क्या है बच्चों में भाषा संबंधी विकास? (What is language development in children?)
बच्चों के भाषा संबंधी विकास की गति से मतलब है उनके माता-पिता और भौगोलिक बोली को समझने की गति। कई बार बच्चों में यह एक समान न होने के कारण कुछ बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं व कुछ बहुत कम बोलते हैं। डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में चिंता करने की बजाए धैर्य और समझदारी से काम लें।
बच्चे बोलने में बहुत अधिक देर कर रहे हों तो किसी स्पीच थेरेपिस्ट से भी सलाह ले सकते हैं। विशेषज्ञ आपको बच्चे के देर से बोलने के कारणों के बारे में आपको बताएगा। इसके बाद आप इसका उपाय भी निकाल पाएंगे।
बच्चे के बोलने में देरी का क्या है कारण (Delay in Speech Causes)
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स्पीच थेरेपिस्ट डॉ आर.के. चौहान कहते हैं कि जो बच्चे जन्म के बाद देर से रोना शुरू करते हैं, ऐसे बच्चे बोलना भी देर से चालू करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेग्नेंसी के समय मां अगर जॉन्डिस की शिकार हो या नॉर्मल डिलीवरी में कई बार बच्चे के मस्तिष्क की बांई ओर चोट लग जाती है। इस स्थिति में बच्चे की सुनने की शक्ति बाधित हो जाती है। सुनने और बोलने के बीच गहरा संबंध है। यदि कोई बच्चा ठीक से सुन नहीं पाता हो तो वह बोलना भी आरंभ नहीं करता।
क्या है बच्चे के मस्तिष्क की बनावट?
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग आठ महीने वाले शिशु के मस्तिष्क में 1000 ट्रिलियंस ब्रेन-सेल कनेक्शंस बन चुके होते हैं। इसलिए यदि सुनने तथा बोलने के माध्यम से सक्रिय न रखा जाए तो अधिकतर सेल नष्ट हो जाते हैं। आपको यह जानना चाहिए कि लगभग छह माह का बच्चा विभिन्न प्रकार की 17 ध्वनियों को पहचान सकता है। जो आगे चलकर विभिन्न भाषाओं को सीखने का आधार बनती हैं।
बच्चे के बोलने में देरी (Delay in Speech) हो तो इन बातों का रखें खयाल :