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टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज है तो कैसे बचाएं?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे · आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/08/2020

    टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज है तो कैसे बचाएं?

    सब्सेटेंस एब्यूज से मतलब एल्कोहॉल का मिसयूज, अवैध दवाओं का उपयोग, डॉक्टर के पर्चे या ओवर-द-काउंटर दवाओं का अनुचित उपयोग करना होता है। ये काम प्लेजर या आनंद पाने के लिए किया जाता है। वहीं टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज से मतलब टीनएजर्स का अवैध दवाओं और एल्कोहॉल का मिसयूज करना है। वैसे तो सब्सेटेंस एब्यूज किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन कम उम्र में सब्सेटेंस एब्यूज टीनएजर्स को गलत दिशा की ओर ले जाता है और उनका भविष्य भी अंधकारमय हो सकता है।

    आज समाज की सबसे बड़ी समस्या टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज यानी युवा वर्ग में ड्रग्स या नशे की बढ़ती लत है। जब देश के युवा ही नशे में डूबे रहेंगे तो विकास कैसे होगा। युवा वर्ग एक बार अगर नशे के दलदल में फंस जाए तो उनका निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। आज तो शराब का सेवन एक “फैशन’ सा बन गया है। शराब का सेवन करने के बाद युवा धीरे-धीरे नशीली दवाओं के भी एडिक्टेड हो रहे हैं।

    टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज:  क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

    डॉ. पूजा तिवारी (इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हिंदी रिसर्च) कहती हैं कि “टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज या मादक पदार्थों के शिकार लोगों के परिवार और दोस्तों के लिए ऐसे युवाओं को नशे से छुटकारा दिलाना बहुत मुश्किल होता है। परिवार के लोग अक्सर नशे की थेरिपी के बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए अक्सर लोग इसे अनदेखा करने लगते हैं। जबकि परिवार वालों को यह समझना चाहिए कि नशे में डूबे युवा बच्चे को किसी के मदद की जरूरत है। उनके साथ से बच्चा नशे की लत छोड़ने में सफल हो सकता है।’

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    टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज :बच्चों में सब्सेटेंस एब्यूज के बारे में जानकारी

    आपका बच्चा नशीली दवाओं का उपयोग कर रहा है या फिर वो नशीले पदार्थ ले रहा है, इस बात की जानकारी आपको या तो देखने से मिलेगी या फिर बच्चे के व्यवहार से भी इस बात का पता लगाया जा सकता है कि वो ड्रग ले रहा है या फिर नहीं। जब किशोरावस्था में कोई नशीले पदार्थों का सेवन करता है तो उसके मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न होने लगता है। कुछ समय के लिए किया गया नशा आगे चलकर लत में तब्दील हो जाता है। ड्रग एब्यूज से मतलब किसी भी व्यक्ति द्वारा खुशी या आनंद प्राप्त करने के लिए नशीली दवाओं का उपयोग करना है।

    बच्चों में भी ये लत लग सकती है। लत लगने का मुख्य कारण घर का माहौल या फिर ऐसी संगति भी हो सकती है जो बच्चों को नशीली दवाओं या नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए उकसाएं। ऐसा करके कुछ लोग बच्चों को लती बना देते हैं और फिर उनसे मनमाने काम भी करवाते हैं। अगर आपका बच्चा भी इन सम्स्याओं से घिर चुका है तो आपको कुछ संकेत नजर आ सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ड्रग यूज के कुछ संकेत बता रहे हैं जो ये बताता है कि बच्चा नशीलें पदार्थों का सेवन कर रहा है।

    • ड्रग के एविडेंस
    • व्यवहार संबंधी समस्याएं
    • स्कूल में स्टडी में पीछे होना
    • इमोशनल डिस्टेंसिंग, आइसोलेशन, डिप्रेशन
    • बच्चे को थकान का एहसास
    • चिड़चिड़ापन होना
    • घर में बच्चे के सहयोग में बदलाव
    • स्कूल या घर में बच्चे का बार-बार झूठ बोलना
    • आंखों में लालिमा, बहती हुई नाक
    • गले में खराश
    • सोने के पैटर्न में बदलाव आना
    • चक्कर आना और मेमोरी कम होना
    • सांस से शराब मारिजुआना की गंध आना
    • डिम लाइट में भी आंखों का सिकुड़ना

    कैसे छुड़ाएं नशे की लत

    सकारात्मक पारिवारिक भागीदारी है जरूरी

    नशे और शराब की लत में सकारात्मक पारिवारिक भागीदारी जरूरी है। परिवार के सभी लोगों टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज को दूर करने में मदद कर सकते हैं। परिवार के लोग युवा बच्चे को रीहैब के लिए रीहैब सेंटर में डाला सकते हैं। जहां पर डॉक्टर और काउंसलर युवक की काउंसलिंग और इलाज करते हैं, जिससे उसके नशे की लत छूट सकती है।

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    एडिक्शन थेरिपी प्रोग्राम में दिलाएं हिस्सा

    एडिक्शन थेरिपी प्रोग्राम में शामिल होने का मतलब है कि नशे के शिकार युवक को अपने परिवारों से अलग नहीं होना पड़ता हैं। वे अपने घर के करीब इस प्रोग्राम में भाग ले सकता है। इस कार्यक्रम में युवा 28 से 30 दिन के डिटॉक्सिफिकेशन और रिकवरी प्रोग्राम से गुजरता है। हालांकि, परिवार की भागीदारी जरूरी है और रोगी की रीहैब कर नशे से बाहर निकालने में मददगार भी है।

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    मेडिकेशन असिस्टेड ट्रीटमेंट (Get medication-assisted treatment)

    टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज की समस्या है तो आप डॉक्टर से जांच कराएं। डॉक्टर थेरिपी के साथ ही मेडिकेशन असिस्टेड ट्रीटमेंट भी देगा, जो आपके बच्चे के लिए फायदेमंद साबित होगा। डॉक्टर कुछ दवाइयों के साथ ही काउंसलिंग और थेरिपी की मदद से समस्या का सामाधान करने की कोशिश करेंगे। मेंटल हेल्थ के साथ ही फिजिकल हेल्थ भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर बच्चे को इस तरह समस्या है या वो किसी कारणवश नशीली दवाओं का सेवन कर रहा हो तो आप उसे शांति से समझाएं और उसकी जांच भी कराएं।

    अपनों का साथ टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज से रखेगा दूर

    नशे से छुटकारा पाने के इलाज में सबसे पहले मरीज को ऐसे वातावरण से निकालना होता है जहां पर उसे हमेशा नशा करने की इच्छा होती है। ऐसी स्थिति में अपनों का साथ मरीज को रीहैब करने में मदद करेगा। एक बार जब रोगी ‘ऑफ-साइट’ टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज (मादक द्रव्यों) का इस्तेमाल करता है तो उसे सही और गलत की पहचान कराने में अपनों का साथ मदद करता है। ऐसे में अगर आप अपने बच्चे को किसी भी तरह से नशे के लत से छुटकारा दिलाना चाहते हैं तो उसका पूरा साथ दें। साथ ही उसे डांटने के बजाए उसे संभालने की कोशिश करें। ताकि वह जल्द से जल्द नशे के लत से बाहर आ सके।

    आपका बच्चा कैसे लोगों के साथ रहता है या फिर कहीं गलत लोगों के साथ वो अधिक समय बिता रहा है, ऐसी सभी गतिविधियों के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। साथ ही बच्चे के या टीनएजर्स के व्यवहार को कभी भी अनदेखा न करें। अगर आपको शक हो तो बेहतर होगा कि बात की सच्चाई तक पहुंचे।

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    उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि एक्सपर्ट से इस बारे में जानकारी प्राप्त करें। आशा करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको टीनएजर्स में सब्सेटेंस एब्यूज से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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