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बच्चों पर तलाक का असर न हो नकारात्मक, इसलिए रखें इन बातों का विशेष ख्याल

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj


Pawan Upadhyaya द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/08/2020

    बच्चों पर तलाक का असर न हो नकारात्मक, इसलिए रखें इन बातों का विशेष ख्याल

    किसी भी कपल के लिए तलाक लेना आसान नहीं होता है, लेकिन यह और भी कठिन हो जाता है जब  कपल एक पेरेंट के नजरिए से अपने तलाक को देखते हैं। तलाक के बाद न सिर्फ दो लोगों की जिंदगी बदल जाती है, बल्कि उनके बच्चों का जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित होता है। बच्चों पर तलाक का असर होता है, यह उनके जीवन पर बुरा असर डाल सकता है, बच्चों पर तलाक का असर उनकी पढ़ाई को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चों पर तलाक का असर क्या उनके मन में अपने माता-पिता के लिए नफरत भर सकती है? ऐसे कई गंभीर दुष्प्रभाव बच्चों पर तलाक के हो सकते हैं। जो बच्चे के आज और भविष्य के दिनों को भी मुश्किल बना सकते हैं।

    बच्चों पर तलाक का असर और ऐसी स्थिति में बच्चों की परवरिश करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसी तरह के मुद्दों के बारे में हम आपको बताने वाले हैं।

    बच्चों पर तलाक का असर कितना नकारात्मक हो सकता है? जानें बच्चों के ही अनुभवों से

    अलगाव के बाद अपने मां-बाप से अलग रहने वाले बच्चों की क्या मनोदशा होती है, यह जानने के लिए कुछ ऐसे बच्चों का अध्ययन किया गया। उनके अनुभवों से जो बात खुलकर सामने आई, वही हम आपको बताने जा रहें हैं। इन अनुभवों में बच्चे बताते हैं कि उनके माता-पिता के अलगाव ने उन्हें कैसे प्रभावित किया?

    बनना पड़ता है घर का बड़ा, उठानी पड़ती है जिम्मेदारी

    एक वयस्क ने जो अपने माता-पिता के तलाक के समय बच्चा था बताते हैं कि अपने माता-पिता की शादी को टूटते हुए देखने से उनके घर के हालात और बिगड़ गए थे। शुरुआत में तो वो बहुत बदमाशियां करते थे लेकिन, कुछ हफ्ते बाद ही वो उदास महसूस करने लगा और बाद में शांत और शर्मीला हो गया। इस समय उस बच्चे की उम्र मुश्किल से दस साल की थी।

    उस बच्चे को यह नहीं समझ आ रहा था कि उसके पिता उसे क्यों छोड़कर चले गए और उसकी मां रात में सोने के बाद क्यों रोती है? लेकिन इस छोटी-सी उम्र में ही उस बच्चे को बड़ा बनना पड़ा क्योंकि उसकी छोटी बहन उससे भी ज्यादा कंफ्यूज थी। इस घटना ने उसे एक सुरक्षात्मक और प्यार करने वाले बड़े भाई में बदल दिया।

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    कुछ को हुई राहत की अनुभूति

    कुछ ने अपने अनुभव में कहा कि वे अपने किशोरावस्था में थे जब उनके माता-पिता का तलाक हुआ। लंबे समय से चले आ रहे कोर्ट के चक्करों की वजह से उनकी पढ़ाई असंतुलित हो जाती थी और उनके नंबर भी कम आ रहे थे। ऐसे में जब आखिरकार उनके माता-पिता को तलाक मिला तब उन्होंने राहत की सांस ली।

    सिंगल पेरेंट होने की वजह से उठानी पड़ी आर्थिक समस्या

    कुछ अनुभवों में यह पता चला कि उनके घर में सिर्फ उनके पिता ही कमाते थे। तलाक के बाद जब उनके पेरेंट्स अलग हुए तो उनके घर में पैसे की तंगी लगातार बनी रही। लंबे समय तक उनकी मां को बाहर काम करना पड़ा और इससे उनका बचपन एक तरह से बिना किसी पेरेंट के गुजरा।

    ब्लेम-गेम से बिगड़ा बचपन

    माता-पिता के अलग होते ही आपका जीवन बदल जाता है लेकिन, अलग होने के बाद भी वो दोनों इस तलाक के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बताते हैं और ब्लेम-गेम का यह सिलसिला चलता रहता है। अपने आस-पास ऐसा वातावरण देखकर बच्चे काफी नकारात्मक हो जाते हैं और अपने जीवन में भी ब्लेम-गेम का अनुसरण करने लगते हैं।

    यह कुछ ऐसे अनुभव हैं जिनसे यह पता चलता है कि तलाक का बच्चों पर सीधे तौर पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर आपकी अपने साथी के साथ किसी बात पर मतभेद हैं तो किसी अच्छे रिलेशनशिप एक्स्पर्ट से परामर्श लें। ऐसा करने से आप अपने रिश्ते को बचा सकते हैं और तलाक से होने वाली इन समस्याओं को भी होने से रोक सकते हैं।

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    बच्चों पर तलाक का असर और किस तरह के प्रभाव डाल सकता है?

    बच्चों पर तलाक का असर कई तरह से हो सकता है। हालांकि, इसका अनुभव हर बच्चे और माता-पिता के लिए अलग-अलग हो सकता है। तलाक के बाद जहां कुछ लोगों का जीवन पहले के मुकाबले अधिक आसान हो सकता है, तो वहीं, कुछ लोगों का जीवन काफी मुश्किलोंभरा भी बन जाता है।

    सौतेले माता-पिता और भाई-बहनों से लगाव में कठिनाई

    अक्सर ऐसा देखा जाता है कि, बच्चे अपने सौतेले माता-पिता या भाई-बहनों से लगाव महसूस करने में कई तरह की परेशानियों का सामना कर सकते हैं। यह स्थिति दोनों ही तरफ से हो सकती है। जबकि, एक बच्चे के परवरिश के लिए एक खुशमिजाज परिवार का होना बहुत जरूरी माना जा सकता है। क्योंकि, बच्चे जो भी अपने आस-पास देखेते और सुनते हैं, इसकी संभावना बढ़ जाती है कि भविष्य में वह भी इन्हीं आदतों को अपना सकते हैं।

    अगर आप अपने पति या पत्नी से तलाक लेने वाले हैं, तो आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपके तलाक का फैसला आपके बच्चे के जीवन को प्रभावित न करें।

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    बच्चों पर तलाक का असर कैसे सकारात्मक बनाया जा सकता है?

    बच्चों पर तलाक का असर सकारात्मक बनाने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैंः

    सगे माता या पिता की बुराई न करें

    तलाक के बाद अक्सर बच्चों की कस्टडी माता या पिता में से किसी एक को कानूनी तौर पर मिल जाती है। अगर आपको तलाक के बाद अपने बच्चे की कस्टडी मिलती है, तो कभी भी बच्चे के सामने उसकी मां या पिता के बारे में कुछ बुरा न बोलें। एक बात का ध्यान रखें कि, आपने जिस भी वजह से अपने साथी के साथ अपने रिश्ते को खत्म किया हो, वह पूरी तरह से आपकी अपनी भावनाओं और जरूरतों के अनुसार होता है। इसलिए अपने बच्चे और आपके साथी के बीच उनके रिश्ते को खराब न करें।

    सही समय का इंतजार करें

    अगर आपके तलाक के समय आपके बच्चे की उम्र की उम्र बहुत छोटी है, तो उसके समझदार होने की उम्र तक का इंतजार करें। आपके तलाक की असल वजह क्या है समय आने पर इसकी सच्चाई अपने बच्चे को जरूर बताएं।

    मन में नफरत न पैदा करें

    अक्सर सिंगल पेरेंट के बच्चे अपनी केस्टडी खो चुके माता या पिता से नफरत करने लगते हैं और भविष्य में खुद भी कभी शादी न करने या परिवार बसाने से भी नफरत कर सकते हैं। जिसमें काफी हद तक उनके कस्टडी के हकदार माता या पिता की अहम भूमिका हो सकती है। इसलिए, अपने बच्चे के भविष्य को नफरत भरा बनाने से बचें और कोशिश करें आपने जो गलतियां की थी, उसे आपके बच्चे न दोहराएं।

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    कुछ खास जगहों पर अलग हुए साथी के साथ जाएं

    अक्सर बच्चे के स्कूल, कॉलेज या अन्य ऐसे संस्थानों में पेरेंट्स मीटिंग या फेस्ट का आयोजन होता रहता है। जहां पर बच्चे को उसके माता-पिता को साथ लाने के लिए कहा जाता है। ऐसी जगहों पर आपको अपने बच्चे के लिए अपने साथी के साथ जाना चाहिए। बेशक, आप दोनों खुद एक-दूसरे से कोई बातचीत न करें, लेकिन बच्चे के सामने उसके पहले जैसे ही माता-पिता होने का व्यवहार करें।

    आपके इस तरह के व्यवहार से बच्चों पर तलाक का असर कम से कम नकारात्मक हो सकता है। हालांकि, एक बात का ध्यान रखें कि एक बच्चे का जीवन और उसकी परवरिश उसके माता-पिता और परिवार के बिना अधूरा ही रहता है। कुछ लोगों को लगता है कि बच्चे महंगे खिलौनों से अपने अलग हुए माता-पिता की कमी को भूल सकते हैं, लेकिन आपका ऐसा सोचना आपके बच्चे को और भी ज्यादा मुश्किल वक्त में डाल सकता है।

    डिस्क्लेमर

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