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10 टिप्स, पेरेंट्स और टीनएजर्स की अच्छी बॉन्डिंग के लिए!

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Bhawana Awasthi


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/10/2021

    10 टिप्स, पेरेंट्स और टीनएजर्स की अच्छी बॉन्डिंग के लिए!

    हॉर्मोन्स संबंधी परिवर्तनों की वजह से बच्चों की दुनिया कब और कैसे बदलती है इसका अंदाजा ही नहीं होता। किशोर और युवावस्था के बीच का यह समय बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स के लिए बेहद नाजुक होता है। बच्चों के मूड स्विंग्स की वजह से छोटी-छोटी बातों पर उनका बदला हुआ व्यवहार कई बार पेरेंट्स को परेशान कर के रख देता है। इस बारे में थिएटर इन एज्युकेशन में फेलो राणा संतोष ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि समय बच्चों को पेरेंट्स की अधिक रोक-टोक सबसे ज्यादा खटकती है।’ कहने में भले ही यह आसान लगता हो, पर समाज जिस तरह से बदल रहा है, वैसी स्थिति में टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) वास्तव में चुनौतीपूर्ण हो गई है। 

    हमने राणा से बात करके जानने की कोशिश की, कि टीन उम्र के बच्चों के साथ पेरेंट्स किस तरह पेश आएं ताकि उनके बीच हेल्दी रिलेशन बनें।

    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) : टीनएजर्स के साथ अच्छी बॉन्डिंग के लिए क्या करें?

    माता-पिता के रूप में अपने जिम्मेदारियों को जानें

    अपने बच्चे को स्वतंत्र रूप से हालात को समझने का अवसर दें। बच्चों के प्रति अपनी क्लियर-विजन रखने वाले अच्छे संरक्षक (Guardian) बच्चों की किशोरावस्था का दोस्त होने की कोशिश करते हैं। बच्चों को इस उम्र में आपकी नैतिक नेतृत्व की जरूरत  होती है। बच्चों के साथ अच्छी बॉन्डिंग के लिए पेरेंट्स को अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाना बेहद जरूरी है। 

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    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) : पहल करें

    टीनएजर्स के साथ अच्छे संबंध के लिए यह बहुत जरूरी है कि उनके साथ छोटी उम्र से ही इसका शुरुआत की जाए। बच्चों के साथ बॉन्डिंग के लिए आपके द्वारा उठाया गया यह कदम वाकई मददगार होगा। जब पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ रेगुलर बेसिस पर हलके-फुलके अंदाज में समय बिताते हैं, तो शुरू से ही वे पेरेंट्स के साथ सहज महसूस करते हैं। यदि आप दोनों वर्किंग हैं तो वीकेंड पर उन्हें समय दें। आप चाहे तो उनके साथ बाहर भी जा सकते हैं। उनसे उनकी परेशानियां जानने की कोशिश करें। आपका यह कदम उनके साथ अच्छी बॉन्डिग बनाने में यकिनन मदद करेगा। वैसे पेरेंट्स जो बच्चों से दूरी बनाकर रखते हैं, उनके बच्चे बड़े होने पर उनके साथ दिल की बातें शेयर नहीं कर पाते। यह तभी संभव हो सकता है , जब टीनएजर्स को पेरेंट्स पर पूरा भरोसा होगा कि वे हर मुश्किल से बाहर निकलने में उनकी मदद करेंगे।

    टीनएजर्स की पेरेंटिंग: संबंध को सहज बनाए रखें

    टीनएजर्स को पेरेंट्स के साथ सहज होना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप उनके साथ बच्चों की जुड़ी परेशानियों को शेयर करना चाहिए। बच्चों को यह पता है कि शारीरिक-मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से भरा यह समय नाजुक है। इससे घबराने के अलावे उनमे बदलाव को सहजता से स्वीकारने की कोशिश करनी चाहिए। इससे टीनएजर्स बच्चों के साथ संबंध बनेंगे।

    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) : सवाल करना जरूरी है

    हमें अपे टीनएजर्स को थोड़ी आजादी देनी चाहिए। लेकिन, कई बार बच्चे इस आजादी का गलत इस्तेमाल करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में  उनकी गतिविधियों के बारे में सवाल जरूर पूछना चाहिए। मुमकिन है कि, उन्हें ऐसा लगे कि पेरेंट्स उन पर शक कर रहे हैं, पर बच्चों की नाराजगी से डर कर उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करने के बजाए सही रास्ता दिखाना माता-पिता की जिम्मेदारी है। अगर बच्चे कोई गलती कर देते हैं तो उन्हें बुरा फील न कराएं, बल्कि प्यार से समझाकर उन्हें सही रास्ते पर लाने की कोशिश करें।

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    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) : सीमाओं का सम्मान करें

    यह अक्सर माता-पिता के लिए एक चुनौती है कि वे अपने किशोरों को अधिक प्राइवेसी और स्वतंत्रता प्रदान करें, लेकिन अच्छा निर्णय लेने के लिए, उन्हें गलतियां करने और उनसे सीखने के लिए बहुत सारे अवसरों की आवश्यकता होती है। उनकी सीख को प्रोत्साहित करें। अगर बच्चा गलती करें तो उसे चांस जरूर दें और कहें कि कोशिश करते रहे, तुमसे ये काम जरूर हो जाएगा।

    टीनएजर्स की पेरेंटिंग: अपनी उम्मीदों को बच्चों से शेयर करें

    जब बच्चे आपके वैल्यू जानते हैं, परिवार के नियमों और उन्हें तोड़ने के परिणामों के बारे में जानते हैं, तो वे हेल्दी रिलेशन बनाने को उत्सुक होते हैं। इस लिए अपने बच्चों से यह शेयर करें कि बतौर पेरेंट्स आपकी क्या और कैसी उम्मीदें हैं उनसे? इससे बच्चे आपको और अधिक समझेंगे।

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    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) :  उनके कार्यों की सराहना करें

    जैसे बच्चे बड़े होते हैं, देखा गया है कि पेरेंट्स की तरफ से बच्चों को जो प्रशंसा मिलना चाहिए वो कम होती जाती है। बच्चा जब छोटा होता है तब उसकी छोटी सी छोटी बात पर लोग उनकी सराहना कर देते हैं। बच्चों के अच्छे कामों की सराहना करना चाहिए, फिर चाहे वे किसी भी उम्र के हो चुके हों।

    टीनएजर्स की पेरेंटिंग:  परिवार व उनके लिए नियमित रूप से समय निर्धारित करें

    किशोर बच्चों से अच्छे संबंध बनाने हों, तो सबसे पहले यह जरूरी है कि, आप उनके साथ नियमित बात-चीत कर सकें। परिवार के साथ समय बिताएं, जिससे बच्चों के बारे में अधिक-से-अधिक जान सकें। घर के सभी सदस्यों से बच्चों की वार्तालाप अति आवश्यक है। वन वे कम्यूनिकेशन रिश्तों में दूरी बढ़ा सकता है। ऐसा माहौल बनाएं कि बच्चा पेरेंट्स से और पेरेंट्स बच्चों से रोजाना बात करें।

    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) :  एडवेंचर देते रहें

    जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वैसे ही उन्हें रोमांच और उत्साह की चाहत होती है आपने देखा होगा कि, किशोर बच्चों के पास मोटर गाडी आते ही फुल स्पीड से दौड़ने लगते हैं। किशोर अवस्था में बच्चों की ध्यान को ऐसी चीजें ज्यादा खींचती हैं। इसलिए घर में हमेशा बच्चों के साथ कहीं कोई एडवेंचर ट्रिप प्लान कर सकते हैं, बच्चे इसे एन्जॉय करेंगे और आपके साथ अच्छे संबंध बन सकेंगे। फॅमिली एक्टिविटी में रूटीन के अंदर क्या ऐड करना है, इन पर विचार करना शुरू करें। आप बच्चों के साथ एडवेंचर ट्रिप भी प्लान कर सकते हैं।

    कम्युनिकेशन के दौरान इन बातों का रखें ख्याल

    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers): बोले कम सुनें ज्यादा

    जब तक बच्चा बोल नहीं पाता था, तब आपने उसे बोलना सिखाया, अब चूंकि बच्चा चीजों को समझता है और अपनी बातें भी बताता है और आपको अपनी आदतों में परिवर्तन करना होगा। आपको बोलना कम और सुनना ज्यादा चाहिए। पहले बच्चे की बात को अच्छे से सुने, ऐसा न हो कि आप ज्यादा बोल जाए और जब बच्चे का नंबर आए तो आप उसे डांट कर चुप करा दें। जब आप बच्चे को मौका देंगी, तभी वो अपनी बात बिना संकोच या फिर डर के कह पाएगा।

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    टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers):  बॉन्डिंग बनाएं स्ट्रॉन्ग

    टीनएज में पहुंचते ही बच्चों के पास काम बहुत बढ़ जाते हैं। स्कूल में पढ़ाई, दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड करना, ट्यूशन आदि के कारण बच्चों को घर में कम ही टाइम मिल पाता है। यहां तक कि बच्चे घर में आकर भी पढ़ाई के साथ ही अन्य गतिविधियों में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में आप उनसे डिनर या फिर लंच के वक्त आराम से बातें कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि उनका मूड खराब हो जाए और उनका खाने का मन न करें। खाने के बाद जब थोड़ा टाइम बचता है, आप तब बात कर सकते हैं। ऐसा करने से आपकी बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग हो जाएगी।

    बच्चे की पसंद को अपनाकर तो देखें

    आपने ये बात जरूर महसूस की होगी कि बच्चे उन्हीं लोगों से ज्यादा बातें करना पसंद करते हैं, जो उनके जैसे होते हैं। अगर आपके बच्चे को बास्केटबॉल पसंद या बैडमिंटन पसंद है तो उन्हें ऐसे बच्चे ज्यादा पसंद आएंगे जिन्हें ये पसंद हो। आप समझ ही गए होंगे कि बच्चे की हॉबी के साथ आप जुड़ेगी तो आपकी बॉन्डिंग अधिक स्ट्रॉन्ग हो जाएगी। आप चाहे तो बच्चे की पसंद का म्यूजिक भी सुन सकती हैं। ऐसा करने से टीनएज बच्चे और आपके पास बहुत सी बातें होंगी, जो आप डिस्कस कर सकेंगे।

    बचें निगेटिव कम्यूनिकेशन से

    अगर बच्चों के साथ आप नकारात्मक भाव में बात करते हैं तो बच्चा खुद को लो फील करने लगता है। कुछ समय बाद बच्चा पेरेंट को रिजेक्ट भी कर सकता है। पेरेंट्स बच्चों की स्ट्रेंथ होते हैं। यानी जब बच्चा किसी समस्या में हो या उसे कुछ समझ न आए तो आप उसे हौसला दें, न कि उससे ये कहें कि तुम हमेशा खराब काम करते हो या तुम ये नहीं कर पाओगे। अगर पेरेंट्स और टीनएज की बीच अच्छा कम्यूनिकेशन होगा तो आधी समस्या तो अपने आप ही खत्म हो जाएंगी।

    हम आशा करते हैं आपको टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) संबंधित लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में पेरेंट्स और टीनएजर्स में अच्छी बॉन्डिंग बनाने के लिए टिप्स दिए गए हैं। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सवाल कमेंट कर पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके सवालों का जवाब दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे। आप पेरेंटिंग की अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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    Bhawana Awasthi


    Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/10/2021

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