बच्चों में कीड़ों के डर के पीछे पहला कारण कोई दर्दनाक अनुभव हो सकता है। एटोमोफोबिया एक उम्र में लगभग हर किसी को होता है लेकिन बढ़ती उम्र के साथ यह महसूस होना कम हो जाता है। बचपन में लगभग हर कोई चींटी के काटने और मधुमक्खी के डंक का शिकार हुआ है। लेकिन कुछ बच्चों के लिए यह अनुभव दूसरे बच्चों की तुलना में बुरा असर छोड़ जाता है।
इसी तरह छोटे बच्चों में कीड़े की बनावट उनके डर का कारण हो सकती है। जिन बच्चों में एंटोमोफोबिया है, वे केवल एक बात सोचते हैं कि उन कीड़ों के पास कई पैर, एंटीना, पिंचर्स, पंख और यहां तक कि बाल भी हैं। वे बच्चे जो अभी-अभी बाहर की दुनिया देख रहें है उनके लिए कीड़े व्यावहारिक रूप से छोटे राक्षस की तरह होते हैं। हालांकि, यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन बच्चों में एंटोमोफोबिया अक्सर अपने माता-पिता से आता है। दूसरे शब्दों में बच्चों में एंटोमोफोबिया का कारण कहीं ना कहीं माता-पिता हैं। अपने व्यवहार, कमेंट्स और कामों से माता-पिता बच्चों के मन में ये डर डालते हैं।
इसी तरह बच्चे के आस-पास दूसरे कारण भी फोबिया को बढ़ा सकते हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि पैरेंट अपने बच्चों के टेलीविजन और इंटरनेट पर देखने वाले कटेंट के बारे में जागरूक रहें।
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एंटोमोफोबिया का निदान (Entomophobia diagnosis)
एंटोमोफोबिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर एक क्लीनिकल इंटरव्यू करेगा और इसके लक्षण को पहचाने की कोशिश करेगा। इसके अलावा डॉक्टर मेडिकल और साइकेटरिक हिस्ट्री के बारे में जानने की कोशिश करेगा। इन तीनों चरणों के बाद ही डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंच सकता है कि किसी में एंटोमोफोबिया है कि नहीं।
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बच्चों में एंटोमोफोबिया का इलाज (Entomophobia treatment)
बच्चों में एंटोमोफोबिया का आमतौर पर संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) और एक्सपोजर थेरेपी (Exposure Therapy) से इलाज किया जाता है। इन दोनों थेरेपी से बच्चों के अंदर से कीड़ों को लेकर घृणा, डर और चिंता के व्यवहार को कम करने की कोशिश की जाती है। यह दोनों थेरेपी तब तक चलती है, जब तक कि एंटोमोफोबिया से पीड़ित बच्चे के व्यवहार में बदलाव न आ जाए।
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संज्ञानात्मक व्यवहार थेरिपी (Cognitive Behavioral Therapy)