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लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान क्या शारीरिक बदलाव होते हैं?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे · आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/03/2021

    लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान क्या शारीरिक बदलाव होते हैं?

    लड़कियों में नौ से ग्यारह साल की उम्र के बीच में अचानक से बदलाव दिखने शुरू हो जाते हैं। बच्चियां अचानक हुए इन बदलावों को समझ नहीं पाती हैं। ऐसे में बतौर पेरेंट्स आपको उसके शरीर में आने वाले बदलावों के बारे में बताना चाहिए। इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर, डॉ. शरयु माकणीकर ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि लड़कियों में प्यूबर्टी (Puberty) के दौरान शरीर में क्या-क्या बदलाव आते हैं।

    क्या है लड़कियों में प्यूबर्टी?

    लड़कियों में प्यूबर्टी  (Puberty) को आसान भाषा में ‘बड़े होना’ या ‘व्यस्क अवस्था तक पहुंचना’ कहा जा सकता है। इस अवस्था में लड़कियों में मानसिक और शारीरिक विकास होता है। इस दौरान लड़कियों के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। 

    लड़कियों में प्यूबर्टी को दौरान होने वाले बदलाव

    इन बदलावों से हो कर सभी लड़कियां गुजरती हैं। इसलिए बदलावों से घबराने की जरूरत नहीं है। बस उन्हें समझें और लड़कियों में प्यूबर्टी को इंजॉय करें

    स्‍तनों का विकास (Breast)

    लगभग आठ से लेकर तेरह वर्ष तक की आयु के बीच लड़कियों के स्तन उभरने लगते हैं। स्तनों के आकार में परिवर्तन पूरे यौवनावस्‍था के दौरान चलता रहता है। सभी लड़कियों के स्‍तनों के आकार अलग-अलग होते हैं। इसलिए कभी ये ना सोचें कि किसी के स्तन बड़े है और किसी के छोटे क्यों है। यह प्राकृतिक है और जींस के कारण होता है।

    माहवारी (Periods)

    लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान नौ से सोलह साल की उम्र के बीच लड़कियों के पीरियड्स शुरू होते हैं। माहवारी के दौरान लड़कियों के योनि (Vagina) से रक्‍त स्राव (Bleeding) होता है। जो पांच से सात दिनों तक रहता है। इस दौरान लड़कियों के कमर में दर्द, पेट में दर्द, उल्टियां आदि होती है। अमूमन किसी महिला को माहवारी 50 से 55 साल की उम्र तक आती है।

    और पढ़ें : अनियमित पीरियड्स को नियमित करने के 7 घरेलू नुस्खे

    व्हाइट डिस्चार्ज (White Discharge)

    लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों की योनि से कभी-कभार सफेद या पीले रंग का चिपचिपा पदार्थ निकलता है। यह भी लड़कियों में प्यूबर्टी का एक हिस्सा है। अगर यह सफेद डिस्चार्ज ज्यादा मात्रा में होने लगे तो डॉक्टर को दिखाएं और परामर्श लें।

    जनानांगों पर बाल (Pubic Hair)

    लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों के जनानांगों के बाहरी हिस्‍सों पर बाल उगने लगते हैं। इसके साथ ही लड़कियों के बगलों (Underarms) में भी बाल आने लगते हैं। जो जीवन भर आते रहते हैं। 

    हार्मोस में होते है बदलाव

    लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण ही शारीरिक बदलाव आते हैं। अगर हार्मोंस का संतुलन ठीक न हो तो शारीरिक विकास और लड़कियों में प्यूबर्टी संभव नहीं है।

    बढ़ती लंबाई

    लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान लड़की की लंबाई में बढ़ोत्तरी होती है। सबसे पहले आपके सिर, हाथों और पैरों की लंबाई बढ़ती है। इसके बाद धड़ और कंधों के आकार में भी अनुपातिक वृद्धि होती है।

    मुंहासे (Acne)

    लड़कियों में प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों के शरीर में तैलीय और स्वेद (Sweat) ग्रंथियां मुंहासे के लिए जिम्मेदार होती हैं। मुंहासे से बचने के‍ लिए लड़कियों को चेहरा दिन में दो बार धोना चाहिए। ज्यादा मुंहासे होने पर त्‍वचा विशेषज्ञ से संपर्क करें।

    और पढ़ें : इन 5 कारणों से हो सकते हैं मुंहासे, जानें छुटकारा पाने के उपाय

    डॉ. शरयु माकणीकर ने कहा कि लड़कियों के शरीर में होने वाले ये बदलाव बहुत सामान्य हैं और उसे लेकर परेशान जरा भी ना हों। शुरू में अजीब लगता है फिर बाद में आपको सभी बदलावों की आदत हो जाएगी। आप अपने शरीर में होने वाले बदलावों को जितना जल्दी स्वीकार करेंगी आपके लिए उतना साकारत्मक होगा। ये तो बात हो गई लड़कियों में प्यूबर्टी की, अब बात करते हैं कि पहले पीरियड्स के लिए लड़कियों को कैसे तैयार करें।

    1- बात शुरू करने के लिए सहज माहौल बनाएं

    आजकल 11 साल की ज्यादातर लड़कियों के पीरियड शुरू हो जा रहे हैं। हो सकता है कि आप अपनी बेटी से बात करने में सहज महसूस न करें। बेटी से बात करने से पहले खुद से पूछ लें कि आप तैयार हैं या नहीं? बेटी से पीरियड्स पर बात शुरू करने से पहले माहौल को सहज बनाएं और दोस्त की तरह बात करें। हो सकता है कि आपकी बेटी इस बात को जानने के लिए बहुत छोटी है। यह सब उसके लिए एक झटके की तरह हो सकती हैं। अगर बेटी के मन में पीरियड्स को लेकर कोई सवाल है तो उनका जवाब जरूर दें। उसे बताएं कि सवाल पूछने में कोई बुराई नहीं है। 

    2- शुरू से बातों का करें आगाज

    अपनी बेटी को बताएं कि उसकी उम्र क्या है और उसके पीरियड्स कब तक आ सकते हैं। इसके लिए उसे बेसिक जानकारी दें। बेटी को बताएं कि पीरियड्स एक नियमित और प्राकृतिक क्रिया है। अगर कभी भी कपड़े में बल्ड लगा रहे तो देख कर ना घबराएं। उसे बताएं कि पीरियड्स में आने वाला ब्लड आखिर आता कहां से है। पीरियड्स में आने वाले ब्लड का रंग कैसा होता है। पीरियड्स कितने दिनों तक रहते हैं। बेटी को पीरियड्स में साफ-सफाई कैसे रखनी हैं। वह पैड को कैसे इस्तेमाल करे यह सारी बातें आप अपनी बेटी को बताएं।

    3- बेटी के सामने तैयार करें पीरियड्स किट

    जरूरी नहीं है कि जब आपकी बेटी का पीरियड आए तो वह घर में ही रहे। वह स्कूल में भी हो सकती है। इसलिए उसके लिए दो पीरियड किट तैयार करें। ताकि जब आप उसके साथ ना रहे तो वह इसका इस्तेमाल अच्छे से कर सके। अब सवाल यह उठता है कि पीरियड किट में आखिर क्या-क्या चीजें होनी जरूरी है। एक पाउच बैग में निम्न चीजों को जरूर रखें।

  • चार सैनिटरी नैपकीन
  • एक जोड़ी पैंटी
  • एक पेपरबैग
  • इन चीजों के साथ ही किट में पैड्स को इस्तेमाल करने का तरीका जरूर लिखकर रखें। एक किट आप अपने पास भी रखें ताकि, कहीं बाहर होने पर अगर बेटी के पीरियड्स आ जाए तो इस्तेमाल कर सके।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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