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बच्चे के बोलने में देरी क्यों होती है और ऐसी स्थिति में क्या करें?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे · आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/06/2021

    बच्चे के बोलने में देरी क्यों होती है और ऐसी स्थिति में क्या करें?

    बच्चे के मुंह से पहली बार ‘मां’ सुनने पर जो खुशी मिलती है उसका वर्णन शब्दों में करना असंभव है। शुरुआत में बच्चे जब बोलना सिख रहे होते हैं, तो ऐसे में  कई बच्चे बोलने की शुरुआत बहुत देर से करते हैं या फिर कम बोलते हैं। जब बच्चे माता-पिता के लाख प्रयास करने के बाद भी बोल नहीं पाते, तो उनका चिंतित होना लाजमी है। पहली बार पेरेंट्स बने लोगों को बच्चे के मानसिक विकास के बारे में सही जानकारी नहीं होती है।

    सुनीता शाह (बाल चिकित्सा और भाषा चिकित्सक) कहती हैं, यदि आपका बच्ची/बच्चा 18 महीने की हो चुका है और बात नहीं कर रहा है, तो चिंता न करें। आमतौर पर जिस उम्र में बच्चे बात करना सीखते हैं, कुछ बच्चों में उसका समय अलग हो सकता है। अधिकांश बच्चे 18 महीनों तक बहुत से शब्द बोलना शुरू कर देते हैं। बच्चे के बोलने में देरी (Delay in Speech) होने पर पेरेंट्स चिंता न करें बल्कि डॉक्टर की सलाह लें।

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    बच्चे के बोलने में देरी (Delay in Speech) क्या है?

    भाषण और भाषा की समस्याएं अलग-अलग होती हैं, लेकिन ये एक-दूसरे को अक्सर ओवरलैप करती हैं।

    उदाहरण के लिए:

    सुनीता कहती हैं कि बोलने में देरी का एक कारण यह है कि बच्चा शब्दों का अच्छी तरह से उच्चारण कर सकता है। लेकिन वे केवल दो शब्दों या कम अक्षरों वाले शब्दों को एक साथ बोलने में सक्षम होता है। जो बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं, वे अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए शब्दों और वाक्य के छोटे टुकड़े का उपयोग करते हैं, लेकिन उन्हें समझना मुश्किल होता है।

    बच्चे के बोलने में देरी (Delay in Speech) और बोलना शुरू करने की सही उम्र क्या है ?

    कई बाल रोग विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि लगभग छ: महीने का होने के बाद शिशु अपनी मां के होंठों को देख किलकारी निकाल अपनी प्रतिक्रिया जताने लगता है। इस उम्र के होने के बाद यदि कोई उसके सामने ताली बजाता है या प्यार से उसका नाम पुकारे तो इधर-उधर देखने लगता है। आठ-नौ महीने की आयु से शिशु छोटी-छोटी चीजों को नाम से पहचानने लगता है। वह बाबा कहने पर उनकी ओर देखना, पापा कहने पर पापा की तरफ पलटकर देखना आदि जैसी प्रतिक्रिया करने लगता है। लेकिन बहुत से बच्चे इस उम्र तक या साल भर का होने के बावजूद भी इस तरह कला रिएक्शन नहीं दे पाते हैं। क्योंकि सभी बच्चों के मस्तिष्क के बनावट में बहुत अंतर होता है। उनकी भाषा सीखने की और बोलने की गति बाकी बच्चों से अलग होती है।

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    क्या है बच्चों में भाषा संबंधी विकास? (What is language development in children?)

    बच्चों के भाषा संबंधी विकास की गति से मतलब है उनके माता-पिता और भौगोलिक बोली को समझने की गति। कई बार बच्चों में यह एक समान न होने के कारण कुछ बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं व कुछ बहुत कम बोलते हैं। डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में चिंता करने की बजाए धैर्य और समझदारी से काम लें।

    बच्चे बोलने में बहुत अधिक देर कर रहे हों तो किसी स्पीच थेरेपिस्ट से भी सलाह ले सकते हैं। विशेषज्ञ आपको बच्चे के देर से  बोलने के कारणों के बारे में आपको बताएगा। इसके बाद आप  इसका उपाय भी निकाल पाएंगे।

    बच्चे के बोलने में देरी का क्या है कारण (Delay in Speech Causes)

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    स्पीच थेरेपिस्ट डॉ आर.के. चौहान कहते हैं कि जो बच्चे जन्म के बाद देर से रोना शुरू करते हैं, ऐसे बच्चे बोलना भी देर से चालू करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेग्नेंसी के समय मां अगर जॉन्डिस की शिकार हो या नॉर्मल डिलीवरी में कई बार बच्चे के मस्तिष्क की बांई ओर चोट लग जाती है। इस स्थिति में बच्चे की सुनने की शक्ति बाधित हो जाती है। सुनने और बोलने के बीच गहरा संबंध है। यदि कोई बच्चा ठीक से सुन नहीं पाता हो तो वह बोलना भी आरंभ नहीं करता।

    क्या है बच्चे के मस्तिष्क की बनावट?

    मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग आठ महीने वाले शिशु के मस्तिष्क में 1000 ट्रिलियंस ब्रेन-सेल कनेक्शंस बन चुके होते हैं। इसलिए यदि सुनने तथा बोलने के माध्यम से सक्रिय न रखा जाए तो अधिकतर सेल नष्ट हो जाते हैं। आपको यह जानना चाहिए कि लगभग छह माह का बच्चा विभिन्न प्रकार की 17 ध्वनियों को पहचान सकता है। जो आगे चलकर विभिन्न भाषाओं को सीखने का आधार बनती हैं।

    बच्चे के बोलने में देरी (Delay in Speech) हो तो इन बातों का रखें खयाल :

    1. शिशु के जन्म के कुछ महीनों बाद ध्वनि निकालने वाले खिलनों की सहायता से सुनने की क्षमता को जांचना चाहिए।

    2. बच्चे को खेलाते हुए खिलौनों तथा वस्तुओं के नाम बताएं तथा उसे प्रोत्साहित करें कि वह उसे दोहराए।

    3. बच्चा पूरा वाक्य बोलने लगे तो उसे नर्सरी राइम्स सुनाना शुरू करें तथा उसकी कुछ पंक्तियों को दोहराने के लिए उत्साहित करें।

    बच्चों के लिए भाषा के विकास के चरण सभी बच्चों के लिए समान हैं, लेकिन जिस उम्र में बच्चे उन्हें विकसित करते हैं वह बहुत भिन्न हो सकता है। यदि सुनने में भी कोई समस्या लगे तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि सुनने और बच्चे के बोलने में देरी के बीच परस्पर संबंध हैं।

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    बच्चे के बोलने में देरी (Delay in Speech) का इलाज करने वाले घरेलू नुस्खे

    • अगर आपके बच्चे के बोलने में देरी हो रही या दुसरे शब्दों में कहें तो जिस उम्र में बच्चे बोलना शुरू कर देते हैं उस तक बच्चा अगर नहीं बोलता है, तो ऐसे में उसके सामने दुसरे बच्चों का उदाहरण न दें। इससे बच्चे का आत्मसम्मान घटता है।
    • बच्चे के बोलने में देरी होने पर उसकी हर कोशिश के बाद उसे मोटिवेट करने से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
    • आप अपने बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने का मौका दें इससे आपका बच्चा  दूसरों के संपर्क में, बोलने की कोशिश करेगा।  दूसरे बच्चों को देखकर उनसे सीखने की कोशिश करेगा।
    • कई मामलों में देखा गया है कि बच्चे के बोलने में देरी का कारण पेरेंट्स की बिजी लाइफस्टाइल भी हो सकती है। इन बच्चों के लिए आपको ऐसा माहौल तैयार करना पड़ेगा कि यह अपने दिन का कुछ समय दूसरे लोगों के संपर्क में बिता सके।  ताकि इन्हें बोलने का भरपूर मौका मिले।
    • रात में सोते वक्त बच्चे को कहानी सुनाएं।  इससे बच्चे में कम्युनिकेशन स्किल का विकास होगा।

    बच्चे के बोलने में देरी होने पर चिंता करने की बजाय डॉक्टर से मिलें और ऊपर बताए गएं टिप्स को फॉलो करें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको बच्चे के बोलने में देरी (Delay in Speech) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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