तथ्य- डॉ. शिप्रा ने इसे गलत बताया है। उन्होंने कहा कि डिलीवरी के तुरंत बाद मां का पीला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए वरदान है। सिजेरियन डिलीवरी (C- Section) के बाद मां होश में नहीं होती है इसलिए स्तनपान नहीं करा पाती है। लेकिन, यहां पर सबसे बड़ी भूमिका डॉक्टर और नर्स की होती है, जो बच्चे को मां के द्वारा स्तनपान कराती है। मां के स्तनों को साफ करके बच्चे को पेट के बल मां की छाती से लगा कर स्तनपान कराती है। इसलिए डिलीवरी चाहे कैसी भी हो स्तनपान जरूरी है।
3. मिथ्य-छोटे स्तनों वाली मां नहीं करा सकतीं ब्रेस्ट फीडिंग
तथ्य- मां के स्तनों के आकार (Breast size) का ब्रेस्ट मिल्क (Breast milk) पर कोई असर नहीं पड़ता है। मेडिकल साइंस के मुताबिक दूध बनाना स्तन ग्रंथियों का काम है ना कि स्तनों के आकार का। महिला के स्तनों के आकार फैटी टिशू के कारण बड़े या छोटे होते हैं। इसलिए मां के स्तनों का आकार चाहे जैसा भी हो वह बच्चे को स्तनपान (Breastfeeding) करा सकती है।
4. मिथ्य- दवाइयां लेते समय मां को स्तनपान नहीं कराना चाहिए
तथ्य- डॉ. शिप्रा धर के मुताबिक यह बात निर्भर करती है कि मां किस तरह की दवाएं ले रही है। अगर मां एचआईवी (HIV) या टीबी (TB) की दवाएं ले रही है तो वह बच्चे को सीधे स्तनपान नहीं करा सकती है। ऐसे में दूध को स्तनों से बाहर निकाल कर चम्मच के जरिए बच्चे को देना चाहिए। कभी-कभी मां को वायरल बुखार (Viral fever) होता है तो ऐसे में भी मां को बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। अगर बुखार किन्हीं अन्य कारणों से आ रहा है तो मां बच्चे को दूध पिला सकती है। अगर मां को थायरॉयड या घेंघा की दिक्कत है तो भी बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। थायरॉयड (Thyroid) और हाइपोथायरॉयड (Hypothyroid) में अक्सर महिलाएं भ्रमित हो जाती है। हाइपोथायरॉयड से ग्रसित मां दवाएं लेते हुए बच्चे को स्तनपान करा सकती है।
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5. मिथ्य- स्तनपान के बाद शिशु को पानी पिलाना चाहिए