब आप सोचेंगे कि हनी बी किस तरह से महत्वपूर्ण है।
कंसल्टिंग होमियोपैथ और क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, डॉ. श्रुति श्रीधर बताती हैं कि हनी बी का उपयोग आर्थराइटिस जैसे रोग के लिए किया जाता है। इसे हनी बी थेरिपी या एपीथेरिपी कहा जाता है। इसके अलावा, होमियोपैथी में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे यूरिन संबंधित समस्याएं, एंसार्का (पूरे शरीर में सूजन), कीड़े के काटने, जलद, दर्द और बेचैनी आदि स्थितियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
वैज्ञानिक शोधों के मुताबिक हनी बी एक दिन में लगभग 20 लाख से ज्यादा पौधो में परागण करने में मदद करता है। पॉलिनेशन से ही फूल फलों में बदलता है। आसान भाषा में कहें तो पौधो में प्रजनन के लिए परागण होना जरूरी है। ऐसे में हनी बी बहुत ज्यादा उपयोगी होती है।
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शहद के बारे में कौन नहीं जानता होगा और शहद का नाम लेते ही दिमाग में सबसे पहले हनी बी आता है। जी हां, हनी बी ही शहद का उत्पादन करती है। हनी बी के शहद में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। शहद एंटी-ऑक्सीडेंट, मिनरल और विटामिन से भरपूर होता है। वहीं, शहद का उपयोग खाने के अलावा त्वचा के लिए भी सबसे अच्छा माना जाता है।
हनी बी अपना छत्ता मोम से बनाती है। इसके छत्ते के उपयोग से लिप बाम, ब्यूटी प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। साथ ही मोम से मोमबत्ती भी बनती है। बीवैक्स के इस्तेमाल से संक्रमण से लड़ने के लिए सुरक्षा भी मिलती है।
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यूरोपियन हनी बी से एपिस मेल्लिफिका (Apis mellifica) नामक दवा बनाई जाती है। इससे कई तरह के रोगों का इलाज होता है।
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हनी बी के डंक में मौजूद जहर और अन्य उत्पादों के उपयोग से कई रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में मधुमक्खी के डंक के जहर से अस्थि रोग (Orthopaedic disease) का इलाज किया जाता है। इसके अलावा, चोट को भरने में भी हनी बी के प्रोडक्ट का इस्तेमाल होता है। वहीं एपिस मेल्लिफिका दवा को बनाने के लिए मधुमक्खी को क्रश कर के एल्कोहॉल में डाल दिया जाता है। एल्कोहॉल में डालने के बाद हनी बी के डंक का जहर एल्कोहॉल में घुल जाता है। फिर हनी बी को छान कर बाहर निकाल दिया जाता है और एल्कोहॉल का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है।
ब्लड प्रेशर हृदय रोग होने का एक बहुत ही प्रमुख कारण है। पर शहद आपकी इसे कम करने में मद्दगार साबित हो सकता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडंट ब्लड प्रेशर को घटाने में मद्दगार है।
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शहद के प्रकारों में से एक है मानुका शहद। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है कि मानुका शहद अपने एंटी-बैक्टीरीयल गुणों की वजह से घाव को जल्दी भरने में प्रभावकारी है। उनके पूरी तरह से कार्य करने के बारे में अभी तक विशेषज्ञों को जानकारी नहीं है पर हमें इतना पता है कि बैक्टीरिया की वजह से पहली बार होने वाले इंफेक्शन में शहद बहुत ही उपयोगी है।
शहद डायरिया की परेशानी और समय को घटाता है। डायरिया के समय शहद का सेवन करने से शरीर में पोटेशियम और पानी ग्रहण करने की इच्छा बढ़ती है, जो कि डायरिया की परेशानी को कम करता है। पैथोजेन डायरिया होने का असली कारण होते हैं, शहद खाने से शरीर में पैथोजेन की क्रियाओं को रोकने में मदद मिलती है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईजेशन (WHO) के अनुसार शहद को सर्दी-खांसी से लड़ने के लिए एक प्राकृतिक नुस्खा माना गया है। एक अमेरिकी बाल रोग ऐकडमी ने शहद को खांसी और कफ का हल माना है। हालांकि एक साल से कम के बच्चों को शहद देना हानिकारक है।
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चीनी के बजाय आप शहद का उपयोग कर सकते हैं। शहद न सिर्फ चीनी की कमी पूरी करता है बल्कि कई पोषक तत्व भी प्रदान करता है। अपने खाने में मिठास भरने के लिए आप शहद का उपयोग कर सकते हैं। शहद एक स्वीटनर है इसीलिए आपको इस बात का ध्यान देना जरूरी है कि आप उसे कितनी मात्रा में ले रहे हैं।
इस तरह से आपने जाना कि हनी बी के द्वारा बनाया गया शहद कितना फायदेमंद है। इसलिए आज से ही आप अपने डायट में शहद का उपयोग शुरू कर दें। इसके अलावा, ऊपर बताए गए रोगों में आप हनी बी से बनी दवाओं का सेवन अपने डॉक्टर के परामर्श पर उपयोग कर सकते हैं।
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