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सोने से ठीक पहले बच्चों को खड़े होना सीखाना है गलत
सोने से ठीक पहले बच्चों को खड़े होना सिखाना उन्हें चिड़चिड़ा बना सकता है। सोने से पहले बच्चों को खड़े होना सिखाने के लिए प्रोत्साहित करने का अच्छा समय नहीं है। इस वक्त बच्चा दिनभर का थका हुआ और चिड़चिड़ा रहता है। इस समय न केवल वे थके हुए और सोने के मूड में रहते हैं वे खड़ें होने के लिए ध्यान रखने वाली जरूरी बातों को भी नजरअंदाज करेंगे। जैसे बैलेंस बनाना या दोनों हाथों को पकड़ना। ऐसी जरूरी बातों को अनदेखा कर वो आपके कहने पर खड़े तो हो जाएंगे लेकिन आगे उन्हें परेशानी होगी। इसलिए बच्चों को खड़े होना सीखाना (Teaching kids to stand) है, तो समय का ध्यान दें और समय के अनुसार उन्हें मोटिवेट करें।
बच्चों को खड़े होना सीखाना है, तो कोशिश करें
एक बार जब आपका बच्चा अपने पैरों पर खड़ा होने लगता है और आपकी मदद के बिना खड़े होने के बारे में अधिक कॉन्फिडेट महसूस कर रहा है, तो उसे बार-बार ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। दिन के बीच में कई बार बच्चों को खड़े होने के लिए मोटिवेट करते रहें और कोशिश करते रहें।
जितना अधिक आपका बच्चा अपने पैरों पर खड़ा होता है, उतना ही अधिक वह एक बैलेंस स्कील सिखेगा और जितना अधिक उसके अगले कदम उठाने की संभावना होगी उतना ही वह घर के फर्नीचर के आसपास जाएगा। बच्चों को खड़े होना सीखाना एक बार की कोशिश से नही हो सकता इसके लिए आपको बार-बार कोशिश करनी पड़ेगी।
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बच्चों को खड़े होना सीखाना है, तो उनकी तारीफ करें
जब-जब बच्चे चलने की कोशिश करने में सफल रहें, तब उनकी तारीफ करें या उसे उसकी पसंदीदा चीजें दें। नई चीजें सीखने पर बच्चे खुद भी थोड़ा खुश और थोड़े डरे होते हैं इसलिए परिवार और माता-पिता का सर्पोट उन्हें और ऊर्जावान बनाता है। बच्चे को खड़े होता देख और चलते देख उन्हें गले से लगाएं और प्यार करें। ऐसा करना उन्हें आगे बढ़कर चलने की प्रेरणा देगा। बच्चों को खड़े होना सीखाना (Teaching kids to stand) है. तो उनकी तारीफ करना मददगार साबित हो सकता है।
अपने बच्चे के लिए चीयर-स्क्वाड बनाने के लिए परिवार और दोस्तों को शामिल करें। इस तरह पूरे परिवार का प्रोत्साहन उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेगा और बार-बार कोशिश के लिए मोटिवेट करेगा।