कभी-कभी कुछ बच्चों में इसके कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और ये लक्षण कभी गंभीर तो कभी कम भी हो सकते हैं। एब्डॉमिनल माइग्रेन का अटैक अचानक आता है जो एक घंटे से लेकर तीन दिन तक रहता है। अटैक आने के बाद भी बच्चा स्वस्थ रहता है और कोई विशेष लक्षण सामने नहीं आता है। दरअसल इस बीमारी के लक्षण बच्चों के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों जैसे ही होते हैं। जिसके कारण कभी-कभी यह पता करना मुश्किल होता है कि बच्चे को कौन सी बीमारी है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
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एब्डॉमिनल माइग्रेन के कारण क्या हैं? (Cause of Abdominal Migraine)
एब्डॉमिनल माइग्रेन का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। यह बीमारी शरीर में दो यौगिकों हिस्टामिन और सेरोटोनिन के स्तर में परिवर्तन के कारण होती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ज्यादा तनाव और चिंता भी इसके कारण हो सकते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे चॉकलेट, मोनोसोडियम ग्लूटामेट युक्त चाइनीज फूड, नाइट्राइट युक्त प्रोसेस्ड मीट ज्यादा खाते हैं, तो एब्डॉमिनल माइग्रेन होने की संभावना ज्यादा रहती है।
एब्डॉमिनल माइग्रेन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Abdominal Migraine)
एब्डॉमिनल माइग्रेन के उपचार के लिए डॉक्टर टेस्ट से पहले पेरेंट्स से बात करते हैं। बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री समझना चाहते हैं। इसलिए निम्नलिखित बातें पूछ सकते हैं। जैसे:
1. यदि बच्चे को अंतिम 1 से 72 घंटों के बीच कम से कम पांच बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का अटैक आया हो।
2. कम से कम दो लक्षण सामने आए हों जैसे भूख न लगना, उल्टी और शरीर पीला पड़ जाना।
3. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या या किडनी की बीमारी ना होना।
इसके बाद डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। जैसे: