backup og meta

बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण बन सकते हैं विकास में बाधा!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj


Piyush Singh Rajput द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/06/2022

    बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण बन सकते हैं विकास में बाधा!

    बच्चे के सामान्य विकास (Child’s growth) में किसी तरह की बाधा ऑटिज्म (Autism) की वजह से हो सकती है। ऑटिज्म प्रभावित बच्चे समाज में घुल-मिल नहीं पाते। वे दूसरों से बात करने में घबराते हैं। ऐसे में कुछ संकेतों को जानकर आप बच्चे में इस बीमारी को पता लगाकर समय पर उपचार करा सकते हैं, जिससे कम से कम उसके विकास में बाधा ना आए। बता दें कि ऑटिज्म (Autism) एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई खास उपचार नहीं है बस इसके लक्षण और खतरों को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण (Autism symptoms in kids) क्या हैं?

    बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:

    3 महीने की उम्र के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण (Autism symptoms in 3 month of baby)

    ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों को जब पुकारा जाता है, तो वे कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। वहीं उसी उम्र का सामान्य बच्चा पुकारे जाने पर तुरंत प्रक्रिया देता है। ऑटिस्टिक चाइल्ड (Autistic child) कुछ खास तरह की ध्वनियों पर प्रतिक्रिया देते हैं। उदाहरण के तौर पर उन्हें ये पता नहीं चलेगा कि उसके माता-पिता उसे पुकार रहे हैं लेकिन वो टीवी की आवाज पर प्रतिक्रिया देता है। इसके अलावा निम्न लक्षण दिखाई देते हैं…

    • ऐसे बच्चे किसी चीज को पकड़ते नहीं हैं
    • दूसरे लोगों के साथ हंसते (Laugh) नहीं हैं
    • आम नवजात बच्चों (Newly born baby) की तरह बड़बड़ाते नहीं हैं
    • नए लोगों की ओर नहीं देखते हैं

    और पढ़ें : 5-Month-Old & Sleep Schedule: 5 महीने के शिशु का स्लीप शेड्यूल कैसा होना चाहिए?

    6 महीने की उम्र के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण (Autism symptoms in 6 months of baby)

    • इस उम्र में बच्चे किसी ध्वनि के स्त्रोत की तरफ प्रतिक्रिया नहीं देते।
    • वे दूसरों के कुछ व्यवहारों को दोहराते हैं, लेकिन चेहरे (Face) पर किसी तरह के भाव नहीं देते।
    • अपने पेरेंट्स के प्रति कोई लगाव नहीं दिखाते
    • वे ना तो हंसते हैं और ना ही चीखते हैं
    • वे दूध (Milk) पीने में भी इच्छुक नहीं होते

    12 महीने की उम्र के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण (Autism symptoms in 12 months of baby)

    • उन्हें समझ नहीं आता कि वे अपना शरीर (Body) कैसे हिलाएं
    • वे एक भी शब्द नहीं बोल पाते
    • वे किसी प्रकार के संकेत नहीं देते, जैसे हाथ हिलाना या सिर हिलाना
    • वो किसी फोटो या चीज की ओर इशारा नहीं करते
    • वे सहारा देने के बावजूद खड़े नहीं हो पाते

    और पढ़ें : शिशुओं में ऑटिज्म के खतरों को प्रेंग्नेंसी में ही समझें

    24 महीने की उम्र के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण (Autism symptoms in 24 months of kids)

    दो साल होने के बाद भी बच्चे चल नहीं पाते। आमतौर पर दो साल की उम्र तक बच्चे में खेलने की काबिलीयत आ जाती है। जैसे अपने बाल कंघी करना, डॉल के साथ खेलना आदि। लेकिन ऑटिस्टिक बच्चों को ये चीजें समझ नहीं आती।

  • वे 15 शब्द से ज्यादा नहीं बोल पाते
  • वे आम चीजें जैसे फोन, चमच्च आदि का उपयोग नहीं जानते
  • वे आपके व्यवहार (Behaviour) या शब्दों को नहीं दोहराते
  • वे खिलौनो (Toys) से नहीं खेल पाते
  • वे सामान्य निर्देश भी नहीं समझ पाते
  • और पढ़ें : ऑटिज्म की समस्या को दूर करने के लिए 5 प्रभावी दवाईयां

    जीवन भर रहने वाले बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण (Autism symptoms)

    • हकलाना और किसी भी चीज को व्यक्त करने में परेशानी होना।
    • नजरें न मिला पाना।
    • ज्यादातर अकेले रहने की कोशिश करना।
    • लोगों की भावनाओं और बातों को न समझ पाना।
    • (Echolalia) शब्दों के उच्चारण में परेशानी होना और बार -बार किसी शब्द को दोहराना।
    • अपने में खोए रहना बाहर की दुनिया से ज्यादा संबंध न रखना।
    • किसी आवाज, रोशनी या रंग के प्रति अजीब प्रतिक्रिया  लगाव या भय होना।

    इनमें से किसी भी लक्षण के दिखने पर डॉक्टर से जरूर मिलें। इससे आपको अपने बच्चे को संभालने में सहायता मिलेगी। उपरोक्त सभी लक्षण नवजात बच्चों में ऑटिज्म के हैं। बच्चों के माता-पिता इन लक्षणों को समझकर समय पर डॉक्टरी मदद ले सकते हैं। अगर पेरेंट्स (Parents) को बच्चे केक व्यवहार, बातचीत (Communications), बोलने आदि चीजों में किसी तरह का संशय होता है तो तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।

    बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण का इलाज कैसे करें? (Treatment for Autism)

    ऐसा माना जाता है कि अभी तक बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण का कोई भी इलाज विकसित नहीं किया जा सका है। वहीं कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण को कम किया जा सकता है। इनमें स्पीच थेरेपी (Speech therapy) और मोटर स्किल (Motor skill) शामिल हैं। इनकी मदद से बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा बच्चों के साथ प्यार और धैर्य से बर्ताव करने से भी इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों को सामान्य जिंदगी जीने में मदद की जा सकती है। 

    आप ये जान लें कि ऑटिस्टिक बच्चे का जीवन सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत ही कठीन होता है। लेकिन ऐसे में पेरेंट्स का सपोर्ट उनके इस संघर्ष को कम कर सकता है। वहीं कई मामलों में देखा जाता है कि पेरेंट्स सही समय पर बच्चों पर ध्यान नहीं देते और देर हो जाने पर मेडिकल हेल्प पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सही तरीका यह होगा कि बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण की शुरुआती पहचान कर ही उसे मदद मिलनी चाहिए। साथ ही बच्चे की ऐसी परिस्थिति में पेरेंट्स को बहुत धैर्य रखने की जरूरत होती है।

    और पढ़ें : ऑटिज्म की बीमारी के कारण कम हो सकता है शरीर में अच्छा कोलेस्ट्रॉल

    बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण के इलाज के लिए होती हैं ये थेरेपी

    बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण को कम करने के लिए शिक्षात्मक चिकित्सा

    इस चिकित्सा में ऑटिज्म रोगी के कौशल विकास और संचार कौशल को विकसित करने की दिशा में काम किया जाता है। इसमें एक्सपर्ट्स की टीम खासतौर पर रोगी के लिए केंद्रित प्रोग्राम तैयार करते हैं।

    फैमिली थेरेपी से दूर होंगे बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण 

    फैमिली थेरेपी में ऑटिज्म रोगी के परिवार (Family), उसके दोस्त और देखभाल करने वाले लोगों को सिखाया जाता है कि कैसे रोगी के साथ व्यवहार, बातचीत और खेलकूद करें। इसकी मदद से वो तेजी से चीजें सीखता है और रोगी में ऑटिज्म के लक्षण के तौर पर दिखने वाला नकारात्मक व्यवहार खत्म होता है।

    ऑक्यूपेशनल थेरेपी 

    इस थेरेपी में ऑटिज्म रोगी को दैनिक जीवन से जुड़े काम पूरे करने के लिए दिए जाते हैं। इसकी मदद से वे भविष्य में इन चीजों को करने में सक्षम हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर शुरुआती अवस्था में बच्चों को कपड़े पहनना (Dressing tips) या चमच्च का इस्तेमाल जैसी चीजें सिखाई जाती हैं।

    आहार चिकित्सा 

    कई वजहों से ऑटिज्म के रोगियों में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है और कई कुपोषित होते हैं। इसकी वजह से भी उनके विकास में परेशानी आती है। कुछ रोगी किसी एक ही प्रकार का खाना खाते हैं, तो कुछ खाना खाने से डर लगता है। डर की वजह डाइनिंग टेबल, तेज लाइट या वातावरण हो सकता है। कुछ इसलिए भी नहीं खाते क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बीमारी की वजह उनका खाना है। ऐसी स्थिति में बच्चे के माता-पिता या केयरटेकर किसी डाइटीशियन की मदद लेकर उसके खाने का प्लान बना सकते हैं। डाइटीशियन बच्चे का चेकअप कर उसके लिए पौष्टिक खाने का चार्ट (Diet plan) बनाते हैं, जिससे बच्चा कुपोषण और उससे संबंधित बीमारियों से बच सकता है। इस तरह से निश्चित रूप से ऑटिज्म के लक्षण को कम करने में मदद मिलेगी।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Dr. Pooja Bhardwaj


    Piyush Singh Rajput द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/06/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement