शुगर का नाम लेते ही सबसे पहले मन में मिठास का एहसास होता है। लेकिन, अगर आपके बच्चे को चाइल्ड अल्जाइमर है तो वहीं मिठास आपकी जिंदगी में तकलीफ ला सकता है। फ्रंटियर ऑफ इम्यूनोलॉजी की एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अगर आप शुगर की अनियमित मात्रा लेते हैं तो बचपन में ही डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाएगा। साथ ही, शरीर पर शुगर का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
वहीं, अमेरिकन जॉर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन के अनुसार ग्लूकोज और सुक्रोज इम्यून सिस्टम को खराब कर देता है। जिससे व्हाइट ब्लड सेल्स को ही इम्यून सिस्टम नष्ट करने लगता है। इसलिए अपने डायट में शुगर की मात्रा को कम करें या बंद करें। उसकी जगह पर आप नेचुरल शुगर ले सकते हैं।
ग्लूटेन
ग्लूटेन ज्यादातर स्टार्च युक्त भोजन में पाया जाता है। ग्लूटेन गेंहू, जौ, बाजरे आदि में पाया जाता है। ग्लूटेन सेलिएक डिजीज को बढ़ावा देने में अव्वल होता है। इसलिए चाइल्ड अल्जाइमर में ग्लूटेन का सेवन करने से आपको समस्या होगी।
क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी की एक रिसर्च में पाया गया है कि शरीर में ग्लूटेन की ज्यादा मात्रा होने से चाइल्ड अल्जाइमर होता है। जिसका सेवन न करने से आपको अपने अंदर होने वाले बदलाव नजर आने लगेंगे। साथ ही चाइल्ड अल्जाइमर के लक्षणों में भी कमी आएगी।
समय रहते लें एक्सपर्ट की सलाह
2016 में शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्जाइमर के लक्षण शुरुआती दिनों में ही दिखने लगते हैं। वहीं लंबे समय के विराम के बाद फिर से उभरते हैं। चाइल्ड अल्जाइमर के लक्षण सामने आने के बाद पेरेंट्स को घबराना नहीं चाहिए, बल्कि हिम्मत से काम लेते हुए बच्चे को सामान्य महसूस कराना चाहिए। जिससे बच्चा मानसिक रूप से अच्छा महसूस कर सके। वहीं कोशिश करना चाहिए कि जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह ली जाए, वहीं इलाज कराया जाए ताकि बीमारी से जल्द से जल्द निजात पाया जा सके।