आकस्मिक नवजात मृत्यु सिंड्रोम और पैसिफायर के बीच संबंध
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक जो बच्चे सोते समय पैसिफायर का इस्तेमाल करते हैं उनमें आकस्मिक नवजात मृत्यु सिंड्रोम (सड्न इन्फेंट डेथ सिंड्रोम) होने का खतरा कम होता है। इस स्थिति में यह मायने नहीं रखता की शिशु पेट के बल सोता है या पीठ के। शोधकर्ताओं ने यह अनुमान लगाया कि पैसिफायर बच्चों के एयरवेज (श्वास नलिका) को खुला रखता है और बिस्तर में दम घुटने जैसी स्थिति की आशंका को कम कर देता है। सोते समय पैसिफायर का इस्तेमाल न करने वाले शिशुओं के मुकाबले करने वालों में आकस्मिक नवजात मृत्यु सिंड्रोम के कारण मृत्यु की संभावना कम होती है।
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पैसिफायर के अन्य फायदे और नुकसान
पैसिफायर या अंगूठा चूसना? शिशु के लिए क्या अधिक हानिकारक होता है? इसका जवाब देना मुश्किल है क्योंकि इसकी आदत को छुड़वाने के लिए आप इसे शिशु से ले सकते हैं जबकि अंगूठे या उंगली चूसने की आदत को आप आसानी नहीं छुड़वा सकते हैं। इसके अलावा अंगूठा या उंगली को शिशु कभी भी चूस सकता है, इसके लिए उसे आपकी जरूरत नहीं होती है। इसी कारण इस आदत को छुड़वा पाना पैसिफायर के मुकाबले मुश्किल होता है।
इसके अलावा कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऑर्थोडॉन्टिक नामक पैसिफायर के कारण डेंटल प्रॉब्लम होने की आशंका कम होती है। हालांकि, अमेरिकन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री के मुताबिक अंगूठा, उंगली और पैसिफायर सभी से बच्चों के दांत प्रभावित हो सकते हैं और शिशु के मजबूत दांत आने से पहले उनकी चूसने की आदत को छुड़वाना बेहतर होता है अन्यथा यह उनके दांतों और जबड़े को हानि पहुंचा सकती है।
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इसके विपरीत कुछ स्टडी की मानी तो पैसिफायर के इस्तेमाल से बच्चों में कान में संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा पैसिफायर चूसते समय एयरफ्लो में रूकावट आने के कारण होता है। यूस्टेकियन ट्यूब कान को खुला और साफ रखने में मदद करती है लेकिन पैसिफायर के कारण इसमें हवा सही तरीके से नहीं आ पाती है और कान का संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
पैसिफायर का इस्तेमाल इस बात की गारंटी नहीं देता कि आपके बच्चे को अंगूठा चूसने की आदत कभी नहीं लगेगी। एक सर्वे के अनुसार 34 प्रतिशत अंगूठा चूसने वाले बच्चे पहले पैसिफायर का इस्तेमाल कर चुके होते हैं।