के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj
आपका शिशु 15 सप्ताह का हो चुका है और अब तक उसे काफी कुछ समझ में आने लगा होगा। वह अपने आस-पास की दुनिया को देख और समझ रहा होता है। वह हर चीज को जिज्ञासा के साथ देखता है और उसे जानने की कोशिश करता है, यहां तक कि अपने खुद के प्रतिबिंब को भी। जी हां, ये शायद आपने भी नोटिस किया हो कि आपका शिशु जब भी आईने में खुद को देखता है, तो वह बड़े उत्साह के साथ खुद को देखता होगा और सात ही खुद से ही बातें करने की भी कोशिश करता होगा और यह उसे बेहद भी पसंद आता है। इसके अलावा आप 15 हफ्ते में आप यह कुछ खास बदलाव अपने शिशु में नोटिस कर सकती हैं;
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आप देखेंगी कि इस उम्र में आपका शिशु जब भी आपकी आवाज सुनता है, तो वह अपना अंगूठा चूसना बंद कर देता है और आपको देखने लगता है। साथ ही आपको उससे बात करते रहनी चाहिए। उसके सामने गाने गाएं, तरह तरह की आवाजें निकालें और देखें की आपका शिशु इस पर क्या प्रतिक्रिया करता है।
जब भी आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ हों अपने शिशु को अपने आस-पास ही रखें। ताकि वह लोगों की बातें सुने औररै शेज उस संवाद को समझने की कोशिश करे। आपके शिशु को दुसरे बच्चों को खेलते देखना अच्छा लगेगा। खासकर कि जानवरों को देखकर छोटे बच्चे ज्यादा खुश होते हैं क्योंकि उन्हें देख बच्चों के अंदर कोतूहल जागरूक हो जाता है। लेकिन, यहां आपको अपने शिशु की सुरक्षा को लेकर चौकन्ना रहना होगा, क्योंकि वह अपनी सुरक्षा खुद नहीं कर सकता। साथ ही ऐसे में इस बात का भी ख्याल रखें कि आपके बच्चे को जानवरों से कोई एलर्जी न हो। अगर आपके घर में पहले से ही पेट्स हैं, तो यह भी देख लें कि उनके वैक्सीनेशन सही समय पर हुआ है कि नहीं। इसके अलावा अगर बच्चे को जानवारों से एलर्जी का कोई लझण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और साथ ही यह भी दिखांए और बच्चे को जानवरों से दूर ही रखें। बच्चों में जानवरों से एलर्जी के मुख्य लक्षणों की बात की जाएं, तो इसमें छींकना, खांसना और कई बार स्किन पर लाल चकत्ते या रैशेज शामिल हैं। कई मामलों में यह भी देखा जाता है कि एलर्जी के कारण बच्चों को सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।
ज्यादातर डॉक्टर इस महीने बच्चे को चेकअप के लिए नहीं बुलाते हैं, लेकिन, आपको कोई समस्या अपने शिशु में लग रही हो तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क कर सकती हैं।
यहां कुछ चीजें दी गई हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए।
इस उम्र में बच्चों को मुंह में छालों की समस्या हो सकती है। मुंह के छाले एक फंगल इन्फेक्शन है, जो कि कैंडिडा अल्बिकंस नामक यीस्ट (एक तरीके का सूक्ष्मजीव) के कारण होता है। इसमें आपके शिशु के मुंह, जीभ, जुबान पर छाले हो जाते हैं।
यदि आप अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं, तो शिशु के मुंह द्वारा आपके स्तनपर भी यह संक्रमण फैलने की शंका रहती है। संक्रमण होने पर आपको अपने स्तनपर खुजली, जलन और दर्द महसूस होता है। ऐसे में तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपके डॉक्टर आप दोनों ही का इलाज करेंगे ताकि आप दोनों में यह संक्रमण और न फैले। यह इलाज कुछ सप्ताह तक चल सकता है। इलाज के दौरान अपने हाथों को समय-समय पर धोते रहें। शिशु के खिलोने या पेसिफायर जो की कीटाणुओं से संक्रमित हो सकते हैं उन्हें गर्म पानी में उबालें ताकि उसके कीटाणू मर जाएं। अपने हाथों और ब्रैस्ट पर एंटी-फंगल का प्रयोग करें।
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कई बार लिंग की सूजन का कारण डायपर रैशेज होते हैं। डायपर रैशेज कई बार शिशु में लिंग की सूजन का कारण बन सकते हैं, जो की एक सामान्य समस्या है। ऐसे में अगर आप कपड़े के डायपर इस्तेमाल कर रही हैं, तो डिस्पोजेबल डायपर का प्रयोग करें। उसे गर्म पानी से नहलाएं। अगर फिर भी शिशु की सूजन नहीं जाती है और उसे पेशाब करने में दिक्कत होती है, तो अपने डॉक्टर से फौरन संपर्क करें।
क्योंकि अभी भी आपका शिशु छोटा है और उसका नर्वस सिस्टम पूरी तरह से परिपक्व नहीं हुआ है, इसलिए शिशु का मस्तिष्क सारी चीजे संभल नहीं सकता। यही कारण है कि कई बार आपकी किसी हरकत पर आपका शिशु तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देता है। इसमें परेशान न हों और अपने शिशु को थोड़ा समय दें।
यहां कुछ बातें दी गई हैं जिनका ध्यान आपको रखना चाहिए।
यह सच है कि रात को शिशु को स्तनपान कराने से शिशु के शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं। लेकिन तीन महिने के बाद शिशुओं को इसकी जरूरत नहीं होती है। अब शिशु को रात में 3-4 बार स्तनपान जरूरत नहीं होती है। आप यह नंबर धीरे-धीरे कर के कम कर सकती हैं। इससे आप और आपका शिशु ज्यादा नींद ले सकेंगे। यह आप कुछ इस तरह कर सकती हैं;
क्योंकि अभी भी आपका शिशु छोटा है और उसका नर्वस सिस्टम पूरा और परिपक्व नहीं है, इसलिए शिशु का मस्तिष्क सारी चीजे संभल नहीं सकता। यही कारण है कि कई बार आपकी किसी हरकत पर आपका शिशु तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देता है। इसमें परेशां न हों और अपने शिशु को थोड़ा समय दें।
डिस्क्लेमर
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