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कीड़े-मकौड़ों का डर कहलाता है 'एंटोमोफोबिया', कहीं आपके बच्चे को तो नहीं


Lucky Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/07/2021

    कीड़े-मकौड़ों का डर कहलाता है 'एंटोमोफोबिया', कहीं आपके बच्चे को तो नहीं

    हम में से बहुत से लोग कीड़ों को देखकर हवा में दूर उछल जाते हैं। कई लोगों को कीड़े-मकोड़ों से फोबिया भी होता है। क्या आप जानते हैं कि इस तरह के कीड़ों के फोबिया को एंटोमोफोबिया (Entomophobia) कहते हैं। बच्चों में कीड़ों का फोबिया यानि एंटोमोफोबिया होना आम है। क्या आपका बच्चा भी कीड़ों से बहुत ज्यादा डरता है? अगर जबाव हां है, तो आपके बच्चे को एंटोमोफोबिया हो सकता है। हालांकि, यह कोई गंभीर समस्या नहीं है। लेकिन, स्थिति का जल्द से जल्द सामना करना उचित होता है। कई बच्चों में कीड़ों का इस कदर डर होता है कि उन्हें एंजायटी की शिकायत हो जाती है। इससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित होती है। आज इस लेख में हम आपको एंटोमोफोबिया (Entomophobia)  को लेकर विस्तृत जानकारी देंगे।

    सबसे पहले यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि डर और फोबिया के बीच एक बड़ा अंतर होता है। डर किसी चीज के प्रति घृणा की भावना है और लगभग हर कोई जिदंगी में कभी ना कभी इस बात को अनुभव करता ही हैं। हालांकि, फोबिया अलग है। इससे ग्रसित लोगों में एक अलग भावना होती है, जिसमें चिंता भी शामिल होती है। इसकी वजह से यह एक व्यक्ति की सामान्य जीवन जीने की क्षमता को भी कम करता है।

    बच्चों में एंटोमोफोबिया के लक्षण (Symptoms of emetophobia in kids)

    सामान्य तौर पर बच्चों को कीड़ों के संपर्क में आने पर जो लक्षण अनुभव होते हैं, वे फोबिया वाले किसी दूसरे व्यक्ति की तरह ही होते हैं। इसके दो प्रकार होते हैंः

    • शारीरिक लक्षण: इनमें हाइपरवेंटिलेशन, दिल की धड़कनों का बढ़ना, कंपकंपी, चक्कर आना, उल्टी, अधिक पसीना और छाती में दबाव शामिल हैं। कुछ लोगों को इसके अलावा दूसरे लक्षण भी दिख सकते हैं।
    • भावनात्मक लक्षण: बच के भागने की इच्छा, नियंत्रण खोने का डर, घबराहट होना और यहां तक कि मरने का डर भी। यह एक बहुत ही चिंताजनक स्थिति है और इसे नियंत्रित करना माता-पिता के लिए कठिन हो सकता है।

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    बच्चों में एंटोमोफोबिया के कारण (Causes of entomophobia in kids)

    एंटोमोफोबिया

    बच्चों में कीड़ों के डर के पीछे पहला कारण कोई दर्दनाक अनुभव हो सकता है। एटोमोफोबिया एक उम्र में लगभग हर किसी को होता है लेकिन बढ़ती उम्र के साथ यह महसूस होना कम हो जाता है। बचपन में लगभग हर कोई चींटी के काटने और मधुमक्खी के डंक का शिकार हुआ है। लेकिन कुछ बच्चों के लिए यह अनुभव दूसरे बच्चों की तुलना में बुरा असर छोड़ जाता है।

    इसी तरह छोटे बच्चों में कीड़े की बनावट उनके डर का कारण हो सकती है। जिन बच्चों में एंटोमोफोबिया है, वे केवल एक बात सोचते हैं कि उन कीड़ों के पास कई पैर, एंटीना, पिंचर्स, पंख और यहां तक ​​कि बाल भी हैं। वे बच्चे जो अभी-अभी बाहर की दुनिया देख रहें है उनके लिए कीड़े व्यावहारिक रूप से छोटे राक्षस की तरह होते हैं। हालांकि, यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन बच्चों में एंटोमोफोबिया अक्सर अपने माता-पिता से आता है। दूसरे शब्दों में बच्चों में एंटोमोफोबिया का कारण कहीं ना कहीं माता-पिता हैं। अपने व्यवहार, कमेंट्स और कामों से माता-पिता बच्चों के मन में ये डर डालते हैं।

    इसी तरह बच्चे के आस-पास दूसरे कारण भी फोबिया को बढ़ा सकते हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि पैरेंट अपने बच्चों के टेलीविजन और इंटरनेट पर देखने वाले कटेंट के बारे में जागरूक रहें।

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    एंटोमोफोबिया का निदान (Entomophobia diagnosis)

    एंटोमोफोबिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर एक क्लीनिकल इंटरव्यू करेगा और इसके लक्षण को पहचाने की कोशिश करेगा। इसके अलावा डॉक्टर मेडिकल और साइकेटरिक हिस्ट्री के बारे में जानने की कोशिश करेगा। इन तीनों चरणों के बाद ही डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंच सकता है कि किसी में एंटोमोफोबिया है कि नहीं।

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    बच्चों में एंटोमोफोबिया का इलाज (Entomophobia treatment)

    बच्चों में एंटोमोफोबिया का आमतौर पर संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी  (Cognitive Behavioral Therapy) और एक्सपोजर थेरेपी (Exposure Therapy) से इलाज किया जाता है। इन दोनों थेरेपी से बच्चों के अंदर से कीड़ों को लेकर घृणा, डर और चिंता के व्यवहार को कम करने की कोशिश की जाती है। यह दोनों थेरेपी तब तक चलती है, जब तक कि एंटोमोफोबिया से पीड़ित बच्चे के व्यवहार में बदलाव न आ जाए।

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    संज्ञानात्मक व्यवहार थेरिपी  (Cognitive Behavioral Therapy)

    कीड़ों के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रिया को मैनेज करने के लिए थेरेपिस्ट बच्चों को खुंद को शांत करने वाली रिलेक्सिंग तकनीक सिखाते हैं और अपने डर या कीड़े के बारे में रोगी के नजरिए को बदलने का काम करते हैं। वे व्यक्ति को उनकी भावनाओं के कारणों की पहचान करने और उनके विचारों को बदलने में मदद करते हैं, जिससे उन्हें बग के बारे में अधिक लॉजिकल तरीके से सोचने का मौका मिलता है।

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    एक्सपोजर थेरेपी (Exposure Therapy)

    कीड़ों के प्रति बच्चों के व्यवहार में बदलाव के लिए डॉक्टर अक्सर एक्सपोजर थेरेपी का उपयोग करते हैं। इसके लिए थेरेपिस्ट कीड़ों को बच्चे के सामने खुद लाते हैं।

    बच्चों में एंटोमोफोबिया (Entomophobia) को दूर करने के लिए क्या करें?

    डर को दूर करें

    किसी डर या फोबिया से निपटने के लिए इसका सामना करना ही बेहतर ऑप्शन है। एंटोमोफोबिया के लक्षण वाले बच्चों का कीड़ों से डरना उनके किसी बुरे अनुभव की वजह से है। इसको बदलने के लिए बच्चों से जबरदस्ती न करें और उन्हें समय दें। पैरेंट्स को कोशिश करनी चाहिए कि वे बच्चों को धीरे-धीरे उनके डर का सामना करने में मदद करें। शुरुआत में उन्हें तस्वीरों या वीडियो का उपयोग करके इस डर को कम करना चाहिए। यह बच्चों के व्यवहार में बदलाव करने में मदद करने में बहुत उपयोगी होगा।

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    बच्चे को डर का सामना करने में मदद करें

    एंटोमोफोबिया वाले बच्चों को कीड़ों के साथ सुरक्षित और धीरे-धीरे बढ़ते संपर्क से बच्चे को अपने डर का सामना करने में मदद मिल सकती है। ऐसा करने से उनका डर खत्म हो सकता है। इससे बच्चों के नर्वस सिस्टम के रेस्पॉन्स करने की प्रक्रिया में बदलाव आता है, जो शरीर को खतरे से बचाती है। जब एंटोमोफोबिया ग्रसित बच्चे इस तरह से कीड़ों के डर का जवाब देते है, तो वे महसूस करते हैं कि उनका डर धीरे-धीर खत्म हो रहा।

    पैरेंट्स को कॉपी करते हैं बच्चे

    बच्चे मां बाप को करीब से देखते हैं। माता पिता पर बच्चों का पूरा ध्यान होता है। जब आप सोच रहे होते हैं आपके बच्चे का ध्यान आप पर नहीं है तब भी वह आपको देख रहे होते हैं। बच्चे अपने माता पिता को रोल मॉडल की तरह मानते हैं। इसलिए उनके सामने एक उदाहरण सेट करना जरूरी होता है। आप जैसे उनके सामने इंसेक्ट्स को देखकर बिहेव करेंगे वैसे ही वो भी सिखेंगे।

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    एंटोमोफोबिया से ग्रसित बच्चों (Entomophobia in kids) के सामने ये 3 गलती न करें

    • सबसे पहला आपको जिस बात का ध्यान रखना है वो यह कि बच्चे के डर का कभी भी मजाक न बनाएं। आपके द्वारा किया गया छोटा सा मजाक या मस्ती करना बच्चे को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। याद रखें फोबिया ऐसी चीज है जो आपके बच्चे के कंट्रोल में नहीं है।
    • दूसरी बात आपको जिसका ख्याल रखना है वो यह कि बच्चे के मन के डर को दूर करने में उनकी मदद करें। इस परिस्थिती में कोई कारण देकर उनको ओवरकम करने का प्रयास करें। आप उनके प्रति समझने वाला रवैया रखें। यह आपके बच्चे के फोबिया को कम करने में मदद करेगा।
    • जब भी बच्चे के सामने कोई इंसेक्ट आए तो खुद को शांत रखें। अपना कार्य करते रहें। अगर आप ऐसे शो करेंगी कि ये जीव हैं जिनके साथ हम दुनिया को साझा करते हैं। तो धीरे धीरे वक्त के साथ बच्चा भी अपने डर पर काबू पाने में सफल होगा।

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    ऊपर बताए गई बातें आपके बच्चे के एंटोमोफोबियाो ( बच्चों में कीड़ों का फोबिया) दूर करने में मदद करेंगी। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको किस बिंदू में किसी तरह का संशय है तो आप अपना प्रश्न कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके सवालों का उत्तर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो बेहतर होगा इसके लिए किसी विशेषज्ञ से कंसल्ट करें।

    डिस्क्लेमर

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