चाइल्ड बर्थ के बाद पीरियड्स शुरू होने पर इसमें कुछ बदलाव आपको दिख सकते हैं या नहीं भी। कई महिलाओं को पहले से ज्यादा या कम ब्लीडिंग हो सकती है और मेंस्ट्रुएशन के दिन भी कम या ज्यादा हो सकते हैं। प्रसव के बाद महिला के शरीर में कई तरह के हॉर्मोनल बदलाव आते हैं जिसका असर मेंस्ट्रुएशन पर पड़ सकता है। प्रसव के बाद यूट्रस बढ़ जाने और डाइलेटेड सर्विक्स की वजह से कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के बाद पीरियड्स में सुधार भी आता है। प्रेग्नेंसी में रिलीज होने वाले हॉर्मोन्स से गर्भाशय की मसल्स को आराम मिलता है।
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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स स्तनपान को कैसे प्रभावित करता है?
पीरियड्स ब्रेस्टफीडिंग को प्रभावित नहीं करता है। केवल ब्रेस्ट्स और ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई में कुछ बदलाव हो सकते हैं।
दूध की आपूर्ति में कमी
न्यू मॉम पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट मिल्क फ्लो में कुछ कमी महसूस कर सकती हैं। हालांकि, यह टेम्पररी होता है और कुछ दिनों में ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई सही हो जाता है। स्तनों में दूध सही से बने और उसका फ्लो सही हो इसके लिए संतुलित आहार लें। यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं। मिल्क प्रोडक्शन में सुधार करने के लिए डॉक्टर आपको कैल्शियम और मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं।
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मिल्क कम्पोजिशन में बदलाव
कुछ शोधकर्ताओं ने पाया है कि ओव्युलेशन और पीरियड्स के दौरान, सोडियम और क्लोराइड की मात्रा बढ़ जाती है, जबकि मां के दूध में लैक्टोज और पोटेशियम की कमी हो जाती है। इससे मां के दूध के स्वाद में हल्का बदलाव हो सकता है।
निप्पल में सूजन
पीरियड्स के दौरान होने वाला हॉर्मोनल परिवर्तन निप्पल में कोमलता का कारण बन सकते हैं। यह एक अस्थायी बदलाव है। बंद ब्रेस्ट डक्ट्स और अन्य संबंधित समस्याओं से बचने के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराना जारी रखें।
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डॉक्टर को कब दिखाएं?
स्तनपान और पीरियड्स अक्सर एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स में अनियमितता या बदलाव हालांकि बहुत ही सामान्य हैं लेकिन, कुछ स्थितियों में गायनेकोलॉजिस्ट को तुरंत दिखाना सबसे सही रहता है। जैसे-