बच्चे की कम्पेरिजन दूसरे से करके आप उसे प्रेरणा नहीं देते हैं, बल्कि उसे दुख देते हैं। साथ ही उसे मानसिक रूप से कमजोर भी कर देते हैं। बच्चा इस बोझ तले दबा जाता है कि वह अपने पैरेंट्स की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता है तो क्या होगा। जिससे वह दुखी होता है और उसके मन में आत्महत्या जैसे भी ख्याल आ सकते हैं।
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बच्चे का कम्पेरिजन करने से पैरेंट्स के साथ रिश्तों में आती है खटास
बच्चे का कम्पेरिजन करने से आपके और बच्चे के रिश्ते में खटास आती है। जिसका असर आप पर भी पड़ सकता है। पैरेंट्स को समझना होगा कि हर बच्चे की अपनी क्षमताएं होती है। बच्चा हमेशा अपना सौ फीसदी देने की कोशिश करता है। लेकिन, हमेशा कम्पेरिजन करने से वह माता-पिता की बातों को सुनना और मानना छोड़ देता है।
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बच्चे का कम्पेरिजन करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- मनोवैज्ञानिक अंकिता खन्ना के अनुसार सबसे पहले तो पैरेंट्स को समझना चाहिए कि हर बच्चे की अपनी सीमाएं और क्षमताएं होती है। इसलिए पैरेंट्स उसकी क्षमता पर भरोसा करना सीखें।
- बच्चे की कम्पेरिजन उसके खुद के भाई-बहन से भी ना करें। उसे कहें कि “तुम कर सकते हो और हमें तुम पर पूरा विश्वास है।”
- बच्चे को भावनात्मक तौर पर मजबूत करें और उसका विश्वास जीतने का प्रयास करें।
- बच्चे पर दबाव ना डालें, बल्कि उसे स्वतंत्र छोड़ें ताकि वह अपने दायरे में खुल कर काम कर सके। ऐसा करने से बच्चा अपना सौ फीसदी दे पाएगा।
- अगर कभी गलती से आपने कम्पेरिजन कर भी दी तो बच्चे की सफाई को जरूर सुनें। फिर उसे समझाएं कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।